Micro plastic pollution: सांस लेना भी सजा?, डॉल्फिन की सांसों तक समाया माइक्रो प्लास्टिक प्रदूषण!

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 17, 2024 17:47 IST2024-10-17T17:45:56+5:302024-10-17T17:47:40+5:30

Micro plastic pollution: दुनिया भर में, शोध से पता चला है कि लोग और वन्यजीव मुख्य रूप से खाने और पीने के साथ-साथ सांसों के जरिए भी माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क में आते हैं।

Micro plastic pollution Even breathing punishment Micro plastic pollution reaches even breath of dolphins | Micro plastic pollution: सांस लेना भी सजा?, डॉल्फिन की सांसों तक समाया माइक्रो प्लास्टिक प्रदूषण!

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Highlightsघाव और संभवतः कैंसर जैसी समस्याएं हो सकती हैं।डॉल्फिन को भी फेफड़ों की ऐसी ही समस्याएं हो सकती हैं।100,000 मैट्रिक टन माइक्रोप्लास्टिक वायुमंडल में पहुंच सकता है।

Micro plastic pollution: पीएलओएस वन जर्नल में प्रकाशित हमारे नए शोध के अनुसार, फ्लोरिडा में सारासोटा खाड़ी और लुइसियाना में बारातारिया खाड़ी में ‘बॉटलनोज’ डॉल्फिन अपनी सांसों के साथ माइक्रोप्लास्टिक फाइबर छोड़ रही हैं। प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़े जमीन, हवा और यहां तक कि बादलों समेत पूरे ग्रह पर फैल गए हैं। एक अनुमान के अनुसार अकेले महासागरों में माइक्रोप्लास्टिक के 170 ट्रिलियन बिट्स होने का अनुमान है। दुनिया भर में, शोध से पता चला है कि लोग और वन्यजीव मुख्य रूप से खाने और पीने के साथ-साथ सांसों के जरिए भी माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क में आते हैं।

यह शोध क्यों है महत्वपूर्ण? मनुष्यों में, सांस के जरिए अंदर जाने वाली माइक्रोप्लास्टिक फेफड़ों में सूजन पैदा कर सकती हैं, जिससे ऊतक (टिशू)को नुकसान, ज्यादा बलगम बनना, निमोनिया, ब्रोंकाइटिस, घाव और संभवतः कैंसर जैसी समस्याएं हो सकती हैं। चूंकि डॉल्फिन और मनुष्य समान प्लास्टिक कणों को सांस के जरिए ग्रहण करते हैं, इसलिए डॉल्फिन को भी फेफड़ों की ऐसी ही समस्याएं हो सकती हैं।

दशकों लंबे जीवनकाल वाले चोटी के शिकारियों के रूप में बॉटलनोज डॉल्फिन समुद्री पारिस्थितिक तंत्र पर प्रदूषकों के प्रभावों और तटों के पास रहने वाले लोगों के सामने आने वाले संबंधित स्वास्थ्य जोखिमों को समझने में वैज्ञानिकों की मदद करती हैं। यह शोध महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया की 41 प्रतिशत से अधिक मानव आबादी तट के 62 मील (100 किलोमीटर) के अंदर रहती है। हमें अब तक क्या पता है?

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि महासागरों में प्लास्टिक के कई खरब कण होते हैं, जो अपशिष्ट जल या हवा के माध्यम से उनके अंदर पहुंचते हैं। समुद्र की लहरें इन कणों को हवा में छोड़ सकती हैं। वास्तव में, तरंग ऊर्जा के कारण हर साल 100,000 मैट्रिक टन माइक्रोप्लास्टिक वायुमंडल में पहुंच सकता है।

चूंकि डॉल्फिन और अन्य समुद्री स्तनधारी पानी की सतह पर सांस लेते हैं, इसलिए वे विशेष रूप से जोखिम की चपेट में आ सकते हैं। जहां अधिक लोग होते हैं, वहां आमतौर पर प्लास्टिक अधिक होता है। लेकिन हवा में तैरते छोटे प्लास्टिक कणों के मामले में ऐसा नहीं होता।

वायुजनित माइक्रोप्लास्टिक घनी आबादी वाले क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं हैं; वह दूर-दराज के बहुत कम आबादी वाले क्षेत्रों को भी प्रभावित कर सकता है। हमारे शोध में शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के आसपास समुद्रों में रहने वाली डॉल्फिन की सांसों में माइक्रोप्लास्टिक मिला, लेकिन हम अब तक नहीं जान पाए हैं कि दोनों तरह के क्षेत्रों के बीच प्लास्टिक कणों की मात्रा या प्रकार में बड़ा अंतर है या नहीं।

हम अपना काम कैसे करते हैं? हमारे अध्ययन के लिए ब्रुकफील्ड चिड़ियाघर शिकागो, सारासोटा डॉल्फिन अनुसंधान कार्यक्रम, राष्ट्रीय समुद्री स्तनपायी फाउंडेशन और फंडाकियोन ओशनोग्राफिक की मदद से बॉटलनोज डॉल्फिन के सांस के नमूने एकत्र किए गए। इन संक्षिप्त स्वास्थ्य आकलन में हमने डॉल्फिन की छोड़ी हुई सांस के नमूने एकत्र करने के लिए उसके नथुनों के ऊपर एक ‘पेट्री डिश’ या एक ‘स्पाइरोमीटर’ रखा, जो फेफड़ों के कामकाज को भांपता है। हमारे सहयोगी की प्रयोगशाला में माइक्रोस्कोप का उपयोग करके, हमने प्लास्टिक जैसे दिखने वाले छोटे कणों का पता लगाया।

चूंकि प्लास्टिक गर्म होने पर पिघल जाती है, इसलिए हमने यह पता लगाने के लिए ‘सोल्डरिंग सुई’ का इस्तेमाल किया कि क्या ये संदिग्ध टुकड़े प्लास्टिक के हैं। यह पुष्टि करने के लिए कि वे वास्तव में प्लास्टिक हैं या नहीं, हमारे सहयोगी ने ‘रेमन स्पेक्ट्रोस्कोपी’ नामक एक विशेष विधि का उपयोग किया, जिसमें एक संरचनात्मक फिंगरप्रिंट बनाने के लिए लेजर का उपयोग किया जाता है। इसका एक विशिष्ट रसायन से मिलान किया जा सकता है। हमारे अध्ययन में पता चला कि प्लास्टिक प्रदूषण कितना व्यापक है और डॉल्फिन समेत अन्य जीव कैसे इसके संपर्क में आते हैं।

हालांकि सांस के जरिए प्लास्टिक अंदर जाने से डॉल्फिन के फेफड़ों पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में अभी पता नहीं चल पाया है। लोग प्लास्टिक के उपयोग को कम करके और महासागरों को प्रदूषण से बचाकर माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण से उत्पन्न समस्या के समाधान में मदद कर सकते हैं। 

Web Title: Micro plastic pollution Even breathing punishment Micro plastic pollution reaches even breath of dolphins

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