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चेतावनी: सिगरेट से ज्यादा खतरनाक है खैनी, पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्‍थान के रिसर्च में हुआ खुलासा

By एस पी सिन्हा | Updated: May 3, 2022 17:23 IST

पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्‍थान (आईजीआईएमएस) ने अपनी रिसर्च में पाया है कि सिगरेट से ज्यादा खतरनाक खैनी है, जिसका बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग नशे के लिए सर्वाधिक प्रयोग करते हैं।

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ठळक मुद्देआईजीआईएमएसने बताया कि दिल से जुड़ी बीमारियों के लिए सिगरेट से ज्यादा खतरनाक खैनी हैआईजीआइएमएस ने तंबाकू खाने वाले हृदय के मरीजों पर पहली बार शोध करके इस तथ्‍य को बताया हैकच्‍चे तंबाकू को चबाने की लत बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों में सर्वाधिक है

पटना:बिहार की राजधानी पटना स्थित इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्‍थान (आईजीआईएमएस) का चौंकाने वाला शोध सामने आया है। इस रिपोर्ट के अनुसार यह बताया गया है कि दिल से जुड़ी बीमारियों के लिए सिगरेट से ज्यादा खतरनाक खैनी है। ऐसे में खैनी का सेवन करने से लोगों को बचना चाहिए।

प्राप्त जानकारी के अनुसार आईजीआइएमएस में पहली बार तंबाकू खाने वाले हृदय के मरीजों पर हुए शोध में यह तथ्‍य सामने आया है। शोध में दिन में तीन बार से अधिक तंबाकू खाने वालों को शामिल किया गया। अभी तक दिल की बीमारी के मुख्य कारण उच्‍च रक्‍तचाप, डायबिटीज, ब्‍लड कोलेस्ट्राल, धूम्रपान, मोटापा और तनाव को माना जाता था लेकिन अब इसमें तंबाकू चबाना भी शामिल हो गया है।

आंकडों के अनुसार राज्‍य के 23.5 प्रतिशत लोग चबाने वाले तंबाकू का सेवन करते हैं, जिसमें लगभग 20.5 प्रतिशत युवा इसके लती हैं। फरवरी 2015 से जुलाई 2016 के दौरान किए गए इस शोध को साल 2022 में इंटरनेशनल जर्नल आफ फार्मासीटिक्ल एंड क्लीनिकल रिसर्च के 14वें संस्करण में जगह मिली है।

इस शोध टीम में आईजीआईएमएस के प्रिंसिपल डॉ. नीरव, कार्डियोलॉजी के हेड डॉ. बीपी सिंह, डॉ. रवि विष्णु, डॉ. निशांत त्रिपाठी और डॉ. शंभू कुमार ने पहली बार खैनी खाने वाले लोगों पर रिसर्च किया। साथ ही दिनभर में तीन बार से अधिक खैनी खाने वाले लोगों को भी इस रिसर्च में शामिल किया।

रिसर्च में पता चला कि बिहार में 20.5 फीसदी युवा खैनी खाते हैं। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फार्मासीटिक्ल एंड क्लीनिकल रिसर्च के 14वें संस्करण 2022 में इस रिपोर्ट को प्रकाशित किया गया है।

बता दें कि खैनी की खपत बिहार और यूपी में सबसे अधिक है। तंबाकू नियंत्रण के क्षेत्र में बिहार सरकार को तकनीकी सहयोग देने वाली संस्था 'सोशियो इकोनोमिक एंड एजुकेशनल सोसाइटी (सीड्स) बिहार में तंबाकू पर प्रतिबंध लगाने की मांग करती रही है। पहले भी कई बार इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग राज्य सरकार से कर चुका है।

कच्‍चे तंबाकू को चबाने की लत बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों में सर्वाधिक है। सीड्स के अनुसार राज्य में गुटखा एवं पान मसाले को प्रतिबंधित किया गया है। बिहार में 23.5 फीसदी चबाने वाले तंबाकू का सेवन करते हैं, जिसमें लगभग 20.5 फीसद युवा खैनी खाते हैं।

टॅग्स :बिहारपटनाResearch Center
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