धूम्रपान-तंबाकू का सेवन कर रहे हैं तो रहिए अलर्ट?, कैंसर मरीजों को जनना जरूरी, उम्र और सेहत पर असर

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 18, 2025 09:54 IST2025-08-18T09:53:24+5:302025-08-18T09:54:48+5:30

कई बार दवा की खुराक भी दोगुनी करनी पड़ती है जैसे धूम्रपान करने वाले रोगियों में ‘एर्लोटिनिब’ (कैंसर रोधी दवा) को 150 एमजी से बढ़ाकर 300 एमजी देना पड़ता है।

If you smoking consuming tobacco then be alert important cancer patients know it affects age and health | धूम्रपान-तंबाकू का सेवन कर रहे हैं तो रहिए अलर्ट?, कैंसर मरीजों को जनना जरूरी, उम्र और सेहत पर असर

सांकेतिक फोटो

Highlightsतंबाकू का सेवन इलाज की प्रभावशीलता और मरीजों की जीवन प्रत्याशा को घटा सकता है।मरीजों में धूम्रपान की लत की जानकारी इलाज के दौरान चिकित्सकीय निर्णयों को प्रभावित कर सकती है।शोध के परिणामों को बेहतर बनाएगा, इलाज की प्रभावशीलता बढ़ाएगा और लोगों की जान बचाएगा।

नई दिल्लीः दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), कनाडा के मैकमास्टर विश्वविद्यालय और फ्रांस की इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरसी) के विशेषज्ञों ने कहा है कि कैंसर संबंधी नैदानिक परीक्षणों के दौरान मरीजों में धूम्रपान की लत के बारे में जानकारी दर्ज करना जरूरी है क्योंकि तंबाकू का सेवन इलाज की प्रभावशीलता और मरीजों की जीवन प्रत्याशा को घटा सकता है।

लैंसेट ऑन्कोलॉजी में प्रकाशित रिपोर्ट में एम्स दिल्ली के डॉ. अभिषेक शंकर सहित सात लेखकों ने कहा कि मरीजों में धूम्रपान की लत की जानकारी इलाज के दौरान चिकित्सकीय निर्णयों को प्रभावित कर सकती है। उनका कहना है कि तंबाकू सेवन से जुड़े आकलन में आने वाली बाधाओं को दूर करना और धूम्रपान छोड़ने से जुड़ी पहलों को कैंसर से जुड़े शोध प्रोटोकॉल में शामिल करना, शोध के परिणामों को बेहतर बनाएगा, इलाज की प्रभावशीलता बढ़ाएगा और लोगों की जान बचाएगा।

विशेषज्ञों ने 2014 की अमेरिकी सर्जन जनरल रिपोर्ट ‘धूम्रपान के स्वास्थ्य परिणाम - 50 वर्षों की प्रगति’ का हवाला दिया, जिसमें पहली बार यह निष्कर्ष निकाला गया कि धूम्रपान करने और कैंसर से जुड़े प्रतिकूल परिणामों के बीच सीधा संबंध है जिनमें समग्र मृत्यु दर और कैंसर-विशेष मृत्यु दर का अधिक होना शामिल है।

यह रिपोर्ट नैदानिक परीक्षणों में धूम्रपान की लत को दर्ज करने, नवीन उपचारों की प्रभावकारिता के अनुमान को परिष्कृत करने तथा उपचार के तरीकों और निरन्तर तम्बाकू के उपयोग के प्रभाव को बेहतर ढंग से समझने की आवश्यकता को रेखांकित करती है। वर्ष 2014 से अब तक हुए शोध से यह बात सामने आई है कि लगातार तंबाकू का सेवन सर्जरी, रेडियोथेरेपी या प्रणालीगत उपचार प्राप्त करने वाले मरीजों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। लेखकों ने रिपोर्ट में कहा, ‘‘तंबाकू की लत को छुड़ाने के अलावा धुम्रपान के धुएं के विपरीत प्रभावों पर काबू पाने के सर्वोत्तम तरीकों के बारे में बहुत कम जानकारी है।

कैंसर चिकित्सा के दौरान धूम्रपान की लत के विषय में जानकारी संभावित रूप से चिकित्सकीय निर्णयों को प्रभावित कर सकती है।’’ उन्होंने कहा कि कई बार दवा की खुराक भी दोगुनी करनी पड़ती है जैसे धूम्रपान करने वाले रोगियों में ‘एर्लोटिनिब’ (कैंसर रोधी दवा) को 150 एमजी से बढ़ाकर 300 एमजी देना पड़ता है। लेखकों ने कहा, ‘‘साक्ष्य बताते हैं कि तंबाकू के निरंतर सेवन से कैंसर के उपचार की प्रभावकारिता और रोगी के जीवित रहने की संभावना पर काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।’’ 

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