Covid-19 treatment: प्लाज्मा थेरेपी को कोरोना इलाज के प्रोटोकॉल से किया जा सकता है बाहर, जानिये क्यों

By उस्मान | Updated: October 21, 2020 15:13 IST2020-10-21T15:13:33+5:302020-10-21T15:13:33+5:30

इस थेरेपी को कोरोना के इलाज के लिए कारगर माना जा रहा था

ICMR says Plasma Therapy May Be Removed From COVID-19 Treatment Protocol, know what is plasma therapy and how to fail to treat corona patients | Covid-19 treatment: प्लाज्मा थेरेपी को कोरोना इलाज के प्रोटोकॉल से किया जा सकता है बाहर, जानिये क्यों

प्लाज्मा थेरेपी

Highlightsआईसीएमआर ने नेशनल टास्क फोर्स के साथ की चर्चा इसने गंभीर बीमारी की स्थिति में मृत्यु दर या प्रगति को कम नहीं कियाकोविड-19 से मरने वाले लोगों को बचाने के लिए प्लाज्मा थेरेपी विफल रही

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने प्लाज्मा थेरेपी के बारे में एक बड़ा बयान जारी किया है।इस थेरेपी को कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों के लिए जीवन रक्षक के रूप में जाना जाता है। आईसीएमआर के महानिदेशक (डीजी) बलराम भार्गव ने कहा कि कोविड-19 के प्रबंधन के लिए नेशनल क्लिनिकल प्रोटोकॉल से प्लाज्मा थेरेपी को हटाया जा सकता है।

मिड डे की एक रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टर भार्गव ने कहा, 'हमने इस बारे में कोविड-19 प्रबंधन के लिए बनाए गए नेशनल टाक फोर्स के साथ चर्चा की है। हम संयुक्त निगरानी समिति के साथ आगे चर्चा कर रहे हैं और राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों से प्लाज्मा थेरेपी को हटाने पर विचार कर रहे हैं।

यह बयान प्लाज्मा थेरेपी की प्रभावकारिता पर किए गए कई अध्ययनों के मद्देनजर आया है, जिसमें बताया गया है कि इसने गंभीर बीमारी की स्थिति में मृत्यु दर या प्रगति को कम नहीं किया है। सितंबर में सामने आए आईसीएमआर के अपने अध्ययन से पता चला है कि कोविड-19 से मरने वाले लोगों को बचाने के लिए प्लाज्मा थेरेपी विफल रही है।

प्लाज्मा ट्रीटमेंट क्या है (What is plasma treatment)

इन परीक्षण में कोविड-19 की चपेट से बाहर आए मरीजों के रक्त से प्लाज्मा निकालकर बीमार रोगियों को ठीक करने के लिए दिया जाता है। उन लोगों में पहले से ही एंटीबॉडी मौजूद हैं जो वायरस को दूर भगाते हैं।

उनका उपयोग दूसरे रोगी के लिए भी किया जा सकता है। शोधों से पता चलता है कि यह संक्रमित की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।

प्थेलाज्रेमा थेरेपी कितनी असरदार ?

ऐसा दावा किया गया था कि ब्लड प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना वायरस के मरीज 3 से 7 दिनों के भीतर सही हो जा रहे हैं। यह खुलासा त्रिवेंद्रम स्थित चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी में प्रोफेसर हेड डॉक्टर देवाशीष गुप्ता ने किया था। 

इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि एक डोनर प्लाज्मा का इस्तेमाल करके दो से पांच मरीजों को ठीक किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि एक मरीज को ठीक करने के लिए लगभग 200-250 मिली प्लाज्मा की आवश्यकता होती है। अध्ययनों के आधार पर अमेरिका और चीन में देखा गया है इस थेरेपी से तीन या सात दिन में मरीज सही हो जाता है।

ठीक हुए मरीज का प्लाज्मा कब ले सकते हैं ?

उन्होंने बताया कि ठीक हुए मरीज और प्लाज्मा लेने के बीच कम से कम 28 दिनों का अंतराल होना चाहिए. हम ठीक हुए रोगियों की सूची बनाकरउनसे  संपर्क करेंगे और प्लाज्मा डोनेट करने के लिए उनकी काउंसलिंग करेंगे। फिर इकट्ठे हुए प्लाज्मा को विभिन्न क्लीनिकों में वितरित किया जा सकता है।

कोरोना के किन मरीजों को प्लाज्मा दिया जा सकता है?

डॉक्टर ने बताया कि जिन मरीजों को प्लाज्मा दिया जा सकता है उनके लिए भी दिशा-निर्देश हैं। सामान्य तौर पर वायरस से गंभीर रूप से प्रभावित और श्वसन संक्रमण से पीड़ित मरीजों को प्लाज्मा दिया जा सकता है।

डब्ल्यूएचओ ने भी माना था कारगर इलाज

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस थेरेपी को बेहतर माना है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, प्लाज्मा थेरेपी का उपयोग एक 'बहुत ही मान्य' दृष्टिकोण है, लेकिन परिणाम को अधिकतम करने के लिए समय महत्वपूर्ण है। यह थेरेपी रेबीज और डिप्थीरिया जैसे इन्फेक्शन के खिलाफ प्रभावी साबित हुआ है।

प्लाज्मा थेरेपी की कीमत

हालांकि प्लाज्मा ट्रीटमेंट का नकारात्मक पक्ष यह है कि यह थेरेपी महंगी और सीमित है। एक ठीक हुए मरीज से एक दान से उपचार की केवल दो खुराक मिल सकती है।

Web Title: ICMR says Plasma Therapy May Be Removed From COVID-19 Treatment Protocol, know what is plasma therapy and how to fail to treat corona patients

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