कोरोना वायरस: 80 फीसदी मामलों में लक्षण नहीं दिख रहे, अब तो सिर्फ ये 5 उपाय ही बचा सकते हैं जान

By उस्मान | Published: April 21, 2020 12:44 PM2020-04-21T12:44:19+5:302020-04-21T12:44:19+5:30

लक्षण नजर नहीं आना खतरे की घंटी है, इसका मतलब है कि पीड़ित व्यक्ति अनजाने में कितने लोगों को बीमार कर रहा होगा

ICMR said 80% of cases could be asymptomatic, tips to stop spreading covid-19, how to fight coronavirus, how to test for coronavirus with no symptoms in Hindi | कोरोना वायरस: 80 फीसदी मामलों में लक्षण नहीं दिख रहे, अब तो सिर्फ ये 5 उपाय ही बचा सकते हैं जान

कोरोना वायरस: 80 फीसदी मामलों में लक्षण नहीं दिख रहे, अब तो सिर्फ ये 5 उपाय ही बचा सकते हैं जान

कोरोना वायरस के आम लक्षणों में बुखार, सर्दी, खांसी, सांस लेने में दिक्कत आदि शामिल हैं। लेकिन अब जो रिपोर्ट सामने आई है वो पूरी दुनिया के लिए मुसीबत बन गई है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर ने कहा कि कोरोना वायरस के 80 फीसदी मरीजों में या तो इसके लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं, या फिर उनमें इसके लक्षण बहुत ही कम नजर आ रहे हैं। मंत्रालय ने संकेत दिया कि यह सबसे चिंता की बात है क्योंकि कोरोना से संक्रमित हुए 100 में से 80 लोगों में कोई लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने के अनुसार, दुनिया भर के आंकड़े के विश्लेषण के आधार पर कोविड-19 के 80 प्रतिशत मरीजों में इसके लक्षण या तो नहीं नजर आ रहे हैं, या फिर बहुत ही कम नजर आ रहे हैं। करीब 15 प्रतिशत मरीज गंभीर रूप से बीमार हो रहे हैं और करीब पांच प्रतिशत की हालत बेहद नाजुक हो जाती है।

हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी बताया था कि दिल्ली में एक दिन में हुए 736 टेस्ट में से 186 लोग कोरोना पॉजिटिव निकले और इनमें से किसी व्यक्ति को कोई लक्षण नहीं थे। यानी किसी को भी बुखार, खासी, सांस की शिकायत नहीं थी। उनको पता ही नहीं था कि वो कोरोना लेकर घूम रहे हैं। 

अब सवाल यह है कि कोरोना वायरस को फैलने से अब कैसे रोका जा सकता है? जाहिर है जब किसी रोगी में कोई लक्षण नहीं होगा, तो वो अपना टेस्ट भी नहीं कराएगा, तो पता ही नहीं चलेगा और ये कोरोना फैलाते चला जाएगा।

1) इस स्थिति से निपटने का एक तरीका यह है कि जो भी आदमी बाहर जाता है, उसे टेस्ट कराना चाहिए। जैसे ही अन्य लोगों को पता चलता है कि वो उनके संपर्क में आने वाला वो व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव है, तो उन्हें भी आगे आकर टेस्ट कराना चाहिए।

2) इस स्थिति को रोकने का दूसरा तरीका रैपिड टेस्टिंग और पूल टेस्टिंग भी है। रैपिड टेस्ट का रिजल्ट 15 मिनट में मिल जाता है और इसी तरह पूल टेस्टिंग में एक बार में कई लोगों का टेस्ट किया जा सकता है। लेकिन लोगों को भी खुद का ख्याल ख्याल रखने की जरूरत है। 

3) केन्द्रीय स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल के अनुसार, जो लोग हॉटस्पॉट इलाकों में रह रहे हैं और बुज़ुर्ग हैं, हाई रिस्क में हैं, उन्हें अपने टेस्ट कराने चाहिए। 

4) ऐसे लोग जो बिना लक्षणों के कोरोना की चपेट में हैं लेकिन वो कोरोना पॉजिटिव लोगों के सम्पर्क में आए हैं, उन्हें खुद को आइसोलेट करना चाहिए। जरूरत पड़ने पर अस्पताल से संपर्क करना चाहिए। 

5) सचाई यही है कि ऐसे लोग संक्रमण फैलाने का सबसे बड़ा जरिया बन सकते हैं। इसलिए लक्षण आए या नहीं आए, सोशल डिस्टेसिंग बनाए रखें, बाहर निकलें तो मास्क जरूर पहनें।

स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर ने उठाये ये कदम

- कोविड-19 के प्रसार को रोकने की अपनी संशोधित रणनीति के तहत सरकार ने हॉटस्पॉट और क्लस्टर क्षेत्रों (संक्रमण से अत्यधिक प्रभावित क्षेत्रों) में बुखार, खांसी और गले के संक्रमण का सामना कर रहे लोगों की जांच करनी शुरू कर दी है। 

- अस्पताल में भर्ती हर उस व्यक्ति की जांच की जा रही है जिन्हें श्वसन संबंधी बीमारी है, जिन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही है, बुखार या जुकाम है। 

- संक्रमित व्यक्ति के प्रत्यक्ष संपर्क में आने वाले लोगों की भी पांचवें से 14वें दिन के बीच जांच की जा रही है। 

- ऐसे प्रत्येक व्यक्ति की जांच की जा रही है जिनमें लक्षण नहीं दिख रहे हैं, लेकिन उसने विदेश यात्रा की है, किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आया है या फिर वह स्वास्थ्यकर्मी है। 

समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ

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