"जहरीले सांप शिकार को कैसे डसते हैं: अलग-अलग तरीकों का खुलासा"
By संदीप दाहिमा | Updated: October 24, 2025 18:09 IST2025-10-24T18:09:04+5:302025-10-24T18:09:13+5:30
जहरीले सांप छह करोड़ से अधिक वर्षों से धरती पर विचरण करते रहे हैं। इन प्राचीन जीवों के इतने लंबे समय तक अपना अस्तित्व बनाए रखने में सफल होने का श्रेय कुछ हद तक शिकार के भागने से पहले ही उसे आश्चर्यजनक गति से डसने की इनकी क्षमता को भी जाता है।

"जहरीले सांप शिकार को कैसे डसते हैं: अलग-अलग तरीकों का खुलासा"
जहरीले सांप छह करोड़ से अधिक वर्षों से धरती पर विचरण करते रहे हैं। इन प्राचीन जीवों के इतने लंबे समय तक अपना अस्तित्व बनाए रखने में सफल होने का श्रेय कुछ हद तक शिकार के भागने से पहले ही उसे आश्चर्यजनक गति से डसने की इनकी क्षमता को भी जाता है। अब एक नया अध्ययन इस बात पर विस्तार से प्रकाश डालता है कि सांप अपने शिकार को किस तरह निशाना बनाते हैं। ‘जर्नल ऑफ एक्सपेरिमेंटल बायोलॉजी’ में शुक्रवार को प्रकाशित इस अध्ययन का सह-लेखन मैंने किया है और यह अपनी तरह का अब तक का सबसे बड़ा अध्ययन है, जिसमें उन्नत वीडियो तकनीकों का इस्तेमाल करके दिखाया गया है कि सांप की विभिन्न नस्लों ने समय बीतने के साथ किस तरह शिकार को डसने की अलग-अलग घातक रणनीतियां विकसित कीं। ------धरती पर लाखों सांप------ धरती पर सांप की अनुमानित चार हजार नस्लें हैं, जिनमें से लगभग 600 जहरीली हैं। 1950 के दशक में जब उच्च गति वाली फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी तकनीकें विकसित हुईं, तो वैज्ञानिकों ने इन सांपों की शिकार को डसने की रणनीति को बेहतर ढंग से समझने के लिए इनके हमलों की रिकॉर्डिंग शुरू की।
तब से इन प्रौद्योगिकियों में नाटकीय रूप से सुधार हुआ है, जिससे वैज्ञानिकों को जहरीले सांप द्वारा शिकार को डसने के तरीके को और अधिक बारीकी से रिकॉर्ड करने और उसका गहन अध्ययन करने में मदद मिली है। उदाहरण के लिए, अतीत में हुए एक अध्ययन में देखा गया था कि शिकार को पकड़ने के लिए किए गए हमले और शिकारी से बचने के लिए किए गए हमले के तरीके में स्पष्ट अंतर होता है। हालांकि, सांप के डसने के तरीके का विश्लेषण करने वाले ज्यादातर हालिया अध्ययनों का दायरा कुछ कारकों के कारण सीमित रहा है। पहला, इनमें सांप के डसने के तरीके को रिकॉर्ड करने के लिए सिर्फ एक कैमरे का इस्तेमाल किया गया है। इसका मतलब यह है कि हमें सिर्फ एक दिशा का दृश्य मिलता है, जबकि सांप सभी दिशा में रेंग सकते हैं। दूसरा, ज्यादातर वीडियो अपेक्षाकृत निम्न गुणवत्ता के हैं, जिसकी मुख्य वजह यह है कि इन्हें ऐसे क्षेत्रों में रिकॉर्ड किया गया, जहां रोशनी का स्तर काफी कम था। तीसरा, वीडियो रिकॉर्डिंग आम तौर पर सांप की किसी एक नस्ल या सीमित नस्लों पर केंद्रित रही है। इसका मतलब यह है कि हम यह जानने से चूक जाते हैं कि कई अन्य नस्लें कैसे अलग तरह से व्यवहार कर सकती हैं या अधिक रफ्तार से हमला कर सकती हैं। ------36 जहरीली नस्लों पर अध्ययन------ नये अध्ययन में मैंने और मेरे सहयोगियों ने सांप की 36 जहरीली नस्लों के शिकार को डसने के तरीकों का विश्लेषण किया।
ये नस्लें जहरीले सांपों के तीन प्रमुख परिवारों-वाइपरिडे, एलापिडे और कोलुब्रिडे-से ताल्लुक रखती थीं। इनमें ‘क्रोटेलस एट्रॉक्स’, ‘मैक्रोवाइपेरा लेबेटीनस’ और ‘एकेंथोफिस रगोसस’ जैसी नस्लें शामिल हैं। ‘क्रोटेलस एट्रॉक्स’ दक्षिण-पश्चिमी अमेरिका और मेक्सिको में पाया जाने वाला जहरीला सांप है। इसकी पीठ पर हीरे के आकार के भूरे धब्बे होते हैं, जो सफेद और काले रंग की रेखाओं से घिरे होते हैं, जिसके चलते इसे ‘वेस्टर्न डायमंडबैक रैटलस्नेक’ के नाम से भी जाना जाता है। वहीं, ‘मैक्रोवाइपेरा लेबेटीनस’ उत्तरी अफ्रीका, पश्चिम एशिया और एशिया के कुछ हिस्सों में पाया जाने वाला जहरीला सांप है। इसका सिर चौड़ा एवं त्रिकोणीय तथा थूथन गोल और कुंद होता है, जिसके चलते इसे ‘ब्लंट-नोज़्ड वाइपर’ के नाम से भी जाना जाता है। इसी तरह, ‘एकेंथोफिस रगोसस’ ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी हिस्सों और न्यू गिनी द्वीप में पाया जाने वाला एक बेहद जहरीला सांप है, जिसे उसके त्रिकोणीय सिर और विशिष्ट रूप से खुरदरे शल्क के कारण ‘रफ-स्केल्ड डेथ एडर’ के नाम से भी जाना जाता है। हमने जिन सांपों पर अध्ययन किया, उन्हें फ्रांस की राजधानी पेरिस में स्थित ‘वेनमवर्ल्ड’ नाम के संस्थान में रखा गया था। ‘वेनमवर्ल्ड’ में हमने एक छोटा-सा प्रयोग क्षेत्र बनाया, जो ‘कार्डबोर्ड’ की सतह वाले कई पारदर्शी ‘प्लेक्सीग्लास पैनल’ से लैस था। हमने अलग-अलग पैनल में अलग-अलग नस्ल का एक सांप रखा और उसे कृत्रिम भोजन स्रोत परोसा। यह भोजन स्रोत मेडिकल जेल का एक बेलनाकार टुकड़ा था, जिसे 38 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर गर्म किया गया था, ताकि यह उन जीवों को शिकार जैसा लगे, जो ऊष्मा को भांपने में सक्षम हैं। हर पैनल के पास अलग-अलग कोण पर दो उच्च गति और शानदार रेजोल्यूशन वाले कैमरे लगाए गए थे, जिन्होंने भोजन स्रोत पर सांप के हमले को 1,000 फ्रेम प्रति सेकंड की दर से रिकॉर्ड कर लिया।
दो अलग-अलग कोण से रिकॉर्ड किए गए इन फुटेज की मदद से हमने शिकार पर सांप के हमले के तरीकों का 3-डी मानचित्र तैयार किया, ताकि इसके विभिन्न घटकों, मसलन-आक्रमण की तीव्रता, अवधि, कोण और सांप के जबड़े कितनी तेजी से खुले, का विस्तार से अध्ययन किया जा सके। कुल मिलाकर हमने शिकार पर सांप के हमलों के 108 वीडियो बनाए। यानी अध्ययन में शामिल प्रत्येक प्रजाति के तीन-तीन वीडियो। ------हमले के तरीके में अंतर------ हमने सांप की जिन नस्लों पर अध्ययन किया, उनके शिकार पर हमला करने के तरीके में काफी अंतर था। ‘वाइपरिडे’ परिवार के सांपों ने शिकार को सबसे तेजी से डसा। अध्ययन के दौरान उन्हें 4.5 मीटर प्रति सेकंड से अधिक रफ्तार से शिकार की तरफ भागते और फिर अपने सुई जैसे नुकीले दांतों से उसे दबोचते देखा गया। जब तक दांत शिकार में गहराई तक नहीं घुस जाते, तब तक ‘वाइपरिडे’ परिवार के सांप उन्हें बार-बार निकालते हैं और फिर से धंसाते हैं। एक बार जब दांत गहराई तक घुस जाते हैं, तो वे अपने जबड़े बंद कर लेते हैं और फिर जहर छोड़ते हैं। अध्ययन में शामिल ‘वाइपरिडे’ परिवार के लगभग 84 फीसदी सांपों ने 90 मिलीसेकंड से भी कम समय में अपने शिकार को दबोच लिया। यह अचानक हमले के शिकार किसी स्तनपायी के औसत प्रतिक्रिया समय से कहीं तेज है। स्तनपायी जीव जंगल में ‘वाइपरिडे’ परिवार के सांपों का पसंदीदा शिकार होते हैं। दूसरी ओर, ‘केप कोरल कोबरा’ या ‘एस्पिडेलैप्स लुब्रिकस’ जैसे ‘एलापिडे’ परिवार के सांप अध्ययन के दौरान रेंगकर शिकार तक पहुंचते और फिर उसे झपटकर कई बार डसते नजर आए। इस दौरान उनके जबड़े की मांसपेशियां अकड़ती दिखीं, जिससे दांत जहर छोड़ने लगे। वहीं, ‘मैनग्रोव स्नेक’ या ‘बोइगा डेंड्रोफिला’ जैसे ‘कोलुब्रिडे’ परिवार के सांप-जिनके दांत बेहद नुकीले और मुंह में पीछे की तरफ होते हैं-अध्ययन के दौरान काफी दूर से ही शिकार की ओर झपटते दिखाई दिए। एक बार शिकार को जबड़ों से दबोच लेने के बाद वे उसे चीरते हुए अपने दांतों से उसमें जहर छोड़ते हैं। हमारे पिछले शोध ने इस बात पर प्रकाश डाला था कि साँपों के विषदंतों का आकार शिकार को लेकर उसकी प्राथमिकता से कितना जुड़ा होता है। अब हम दिखा सकते हैं कि वे पलक झपकते ही इन घातक हथियारों का इस्तेमाल कैसे करते हैं - और वे पृथ्वी पर इतने लंबे समय तक जीवित क्यों रह पाए हैं।