चालीस के बाद भी कैसे रहें चुस्त-दुरुस्त, डॉक्टर से जानें 7 खास बातें
By लोकमत न्यूज़ ब्यूरो | Updated: October 21, 2018 11:00 IST2018-10-21T11:00:50+5:302018-10-21T11:00:50+5:30
अधिक खाना, तला व वसायुक्त भोजन, मांसाहारी भोजन का अधिक मात्र में सेवन अधिक पका हुआ खाना जिससे पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं।

चालीस के बाद भी कैसे रहें चुस्त-दुरुस्त, डॉक्टर से जानें 7 खास बातें
(अशोक कुमार श्रीवास्तव)
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि कुल पंद्रह कारण हैं जिनके कारण चालीस वर्ष तक पहुंचते-पहुंचते न केवल व्यक्ति विभिन्न प्रकार की बीमारियों से घिरने लगता है। वरन समय से पहले ही बूढ़ा दिखाई देने लगता है। जानिए उन कारणों को। साथ ही, अधिक पानी, कम खाना, फल तथा फलों का रस आदि स्वस्थ रहने के रहस्य बताए गए हैं।
ये कारण हैं
अधिक खाना, तला व वसायुक्त भोजन, मांसाहारी भोजन का अधिक मात्र में सेवन अधिक पका हुआ खाना जिससे पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
भोजन का गलत तालमेल, बासी खाना, पानी कम पीना, व्यायाम की कमी, धूप से मिलते विटामिन डी की कमी, अनियमित खाना, कम सोना तथा व्यायाम, धूम्रपान अधिक मद्यसेवन, अपनी उम्र के साथ खान-पान में उचित बदलाव न करना, तनाव, जीवन के प्रति उदासीनता व अपने प्रति लापरवाही।
अत: उचित आहार इसमें अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह करता है। कुछ विशेष आहार आप अपने आहार में शामिल करें:
1. दही
चालीस वर्ष की अवस्था से ही हाजमे में गड़बड़ी देखने को मिलती है। किसी को कब्ज तो किसी की पाचन क्रिया क्षीण हो जाती है। जो अपने सेहत के प्रति सचेत होते हैं, उचित आहार को अपनाते हैं, वे इस प्रकार की शिकायतों से यथासंभव दूर रहते हैं। दूध व मलाई आदि से बनी सामग्री का त्याग कर केवल मलाई रहित दही उपयोग में लाएं तो इससे बेहतर कुछ नहीं क्योंकि दही न केवल आपका हाजमा ठीक रखता है वरन यथासंभव पेट की आंतड़ियों को भी स्वस्थ रखता है।
ये भी पढ़ें: दुनिया के 5 सबसे जहरीले पौधे, इन्हें छूने पर एक मिनट में हो सकती है मौत
2. शहद
शहद एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जो 100 वर्षो तक अपनी पौष्टिकता बरकरार रख सकता है। यह पाचनक्रिया के लिए न केवल श्रेष्ठ है वरन् शक्तिवर्धक भी है। दमकते चेहरे के लिए या मोटापा कम करने के लिए इसे आप दूध-सलाद, नींबू के साथ भी उचित तालमेल बिठाते हुए आहार में शामिल कर सकते हैं।
3. विटामिन बी
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि विटामिन-बी का होना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि यह आपको यथासंभव जवान रखने में सहायक सिद्ध होता है, सफेद बाल होने की शिकायत को दूर करता है, मांसपेशियां दर्द होने की शिकायत नहीं होती, मुंह के अंदर छाले आदि की शिकायत से दूर रह सकते हैं। बादाम, आडू, सूखे मेवे, टमाटर, सेब, ज्वार में इसके उत्तम गुण पाए जाते हैं। इनको आप अपने आहार में प्रयोग करें।
4. विटामिन सी
हमारे जीवन का रक्षक तथा जवां होने के राज का श्रेय आप निश्चित रूप से विटामिन-सी को ही दे सकते हैं। इसी के कारण आप न केवल चुस्त-दुरुस्त व जवान दिखते हैं वरन् स्वयं को हल्का महसूस करते हैं। यह विभिन्न प्रकार की बीमारियों से आपको यथासंभव दूर रखता है। विभिन्न प्रकार की बीमारियों से लड़ने की प्रतिरोधक शक्ति शरीर में बनाए रखता है। विभिन्न संक्रामक रोगों से वंचित रखता है। अत: आंवला, नींबू, जैसे विटामिन-सी से भरपूर फलों को अपने आहार में शामिल करें।
5. धूप
चूंकि मनुष्य प्रकृति का अभिन्न रूप है, इसलिए धूप व पानी उसके लिए अनिवार्य माने गए हैं। धूप में विटामिन डी मिलता है। इसमें भी ध्यान रखने वाली बात है कि दोपहर का धूप न हो। प्रात:कालीन सैर के साथ-साथ सुबह की धूप लेना अनिवार्य है। चालीस वर्ष के पश्चात व्यक्ति को अपने दांत व हड्डियों के प्रति विशेष सतर्क रहने की आवश्यकता है। रागी, चना, दाल, सोयाबीन, ताजी हरी पत्तियों वाली सब्जियां मछली का तेल इसके लिए उचित माना गया है।
6. विटामिन ई
जवान रहने के लिए विटामिन-ई शरीर के लिए अनिवार्य माना गया है। इससे न केवल शरीर की त्वचा स्वस्थ आभायुक्त रहती है वरन् इसमें कैंसर रोधक क्षमता भी पाई गई है। चालीस वर्षीय व्यक्ति को प्रतिदिन 300 से 400 मि. ग्राम तक विटामिन-ई की खुराक लेनी चाहिए चाहे वह दवा के रूप में हो या प्राकृतिक खाद्य पदार्थो के द्वारा हो। पुरुषों से अधिक महिलाओं को इसकी आवश्यकता होती है। इन विटामिनों को अपने आहार में शामिल करने से पूर्व एक बार अपने डॉक्टर या डाइटीशियन से परामर्श अवश्य लें क्योंकि अनुचित मात्र में विटामिन लेना हानिकारक भी हो सकता है।
7. लौह तत्व (आयरन)
चालीस वर्ष के बाद मोटापा, जोड़ों का दर्द, मांसपेशियों का दर्द, सांस लेने में तकलीफ, पीलापन आदि शरीर में लौह तत्व की कमी कारण जिसे आप, खजूर, हरी सब्जियां, सोयाबीन, खसखस द्वारा प्राकृतिक रूप से दूर कर सकते हैं किंतु दवा के रूप में लेने से पूर्व डॉक्टर से परामर्श की आवश्यकता है।
इसके अतिरिक्त चीनी व नमक दोनों ही आहार में कम करने की जरूरत है।



