पुरानी से पुरानी बादी बवासीर को जड़ से खत्म कर सकती हैं ये 5 चीजें

By उस्मान | Updated: October 3, 2019 14:45 IST2019-10-03T14:45:45+5:302019-10-03T14:45:45+5:30

Diet Tips for Piles: डॉक्टरों का यह भी मानना है कि यदि किसी व्यक्ति को वर्ष में कई बार बवासीर हो जाए और वह उसका सही इलाज ना कराया जाए, तो यह बीमारी मलाशय के कैंसर का कारण बन सकती है। 

Home remedies for piles, bawaseer, hemorrhoids, diet plan for piles, foods eat and avoid during piles in Hindi | पुरानी से पुरानी बादी बवासीर को जड़ से खत्म कर सकती हैं ये 5 चीजें

पुरानी से पुरानी बादी बवासीर को जड़ से खत्म कर सकती हैं ये 5 चीजें

बवासीर को आम भाषा में पाइल्स एवं अर्श रोग भी कहा जाता है। यह एक तकलीफदेह रोग है जो गंभीर कब्ज के कारण होता है। इसमें मलद्वार में असहनीय दर्द, चुभन, मस्से, घाव, जलन आदि हो जाती हैं। डॉक्टरों का यह भी मानना है कि यदि किसी व्यक्ति को वर्ष में कई बार बवासीर हो जाए और वह उसका सही इलाज ना कराया जाए, तो यह बीमारी मलाशय के कैंसर का कारण बन सकती है। 

बवासीर दो तरह की होती है खूनी बवासीर और बादी बवासीर। खूनी बवासीर में किसी प्रकार की तकलीफ नही होती है केवल खून आता है। शुरुआत में यह केवल बाहर आने वाले मल पर लगकर आता है लेकिन अधिक बिगड़ने पर मल स्थान से केवल खून ही निकलने लगता है।

गुदा के मुख में छोटे-छोटे अंकुर (मस्से) होते हैं, इनमें से एक, दो या अनेक मस्से फूलकर बड़े हो जाएं तो इस स्थिति को आयुर्वेद ने 'अर्श' कहा है। ये मस्से पहले कठोर होना शुरू होते हैं, जिससे गुदा में कोचन और चुभन-सी होने लगती है। ऐसी स्थिति में मल विसर्जन करते समय तो भारी पीड़ा होती है। यह बादी बवासीर होती है। 

बवासीर के कारण

बवासीर होने का प्रमुख कारण है लम्बे समय तक कठोर कब्ज बना रहना। सुबह-शाम शौच न जाने या शौच जाने पर ठीक से पेट साफ न होने और काफी देर तक शौचालय में बैठने के बाद मल निकलने या जोर लगाने पर मल निकलने या जुलाब लेने पर मल की स्थिति को कब्ज होना कहते हैं।

1) सोआ  
सोआ में फाइबर की उच्‍च मात्रा होती है साथ ही इसमें कुछ फ्लैवोनोइड्स भी होते हैं जो जीवाणुनाशक के रूप में जाने जाते हैं। इसके अलावा सोआ मैग्‍नीशियम जैसे खनिज पदार्थों का स्रोत होता है। यदि आपको पेट से संबंधित किसी प्रकार की बीमारी जैसे दस्‍त, कब्‍ज, पेट दर्द, बवासीर आदि है तो यह आपकी मदद कर सकता है।  

2) अमरूद 
अमरूद में पर्याप्त मात्रा में फाइबर पाया जाता है। यह बवासीर और कब्ज जैसी बीमारियों से बचाता है जो की गर्भावस्था के दौरान अक्सर हो जाती हैं। यह फल पेट मे घुट्टी की तरह काम करता है और पाचन क्रिया में आने वाली तकलीफों को दूर करता है। इस दौरान महिलाओं की पाचन क्रिया का सही होना बहुत आवश्यक होता है जिसमे यह फल सहायक होता है।


 
3) पपीता 
पपीते को एक लैक्सेटिव के रूप में जाना जाता है, जो मल त्याग में सुधार करने और कब्ज़ से राहत दिलाने में सहायक है। इसके पत्तों का रस पीने से भी पेट संबंधी परेशानियों से बचने में मदद मिलती है। 

4) जिमीकंद
इसके लिए जिमीकंद को भूनकर पीसकर दही के साथ प्रतिदिन सेवन करने करना चाहिए। इससे बवासीर में खून का गिरना बंद हो जाता है। जिमीकंद के सेवन से पेट के कीड़े भी मरते हैं और कब्ज से राहत मिलती है।

5) कैस्टर ऑयल

एक चम्मच कैस्टर ऑयल लें और उसे पेट के चारों तरफ लगाएं और नाभि के चारो तरफ ज्यादा लगाएं। ऐसा दिन में 2 बार करें। इससे मांसपेशियों में खिंचाव कम होता है और मल आसानी से निकल जाएगा।

6) बीटाडीन
डॉक्टर बवासीर का इलाज करने के लिए गर्म पानी के सेक को सबसे बेहतर उपाय मानते हैं। इसके लिए आपको बीटाडीन लिक्विड लेना चाहिए। यह एक एंटीबायोटिक लिक्विड है। सबसे पहले एक बाथ टब में गर्म पानी भर लें। इसके बाद उसमें एक ढक्कन बीटाडीन लिक्विड डालें और उसे अच्छी तरह मिक्स कर लें। 

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