स्वस्थ लंबे जीवन के लिए 40 की उम्र के बाद हर व्यक्ति को कराने चाहिए ये 6 मेडिकल टेस्ट
By उस्मान | Published: December 13, 2019 11:49 AM2019-12-13T11:49:24+5:302019-12-13T11:49:24+5:30
इस उम्र में त्वचा में ढीलापन आना, हड्डियां कमजोर होना, इम्युनिटी सिस्टम कमजोर होना आदि समस्याओं का ज्यादा खतरा होता है।
उम्र बढ़ने के साथ-साथ शरीर कमजोर होने लगता है और बीमारियों का खतरा भी बढ़ने लगता है। खासकर 40 की उम्र के बाद कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करते हैं। इस उम्र में त्वचा में ढीलापन आना, हड्डियां कमजोर होना, इम्युनिटी सिस्टम कमजोर होना आदि समस्याओं का ज्यादा खतरा होता है। स्वस्थ रहने और किसी भी बीमारी का बेहतर इलाज कराने के लिए उसके लक्षणों की समय पर पहचान जरूरी है।
मेडिकल एक्सपर्ट इसका सबसे बेस्ट तरीका 'मेडिकल टेस्ट' को मानते हैं। ऐसा कहा जाता है कि समय पर मेडिकल टेस्ट कराने से बीमारियों के संकेत और लक्षणों की सही पहचान की जा सकती है और इससे सफल इलाज में मदद मिल सकती है।
इस उम्र में डाइट, एक्सरसाइज और मेडिकल जांच पर बेहद ध्यान देना चाहिए। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार आपको 40 की उम्र के बाद आपको नीचे बताए गए मेडिकल टेस्ट करवाने चाहिए।
प्रोस्टेट कैंसर के लिए टेस्ट
सभी पुरुषों को 40 साल की उम्र के बाद प्रोस्टेट कैंसर के लिए टेस्ट कराना चाहिए। इस टेस्ट को प्रोस्टेट-स्पेसिफिक एंटीजन (पीएसए) कहते हैं। यह ब्लड टेस्ट प्रोस्टेट कैंसर के जोखिम का आकलन करता है। पीएसए लेवल 4 सामान्य है, लेकिन इसका लेवल बहुत ज्यादा बढ़ना खतरनाक हो सकता है।
मैमोग्राम टेस्ट
इस उम्र में सभी महिलाओं को मैमोग्राम टेस्ट कराना चाहिए। इससे ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों को पहचानने में मदद मिल सकती है। इस टेस्ट को हर दो साल में कराया जा सकता है। किसी भी असामान्य रिपोर्ट या उच्च जोखिम वाले कारकों के मामले में, आपका डॉक्टर आपको अधिक बार परीक्षण दोहराने के लिए कह सकता है।
कैल्शियम के लिए टेस्ट
यह रक्त परीक्षण हड्डी के चयापचय को मापता है। यह रजोनिवृत्ति के बाद की महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इससे ऑस्टियोपोरोसिस के विकास जोखिमों का पता लगाया जा सकता है।
यूरिक एसिड टेस्ट
यह गाउट (पैर की उंगलियों और टखनों की दर्दनाक सूजन) का पता लगाने के लिए एक रक्त परीक्षण है। रक्त में यूरिक एसिड का उच्च स्तर गाउट का संकेत देता है। अगर आपको जोड़ों में अक्सर दर्द महसूस होता है, तो आप यह टेस्ट जरूर करायें।
स्टूल ऑक्युट टेस्ट
यह टेस्ट मल में छिपे रक्त की पहचान के लिए किया जाता है। यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका मतलब पेट, आंत या मलाशय में रक्तस्राव हो सकता है। इससे आपको समय पर लक्षणों का इलाज कराने में मदद मिल सकती है।
कोलोनोस्कोपी
यह टेस्ट 50 साल की उम्र के बाद जरूरी है। इससे पेट के कैंसर का पता लगाने में मदद मिलती है। इसके जरिये बृहदान्त्र और मलाशय में पॉलीप्स या घावों के लक्षणों का पता लगाया जाता है। इलाज के दौरान घावों को हटा दिया जाता है और बायोप्सी की जाती है। आपका डॉक्टर जांच के लिए हर 3-5 साल में कोलोनोस्कोपी दोहराने का सुझाव दे सकता है। यदि परिणाम सामान्य हैं, तो टेस्ट हर दशक दोहराया जाना चाहिए।
इस बात का रखें ध्यान
एक्सपर्ट मानते हैं कि बेहतर जीवन के लिए शरीर का स्वस्थ होना बहुत जरूरी है। आपको इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि सिर्फ मेडिकल टेस्ट करवाना ही काफी नहीं है बल्कि हेल्दी लाइफस्टाइल जीना और हेल्दी डाइट लेना भी जरूरी है।