लैंसेट अध्ययन के अनुसार स्वास्थ्य की गुणवत्ता और पहुंच के मामले में 195 देशों की लिस्ट में भारत 145वें स्थान पर है। भारत अपने पड़ोसी देश चीन, बांग्लादेश और श्रीलंका से भी पीछे है। 1 फरवरी को मोदी सरकार अंतरिम बजट 2019 पेश करेगी। लोगों को इस बजट से स्वास्थ्य क्षेत्र में कुछ ठोस कदम उठाने की बहुत उम्मीद है।
1) 5 फीसदी बढ़ सकता है हेल्थ बजटएक रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा का बुनियादी ढांचा इतना खराब है कि इसमें प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं का भी अभाव है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि मोदी सरकार पिछले साल के 52,800 करोड़ रुपये के आवंटन से स्वास्थ्य बजट में 5 फीसदी वृद्धि कर सकती है।
2) आयुष्मान भारत योजनापिछले आम बजट में सरकार ने लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए और गरीबों को फ्री इलाज देने के लिए 'आयुष्मान भारत योजना' और पांच लाख तक का फ्री बीमा देने की घोषणा की थी। लेकिन ग्रामीण इलाकों में इस योजना का कोई खास लाभ नहीं पहुंचा है। इसका सबसे बड़ा कारण इलेक्ट्रिक उपकरणों का न उपलब्ध होना है। दूसरा, लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि इस योजना का लाभ कौन और कैसे उठा सकते हैं। इस बजट में सरकार इस तरह की किसी अन्य योजना की घोषणा कर सकती है।
3) ट्रामा एंड एमरजेंसी केयरसरकार पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर में ट्रामा और एमरजेंसी केयर को और ज्यादा मजबूत करने के लिए कुछ बड़ी घोषणा कर सकती है। ध्ययन बताते हैं कि भारत में आघात के कारण होने वाली मौतें कैंसर और दिल की बीमारियों के कारण होती हैं।
4) हेल्थ इंश्योरेंसमनी कंट्रोल के अनुसार, केवल 20 प्रतिशत भारतीयों का स्वास्थ्य बीमा है। केंद्र सरकार को स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी दर को मौजूदा 18 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत करना चाहिए, ताकि यह आम आदमी के लिए सस्ती हो सके।
5) गंभीर बीमारियों, ओपीडी उत्पादों और दवाओं पर जीएसटी में छूटहेल्थ एक्सपर्ट मानते हैं कि सरकार को इन चीजों पर जीएसटी में छूट देनी चाहिए। वर्तमान में, 18 प्रतिशत जीएसटी दर है जो बहुत ज्यादा है। इसी तरह, सरकार को डायबिटीज और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली दवाओं पर आयकर में छूट देनी चाहिए।