जंगली घास चांगेरी के फायदे : औषधीय गुणों का खजाना है चांगेरी का पौधा, हैजा बवासीर, डायरिया जैसे 10 रोगों से कर सकता है बचाव
By उस्मान | Published: March 11, 2021 12:31 PM2021-03-11T12:31:12+5:302021-03-11T12:31:12+5:30
यह छोटा सा पौधा आपको कहीं भी देखने को मिल सकता है, इसका स्वाद खट्टा होता है
धरती पर कई ऐसे पेड़-पौधे मौजूद हैं, जिनमें कई रोगों से लड़ने की क्षमता होती है। हालांकि ज्यादातर लोग तुलसी, गिलोय, अश्वगंधा जैसे पौधों के बारे में जानते हैं। ऐसा ही एक छोटा सा औषधीय पौधा चांगेरी है। इस छोटे-छोटे हरे पत्ते वाले पौधे को आपने जरूर देखा होगा।
आमतौर पर इसे जंगली घास माना जाता है क्योंकि यह कहीं भी उग जाता है। इसका स्वाद खट्टा-मीठा होता है और इस पर छोटे पीले रंग के फूल भी आते हैं। यह जंगली पौधा कई विकारों से बचाव में सहायक हो सकता है।
वेबएमडी के अनुसार इसका इस्तेमाल लिवर की समस्याओं, पाचन संबंधी समस्या, घाव, विटामिन सी की कमी (स्कर्वी) और मसूढ़ों में सूजन जैसे विकारों में हो सकता है। चांगेरी घास के पत्तों में कैरोटीन, ऑक्सालेट और कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। साथ ही यह विटामिन सी का भी अच्छा स्रोत है। चलिए जानते हैं इसे खाने से आपकी सेहत को क्या-क्या फायदे हो सकते हैं।
पेट और सिर दर्द में
चांगेरी का घरेलू इलाज पेट संबंधी समस्याओं के लिए बहुत ही लाभकारी होता है। 20-40 मिली चांगेरी के पत्ते के काढ़े में 60 मिग्रा भुनी हुई हींग मिलाकर सुबह शाम पिलाने से पेट दर्द से जल्दी आराम मिलता है। चांगेरी के रस और प्याज के रस को बराबर मात्रा में मिलाकर सिर पर लेप करने से सिरदर्द दूर हो जाता है।
मसूड़ों के रोग और मुंह की दुर्गन्ध में
चांगेरी के पत्तों के रस से कुल्ले करने से मसूढ़ों के न मिटने वाले रोग भी मिट जाते हैं। चांगेरी के 2-3 पत्तों को मुंह में पान की तरह रखने से मुंह की दुर्गंध मिट जाती है।
डायरिया में
अगर आप डायरिया की समस्या से पीड़ित हैं, तो आपको चांगेरी का घरेलू नुस्खा आजमाना चाहिए। यह छोटे-छोटे पत्ते पेचिश से भी राहत दिलाने में बहुत लाभकारी है। 2-5 मिली चांगेरी रस को दिन में दो बार पीने से दस्त और अतिसार में लाभ होता है।
पाचन शक्ति बनती है मजबूत
अगर आपको कम भूख लगती है, तो इसका मतलब है कि आपकी पाचन शक्ति कमजोर है। इस मामले में आपको चांगेरी के 8-10 पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से पाचन शक्ति (भोजन पचाने की क्रिया) ठीक होकर भूख बढ़ जाती है।
पेट दर्द और आंतरिक जलन में
40 से 60 ग्राम चांगेरी के पत्तों के काढ़े में भुनी हुई हींग और मुरब्बा मिलाकर सुबह-शाम रोगी को पिलाने से पेट दर्द ठीक हो जाता है। 5 से 7 पत्तों को ठण्डाई की तरह घोटकर उसमें मिश्री मिलाकर सुबह-शाम पीने से आंतरिक जलन मिट जाती है।
हैजा में
हैजा संक्रामक रोग होता है और इस बीमारी से शरीर में जल की मात्रा कम होने का खतरा होता है। चांगेरी का इस तरह से सेवन करने पर दस्त का होना रूक जाता है। 5-10 मिली चांगेरी रस में 500 मिग्रा काली मिर्च चूर्ण मिलाकर खिलाने से विसूचिका या हैजा में लाभ होता है।
बवासीर में
जो लोग ज्यादा मसालेदार और गरिष्ठ भोजन खाना पसंद करते हैं उनको कब्ज और बवासीर होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। चांगेरी तथा चित्रक के पत्तों के शाक को घी या तेल में भूनकर दही मिलाकर सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है।
चांगेरी के साइड इफेक्ट्स
यह पौधा बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं है। इसके अधिक इस्तेमाल से आपको दस्त, मतली, पेशाब में वृद्धि, त्वचा की प्रतिक्रिया, पेट और आंत में जलन, आंखों की क्षति और किडनी डैमेज का खतरा हो सकता है।
इसके अलावा इसके दुष्प्रभावों में मुंह, जीभ और गले की सूजन और सांस लेने में मुश्किल होना हो सकता है। इसलिए आपको इसका इस्तेमाल करने से पहले एक्सपर्ट्स की सलाह लेनी चाहिए।
गर्भावस्था के दौरान या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इससे मां और शिशु को खतरा हो सकता है। इसके अधिक सेवन से ब्लड-क्लॉटिंग का भी खतरा है।
इस पौधे का अधिक इस्तेमाल पेट और आंतों के अस्तर को परेशान कर सकती है और अल्सर को बदतर बना सकती है। इसके अलावा इसमें ऑक्सालिक एसिड क्रिस्टल किडनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं।