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ग्रीनपीस रिपोर्ट का दावा, 'भारत की 99 फीसदी से अधिक आबादी WHO द्वारा निर्धारित पीएम 2.5 से अधिक हवा में सांस ले रही है'

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: September 2, 2022 20:30 IST

ग्रीनपीस की ओर से जारी की गई "डिफरेंट एयर अंडर वन स्काई" रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में रहने वाले लोगों का सबसे बड़ा अनुपात WHO के दिशानिर्देश वाले पीएम 2.5 के पांच गुना से अधिक सांद्रता के संपर्क में रह रहे हैं।

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ठळक मुद्देभारत की 99 फीसदी से अधिक आबादी WHO के निर्धारित पीएम 2.5 से अधिक हवा में सांस ले रही हैदेश में 62 फीसदी गर्भवती महिलाएं सबसे अधिक प्रदूषित क्षेत्रों में रहती हैंपीएम 2.5 विश्लेषण के अनुसार दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण के लिए सबसे अधिक जोखिम वाला क्षेत्र है

दिल्ली: भारत की 99 फीसदी जनसंख्या बेहद प्रदूषित हवा में अपनी जिंदगी जी रही है। यह खुलासा ग्रीनपीस इंडिया के द्वारा जारी रिपोर्ट में किया गया है, जिसमें कहा गया है कि भारत की 99 प्रतिशत से अधिक आबादी WHO के निर्धारित पीएम 2.5 से अधिक हवा में सांस ले रही है।

ग्रीनपीस की "डिफरेंट एयर अंडर वन स्काई" शीर्षक से छपी रिपोर्ट में शुक्रवार को बताया गया है कि भारत में रहने वाले लोगों का सबसे बड़ा अनुपात WHO के दिशानिर्देश वाले पांच गुना से अधिक पीएम 2.5 की सांद्रता के संपर्क में है। इसने आगे कहा कि देश में 62 फीसदी गर्भवती महिलाएं सबसे अधिक प्रदूषित क्षेत्रों में रहती हैं, जबकि पूरी आबादी में लगभग 56 फीसदी लोग दमघोंटू हवा में सांस लेने के मजबूर हैं।

इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि वार्षिक औसत पीएम 2.5 विश्लेषण के अनुसार देश की राजधानी दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र प्रदूषण के लिए सबसे अधिक जोखिम वाला क्षेत्र है। रिपोर्ट के मुताबिक "खराब हवा के संपर्क में" सबसे ज्यादा खतरा वृद्ध, वयस्कों, शिशुओं और गर्भवती महिलाओं के समूहों को है।

WHO के मुताबिक पीएम 2.5 हवा में वह सूक्ष्म कण होते हैं, जो सांस के जरिये शरीर में प्रवेश करते हैं और इनके कारण फेफड़ों और श्वसन नाल में सूजन पैदा हो सकती है, जिससे कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली सहित हृदय और श्वसन संबंधी तमाम समस्याओं के पैदा होने का खतरा बना रहता है।

ग्रीनपीस की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को देश में मजबूत स्वस्थ्य वायु गुणवत्ता की निगरानी प्रणाली को विकसित करना चाहिए और प्रदूषित हवा के विषय में वास्तविक रियल टाइम डेटा को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराना चाहिए।

इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकार को खराब हवा के दिनों के लिए हेल्थ एडवाइजरी के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए 'रेड अलर्ट' भी जारी किया जाना चाहिए ताकि प्रदूषित हवा से जनता खुद को स्वास्थ्य रखने के लिए आवश्यक कदम उठा सके। सरकार पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रदूषकों को उत्सर्जन में कमी लाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

ग्रीनपीस का कहना है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर NAAQS में अवश्यक संशोधन की प्रक्रिया को निर्धारित किया जाना चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार अधिक पारदर्शी, व्यापक और मजबूत रणनीति बनाकर काम करे। लोग पहले से ही वायु प्रदूषण संकट के लिए एक बड़ी कीमत चुका रहे हैं।

ताजा रिपोर्ट के मुताबिक प्रदूषण के कारण भारत की मौजूदा स्वास्थ्य प्रणाली पर भारी असर पड़ रहा है और आज की तारीख में लोगों प्रदूषित हवा में सांस लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। ऐसे भयंकर हालात में सरकार को सुधार संबंधी कार्रवाई करने में देरी नहीं करनी चाहिए।" (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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