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बिहार: 'चमकी' बुखार से अब तक 142 की मौत, 16 जिलों में फैला, जानें इंसेफेलाइटिस के कारण, लक्षण, बचने के 4 तरीके

By उस्मान | Updated: June 21, 2019 17:07 IST

इंसेफेलाइटिस को 'चमकी' बुखार के नाम से भी जाना जाता है। यह दिमाग की सूजन है जिससे मरीज को तेज बुखार चढ़ता है और दिमाग का कामकाज प्रभावित होता है। एईएस के लक्षण फ्लू जैसे ही हैं जिसमें तेज बुखार के साथ सिरदर्द, थकान, मतली, सुस्ती, उल्टी और मांसपेशियों में ऐंठन होना शामिल हैं।

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बिहार के 16 जिलों में मस्तिष्क ज्वर से इस महीने की शुरुआत से 600 से अधिक बच्चे प्रभावित हुए हैं जिनमें से 136 की मौत हो गई। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने यह जानकारी दी। विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार एक जून से राज्य में एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के 626 मामले दर्ज हुए और इसके कारण मरने वालों की संख्या 142 पहुंच गई। मुजफ्फरपुर जिले में सबसे अधिक अब तक 117 की मौत हुई है। इसके अलावा भागलपुर, पूर्वी चंपारण, वैशाली, सीतामंढी और समस्तीपुर से मौतों के मामले सामने आये है।

इंसेफेलाइटिस को 'चमकी' बुखार के नाम से भी जाना जाता है। यह दिमाग की सूजन है जिससे मरीज को तेज बुखार चढ़ता है और दिमाग का कामकाज प्रभावित होता है। एईएस के लक्षण फ्लू जैसे ही हैं जिसमें तेज बुखार के साथ सिरदर्द, थकान, मतली, सुस्ती, उल्टी और मांसपेशियों में ऐंठन होना शामिल हैं। भारत में एईएस का सबसे बड़ा कारण जापानी बुखार या जापानी  इंसेफेलाइटिस वायरस है। इसके अलावा बैक्टीरिया, फंगस, परजीवी, कैमिकल्स, टॉक्सिन और स्पाइरोकेटस आदि भी इस बीमारी का कारण हैं। 

चमकी बुखार क्या है (What is Encephalitis)

चमकी बुखार या इंसेफेलाइटिस दिमाग की सूजन है जिसमें रोगी को तेज बुखार के साथ सिरदर्द होता है और दिमाग का कामकाज प्रभावित होता है। यह दो तरह का होता है जापानी बुखार (Japanese Encephalitis JE) और एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome AES)। जेई क्यूलेक्स (Cu-lex) मच्छर के काटने से होता है जबकि एईएस विभिन्न तरह के वायरस, बैक्टीरिया, फंगस, परजीवी और कैमिकल्स की वजह से होता है।

चमकी बुखार के लक्षण (Symptoms of Acute Encephalitis Syndrome)

चमकी बुखार या इंसेफेलाइटिस के मुख्य लक्षणों में थकान, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, बुखार, मतली, उल्टी, बेचैनी, कम दिखाई देना, बालों का झड़ना, कमजोरी, लकवा आदि शामिल हैं।  

चमकी बुखार का इलाज (Treatment of Acute Encephalitis Syndrome)

इस बीमारी के इलाज के लिए डॉक्टर एंटीवायरल दवाएं, एंटीइंफ्लेमेटरी दवाएं, बेड रेस्ट के साथ और तरल पदार्थों के सेवन की सलाह देते हैं। 

चमकी बुखार से ऐसे करें बचाव (Preventive Measures of Acute Encephalitis Syndrome)

इससे बचने के लिए आपको हमेशा वैक्सीन लेनी चाहिए। मच्छरों से बचाव करें और हमेशा शरीर के किसी हिस्से को खुला न छोड़ें। खाने से पहले और बाद में हाथों को अच्छी तरह धोएं। खानेपीने का विशेष ध्यान रखें क्योंकि कुपोषित बच्चों को इसका सबसे अधिक खतरा होता है।

1) खूब पानी पियेंगर्मियों में तेज धूप और पसीने बहने से शरीर में पानी की कमी होने लगती है जिससे डिहाइड्रेशन, लो ब्लड प्रेशर, सिरदर्द, थकान, भूख में कमी जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। आपको बता दें कि चमकी बुखार के लक्षण भी ऐसे ही हैं। इसलिए बच्चों को पानी पिलाते रहे। इससे उन्हें हाइड्रेट रहने और बीमारियों से बचने में मदद मिलेगी।

2) बच्चों को गर्मी से बचाएं देशभर में गर्मी का प्रकोप जारी है। गर्मी का सबसे ज्यादा असर बच्चों को ही होता है। तेज धूप और पसीना बहाने से शरीर में पानी की कमी होने लगती है। इतना ही धूप में जाने से सनबर्न का भी खतरा होता है। इसलिए किसी भी कीमत पर बच्चों को गर्मी से बचाएं। उन्हें धूप में न जाने दें और दिनभर कुछ ठंडे पेय पदार्थ देते रहें। 

3) शरीर को रखें ठंडाइस मौसम में शरीर को ठंडा रखना बहुत जरूरी है। इसके लिए आप बच्चों को ठंडे पानी से दिन में दो-तीन बार नहलाएं। इसके अलावा उन्हें ठंडी चीजें खानेपीने को दें। चीनी-नमक का घोल, छाछ, शिकंजी के अलावा तरबूज, खरबूज, खीरे जैसी चीजों का खूब सेवन करें। हालत गंभीर होने पर पारासिटामोल की गोली या सिरप भी दे सकते हैं।

4) ओआरएस का घोल भी है जरूरीवैसे तो आप बच्चों को तापमान बनाये रखने के लिए चीनी-नमक का घोल, छाछ, शिकंजी के अलावा तरबूज, खरबूज दे सकते हैं लेकिन इनके साथ आप उन्हें ओआरएस का घोल भी दे सकते हैं। इससे बच्चों को न सिर्फ ऊर्जा मिलती है बल्कि शरीर हाइड्रेट रहता है और गर्मी से बचाव होता है।

इस बात का रखें ध्यानचमकी बुखार के लक्षणों में लगातार कुछ दिनों तक तेज बुखार आना, शरीर में कभी ना ख़त्म होने वाली कमजोरी, शरीर में एंठन होना, सुस्ती, सिरदर्द, उल्टी,  कब्ज, बेहोशी, कोमा और लकवा आदि शामिल हैं। इस तरह का कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।

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