राष्ट्रीय कार्यक्रम के अंतर्गत डॉक्टरों को पैलिएटिव केयर का प्रशिक्षण
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 21, 2025 17:06 IST2025-08-21T17:01:13+5:302025-08-21T17:06:17+5:30
कैंसर, अंगों की गंभीर असफलता, एचआईवी और अन्य दीर्घकालिक रोगों से पीड़ित रोगियों को समग्र पैलिएटिव केयर प्रदान कर सकें।

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नई दिल्लीः स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, दिल्ली सरकार (GNCTD) ने दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट (DSCI), दिलशाद गार्डन, दिल्ली-95 के सहयोग से राष्ट्रीय पैलिएटिव केयर कार्यक्रम (NPPC) के अंतर्गत डॉक्टरों के लिए दूसरा दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम 20–21 अगस्त 2025 को सफलतापूर्वक आयोजित किया। पहला तीन दिवसीय प्रशिक्षण फरवरी 2025 में हुआ था और इसी प्रकार का तीसरा प्रशिक्षण सितंबर 2025 में आयोजित किया जाएगा। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य डॉक्टरों के ज्ञान और नैदानिक कौशल को सुदृढ़ करना था ताकि वे कैंसर, अंगों की गंभीर असफलता, एचआईवी और अन्य दीर्घकालिक रोगों से पीड़ित रोगियों को समग्र पैलिएटिव केयर प्रदान कर सकें।
कार्यक्रम के दौरान विशेषज्ञों ने निम्नलिखित विषयों पर विस्तृत सत्र लिए:
'पैलिएटिव केयर के सिद्धांत और दायरा', दर्द और लक्षण प्रबंधन तकनीकें,
नैतिक और मनो-सामाजिक पहलू,
डॉक्टर–मरीज़–परिवार के बीच प्रभावी संवाद और
'जीवन की अंतिम अवस्था में देखभाल तथा बहु-विषयक दृष्टिकोण'
डीएससीआई के पेन और पैलिएटिव केयर विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. विक्रम प्रताप सिंह ने कहा, “पैलिएटिव केयर स्वास्थ्य सेवाओं का अनिवार्य हिस्सा है, जो केवल मरीज़ों के लिए ही नहीं बल्कि उनके परिवारों के लिए भी उतना ही ज़रूरी है। यह प्रशिक्षण हमारे डॉक्टरों को दयालु और रोगी-केंद्रित देखभाल प्रदान करने में सक्षम बनाएगा और ज़रूरतमंदों के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर करेगा।”
डीएससीआई के संयुक्त निदेशक डॉ रविन्दर सिंह ने कहा, “इस पहल के माध्यम से हम प्रशिक्षित पेशेवरों का ऐसा समूह तैयार करना चाहते हैं, जो पैलिएटिव केयर को नियमित अस्पताल सेवाओं में समाहित कर सके, ताकि कोई भी मरीज़ उपचार के दौरान गरिमा और आराम से वंचित न रहे।”
यह आयोजन एनपीपीसी के अंतर्गत क्षमता निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो दिल्ली की सुलभ और किफ़ायती पैलिएटिव केयर सेवाओं को विस्तार देने की प्रतिबद्धता को मज़बूती प्रदान करता है। भगवान महावीर अस्पताल के डॉ. ललित मदान, जिन्होंने इस प्रशिक्षण में भाग लिया का कहना था कि, “हम हमेशा जीने की कला की बात करते हैं, लेकिन जब तक हम मरने की कला को कम से कम पछतावे के साथ नहीं सीखते, तब तक जीवन को पूर्णता के साथ नहीं जी सकते।” इस तरह का प्रशिक्षण हमारे जीने के नजरिए को बेहतरीन बनाता है।
