Coronavirus: कोरोना वायरस से बचने के लिए सिर्फ इन 2 तरीकों को ही कारगर मान रहे हैं एक्सपर्ट्स
By उस्मान | Updated: April 8, 2020 14:07 IST2020-04-08T14:07:40+5:302020-04-08T14:07:40+5:30
कुछ लोग अभी भी इन दो उपायों की धज्जियां उड़ा रहे हैं, जो आगे चलकर महंगा पड़ सकता है

Coronavirus: कोरोना वायरस से बचने के लिए सिर्फ इन 2 तरीकों को ही कारगर मान रहे हैं एक्सपर्ट्स
भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 5,194 हो गई और इस संक्रमण से मरने वालों का आंकड़ा 149 पर पहुंच गया। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बताया कि कोविड-19 के ऐेसे मामले जिनमें इलाज चल रहा है उनकी संख्या 4,643 है, 401 लोग इलाज के बाद ठीक हो चुके हैं और उन्हें छुट्टी दे दी गई है। एक मामले में मरीज दूसरे देश में चला गया। कुल मामलों में से 70 विदेशी नागरिक हैं।
कोरोना वायरस का कोई इलाज नहीं है। इससे बचने के सिर्फ दो ही तरीके है। पहला घर में रहना और दूसरा लोगों से 1.5 मीटर की दूरी बनाकर रखना। इन दो उपायों को तमाम डॉक्टर और एक्सपर्ट कारगर मान रहे हैं।
1) लॉकडाउन
एक्सपर्ट्स का मानना है कि लॉकडाउन कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने का सबसे कारगर उपाय है। ऐसा माना जाता है कि कोरोना का वायरस करीब दो हफ्तों तक जीवित रहता है। इस बीच जो भी इसके संपर्क में आता है, वो इससे संक्रमित हो जाता है। यही वजह है कि लगभग सभी देशों ने इस उपाय को अपनाया है ताकि इस चेन को तोड़ा जा सके।
2) कम से कम 1.5 मीटर की दूरी बनाकर रखना
लॉकडाउन होने के बावजूद लोगों को घर का सामान लेने बाहर जाना पड़ रहा है। ऐसे में जरूरी है कि आप कम से 1.5 मीटर की दूरी बनाकर रखें। कोरोनो वायरस व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तब फैलता है, जब कोई पीड़ित व्यक्ति खांसता या छींकता है। इसलिए संपर्क में आने वाले दूसरे लोगों को इसका अधिक जोखिम में हैं।
श्वसन की बूंदें आपके मुंह या नाक में जा सकती हैं। यह बूंदें आपके चेहरे पर रह सकती हैं और अगली बार जब आप अपना चेहरा छूते हैं, और फिर अपनी आंख या नाक को रगड़ते हैं, तो आप खुद को संक्रमित हो सकते हैं।
इन्फ्लूएंजा वायरस एक समान तरीके से फैलता है। एक अध्ययन से पता चलता है कि जब हेल्थकेयर कार्यकर्ता इन्फ्लूएंजा के 1।8 मीटर के रोगियों के भीतर होते हैं, तो उनके संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के हाल के एक प्रकाशन में कहा गया है कि यह वायरस मुख्य रूप से श्वसन की सुक्ष्म बूंदों और निकट संपर्कों के माध्यम से फैलता है और यह हवा में लंबे समय तक नहीं रहता है।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि श्वसन संक्रमण विभिन्न आकारों की सुक्ष्म बूंदों के माध्यम से फैल सकता है। छींक आदि से कणों से संक्रमण (ड्रॉपलेट ट्रांसमिशन) तब होता है जब आपका निकट संपर्क उस व्यक्ति के साथ (एक मीटर के भीतर) होता है जिसमें खांसी या छींकने जैसे श्वसन संबंधी लक्षण होते हैं जिससे ये आपके शरीर में इन सुक्ष्म बूंदों को फैला सकते है और इनका आकार आमतौर पर 5-10 माइक्रोन होता है।
अध्ययन में यह भी इशारा किया गया है कि सिर्फ दूरी को ही ध्यान में रखना काफी नहीं है। जब कोई व्यक्ति छींकता या खांसता है, तो छींक या खांसी के दौरान बाहर आईं ड्रॉपलेट का आकार अलग-अलग हो सकता है, तो उनके नष्ट होने में समय अलग-अलग हो सकता है। इसलिए कुछ ड्रॉपलेट के हवा में घंटों तक बने रहने का खतरा हो सकता है।
महाराष्ट्र में सबसे अधिक मामले
मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक मंगलवार से 25 लोगों की मौत हुई। इनमें से 16 लोगों की मौत महाराष्ट्र में तथा दिल्ली, पश्चिम बंगाल, हरियाणा और तमिलनाडु में दो-दो व्यक्ति की मौत और आंध्र प्रदेश में एक व्यक्ति की मौत हुई। कोरोना वायरस से सर्वाधिक 64 लोगों की मौत महाराष्ट्र में हुई। गुजरात और मध्य प्रदेश में 13-13 लोगों की मौत और दिल्ली में नौ लोगों की मौत हुई।
तेलंगाना, पंजाब और तमिलनाडु में सात-सात लोगों की मौत हुई। पश्चिम बंगाल में पांच लोगों की, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में चार-चार लोगों की मौत, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में तीन-तीन लोगों की मौत हुई है। जम्मू-कश्मीर और केरल में दो-दो लोगों की मौत हुई। बिहार, हिमाचल प्रदेश और ओडिशा में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई। कोविड-19 के सर्वाधिक 1018 मामले महाराष्ट्र से, तमिलनाडु में 690 मामले और दिल्ली में 576 मामले हैं।

