कोरोना वायरस ने एक महामारी का रूप ले लिया है। चीन से निकले इस घातक वायरस से दुनियाभर में अब तक 4,983 लोगों की मौत हो गई है और 134,768 लोग अभी भी प्रभावित हैं। मौत के इस वायरस से सबसे ज्यादा जान चीन में गई है, यहां 3,177 लोगों ने दम तोड़ा है। इसके बाद इटली में एक 1016, ईरान में 429 और स्पेन में 86 लोगों की मौत हुई है। भारत में कोरोना वायरस से एक व्यक्ति की मौत हो गई है और करीब 74 लोग संक्रमित हैं।
कोरोना वायरस जितनी तेजी से फैल रहा है, उतनी ही तेजी से इससे जुड़ीं कई गलतफहमियां भी फैल रही है। फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफोर्म पर कोरोना वायरस के इलाज, बचने के उपाय, जांच, खान-पान आदि को लेकर कई तरह के गलत मैसेज वायरल किये जा रहे हैं। जाहिर है ऐसे मैसेज पर आंख बंद कर फॉलो करने से आपकी जिंदगी खतरे में आ सकती है।
एक मैसेज में यह दावा किया जा रहा है कि कोई व्यक्ति दस सेकंड अपनी सांस को रोकर यह पता लगा सकता है कि वो कोरोना वायरस से पीड़ित है या नहीं। दूसरा, वायरस को फेफड़ों में जाने से रोकने के लिए आपको हर पंद्रह मिनट में पानी पीना चाहिए। मैसेज स्टैंडफोर्ड हेल्थकेयर द्वारा फैलाया जा रहा है। चलिए जानते हैं इन दावों में कितनी सच्चाई है।
दावा
ताइवान के कुछ एक्सपर्ट के अनुसार, 'एक गहरी सांस लें और 10 सेकंड तक रोककर रखें। यदि आप खांसी, जकड़न या बिना किसी परेशानी के सफलतापूर्वक ऐसा करते हैं, तो फेफड़ों में फाइब्रोसिस नहीं होता है। इसका मतलब यह है कि आपके शरीर में कोई संक्रमण नहीं है। आपको सुबह स्वच्छ हवा वाले वातावरण में ऐसा करना चाहिए।
सच्चाई
स्नोपेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, जब फेफड़ों की क्षमता कम हो जाती है, तो सांस को रोकना मुश्किल हो जाता है। दूसरा एक धारणा का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि 10 सेकंड तक सांस रोकने से स्वास्थ्य संबंधी किसी खतरे की पहचान की जा सकती है। एक्सपर्ट्स यह मानते हैं कि कोरोना वायरस पल्मोनरी फाइब्रोसिस (pulmonary fibrosis) का कारण बनता है।
कई कारक फेफड़ों के कार्य को कम कर सकते हैं, जिसमें एलर्जी, अस्थमा, पुरानी बीमारी और संक्रमण शामिल हैं। उदहारण के लिए सांस की जांच के लिए कई डॉक्टर समस्याओं की पहचान करने के लिए फेफड़ों की जांच करते हैं। सांस की किसी भी जांच में 10 सेकंड के लिए सांस रोकने का उपाय शामिल नहीं है। सांस को रोकना फाइब्रोसिस के लिए एक वैध परीक्षण नहीं है क्योंकि फाइब्रोसिस कोरोना वायरस का लक्षण नहीं है।
दावा
एंटीबायोटिक्स कोरोना वायरस को रोकने और इलाज में प्रभावी हैं।
सच्चाई
डबल्यूएचओ के अनुसार, एंटीबायोटिक्स कोरोना वायरस के खिलाफ काम नहीं करती हैं, यह सिर्फ बैक्टीरिया के खिलाफ प्रभावी हैं। यह वायरस है इसलिए इसकी रोकथाम या उपचार के लिए एंटीबायोटिक्स का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
दावा
कोरोना वायरस को हैंड ड्रायर से खत्म किया जा सकता है।
सच्चाई
डबल्यूएचओके अनुसार, यह बात पूरी तरह झूठ है। कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए हैंड ड्रायर्स कारगर नहीं हैं। इससे बचने के लिए आपको अक्सर अपने हाथों को अल्कोहल-बेस्ड सेनिटाइजर से साफ करना चाहिए या उन्हें साबुन और पानी से धोना चाहिए। एक बार जब आपके हाथ साफ हो जाते हैं, तो आपको कागज़ के तौलिये या गर्म हवा के ड्रायर का उपयोग करके उन्हें अच्छी तरह से सुखाना चाहिए।