ऑनलाइन गेम्स के चक्कर में बच्चे बन रहे हैं मानसिक रोगी, बिहार में 35 लाख से ज्यादा किशोर ऑनलाइन पैसे वाले गेम्स की गिरफ्त में
By एस पी सिन्हा | Updated: September 6, 2025 15:05 IST2025-09-06T15:04:49+5:302025-09-06T15:05:37+5:30
Online Games: केंद्र सरकार ने हाल ही में 155 ऐसे गेम्स पर प्रतिबंध लगा दिया है।

ऑनलाइन गेम्स के चक्कर में बच्चे बन रहे हैं मानसिक रोगी, बिहार में 35 लाख से ज्यादा किशोर ऑनलाइन पैसे वाले गेम्स की गिरफ्त में
Online Games: ऑनलाइन गेम्स अब बच्चों की पढ़ाई, कॅरियर और मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरा बन चुका है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ताजा रिपोर्ट ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 35 लाख से ज्यादा किशोर ऑनलाइन पैसे वाले गेम्स की गिरफ्त में हैं। इनमें से 25 लाख (करीब 70 फीसदी) बच्चे मानसिक बीमारी के शिकार हो चुके हैं। ऑनलाइन गेम्स में दांव लगाकर पैसे कमाने की लत ने बच्चों को इस कदर जकड़ लिया कि उन्होंने न सिर्फ अपना पॉकेट मनी गंवाया, बल्कि घर से चोरी और कर्ज लेकर भी इसमें पैसा झोंक दिया।
आंकड़े बताते हैं कि महज एक साल में बिहार के बच्चों ने 5 करोड़ रुपए से अधिक इन गेम्स में गवां दिए। गेम्स जीतने की चाह ने उन्हें लालच, तनाव और मानसिक अवसाद के गर्त में धकेल दिया। केंद्र सरकार ने हाल ही में 155 ऐसे गेम्स पर प्रतिबंध लगा दिया है।
लेकिन, इनकी लत से जकड़े बच्चे अब मानसिक तनाव में हैं। आयोग द्वारा 25 से 30 अगस्त के बीच कराए गए ऑनलाइन सर्वे में राज्य के 10 से 18 वर्ष आयु वर्ग के 35 लाख किशोर शामिल हुए। इसमें 25 लाख ने माना कि गेम्स बंद होने से उन्हें बेचैनी, तनाव और अवसाद जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यह रिपोर्ट अभिभावकों के लिए भी खतरे की घंटी है।
माता-पिता पहले से ही बच्चों की पढ़ाई को लेकर चिंतित रहते हैं, अब यह लत उनके कॅरियर को और अंधेरे में धकेल रही है। बच्चे समय से पहले पैसे कमाने की चाह में गेम्स पर ज्यादा समय देने लगे, जिससे पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पा रहे। परीक्षा परिणाम खराब होने पर वे और अधिक डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं।
बिहार में यह समस्या अब सिर्फ लत का मामला नहीं रही बल्कि मानसिक स्वास्थ्य संकट का रूप ले चुकी है। विशेषज्ञों का मानना है कि तुरंत काउंसलिंग और कड़े नियंत्रण के बिना स्थिति और भयावह हो सकती है। सवाल है कि जब ऑनलाइन गेम्स पर रोक लग चुकी है, तब बच्चों को इस खतरनाक लत से उबारने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जाएंगे?