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Ayurvedic Treatment Of Depression: कैसे करें उदासी और हीनभावना से भरे अवसाद को जीवन से दूर, जानिए यहां

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: March 19, 2024 07:00 IST

आयुर्वेद मनुष्य के स्वास्थ्य की देखभाल करने वाली वो प्राचीन प्रणाली जो न केवल शरीर, बल्कि मन और आत्मा की गहन जटिल समस्याओं का निदान करती है।

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ठळक मुद्देआयुर्वेद ने दुनिया की तेजी से बढ़ती मनोवैज्ञानिक बीमारियों का सफल उपचार पेश किया हैआयुर्वेद मनुष्य के विचार, मन और आत्मा से संबंधित जटिल समस्याओं का भी निदान करता हैअवसाद न केवल मनुष्य की भावनाओं को प्रभावित करती है बल्कि उसके चेतन मन को पीड़ा देती है

Ayurvedic Treatment Of Depression: भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद मनुष्य के स्वास्थ्य की देखभाल करने वाली वह प्राचीन प्रणाली है, जिसमें न केवल शरीर का उपचार किया जाता है, बल्कि आयुर्वेद में मन और आत्मा की जटिल समस्याओं का भी निदान किया जाता है। इसलिए आयुर्वेद ने दुनिया की तेजी से बढ़ती मनोवैज्ञानिक बीमारियों का सफल उपचार पेश किया है।

जैसा कि हम जानते हैं कि तनाव, चिंता और अवसाद न केवल भारत बल्कि विश्वव्यापी चिंताएं हैं, जो समय बीतने के साथ तेजी से बढ़ती जा रही हैं। इसी बात को मद्देनजर रखते हुए आज हम अवसाद को लेकर आयुर्वेद में बताए गये चिकित्सा उपायों के बारे में बात करेंगे।

क्या है अवसाद

अवसाद मानसिक से संबंधित स्वास्थ्य की वह चिंता है, जो व्यक्ति को लंबे समय तक उदास, अकेलापन और हीनभावना महसूस करवा सकती है। यही कारण है कि अवसाद मनुष्य के लिए बेहद कष्टदायी होती है।

अवसाद न केवल मनुष्य की भावनाओं को प्रभावित करती है बल्कि उसके चेतन मन को ज्ञात या अज्ञात कारणों से ऐसी परेशानी में डालती है कि उसे मानसिक पीड़ा होती है। वैसे तो अवसाद के लक्षण आमतौर पर मानसिक होते हैं, लेकिन गंभीर मामलों में यह पूरे शरीर के स्वास्थ्य को भी बुरी तरह से प्रभावित कर सकती है।

क्या है अवसाद के लक्षण

अवसाद की परिस्थितियों में मनुष्य का बेचैन होना, थोड़ा दुखी और तनावग्रस्त होना प्रमुख लक्षण हैं। इसके अलावा नींद न लगना, वर्तमान और भविष्य को लेकर भयावह कल्पनाएं करना। मनुष्य की सोच पर भय का हावी होना और शारीरिक तौर पर कमजोर होना और वजन का काम होना। यह अवसाद के ऐसे लक्षण हैं, जिन्हें आयुर्वेद मुख्य कारक मानता है।

आयुर्वेद कैसे करता है अवसाद का इलाज

आयुर्वेद अवसाद में मनुष्य को मुख्यतः तनाव और चिंता से लड़ने के लिए प्राकृतिक उपचार प्रदान करता है। तनाव के लिए दी गई आयुर्वेदिक दवाएं शरीर को स्वास्थ्य संबंधी अतिरिक्त लाभ भी देती हैं। यह नींद की कमी से राहत दिलाने, पेट से संबंधित समस्याओं को ठीक करने, मूड में सुधार करने और जीवन को प्रेरित करने में मदद करता है।

आयुर्वेद सदैव कहता है कि अवसाद दूर करने के लिए मनुष्य को संतुलित दिनचर्या और आहार बनाए रखना चाहिए क्योंकि दैनिक चर्या की गड़बड़ी से मनुष्य में मानसिक विकार पैदा हो सकते हैं। आप जिस प्रकार की समस्या विकसित करते हैं, वह पूरी तरह से उस दोष पर निर्भर करता है, जो शरीर में असंतुलित है।

अवसाद दूर करने के उपाय

अश्वगंधा

अश्वगंधा जड़ के अर्क से बना रसायन प्राकृतिक रूप से मनुष्य के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद करता है और अनिद्रा की शिकायत को भी दूर करने में सक्षम है। इसे एडाप्टोजेनिक पावरहाउस के रूप में भी जाना जाता है। ये दिमाग को शांत रखने में मदद करता है। इसका सेवन दूध या गर्म पानी के साथ किया जाता है। 

भृंगराज

भृंगराज ऐसी जड़ी है, जिसका चाय के रूप में सेवन किया जा सकता है। भृंगराज शरीर को डिटॉक्सिफाई करने में मदद करता है। यह मस्तिष्क को ऑक्सीजन की पूर्ति करने और ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाने में मदद करता है। जिससे मानसिक तनाव और चिंता की समस्या दूर होती है। इसके अलावा भृंगराज तेल को बालों में लगाने से रूसी और बालों के झड़ने की समस्या दूर होती है।

शतावरी

शतावरी में पोषक गुण मौजूद होते हैं एवं यह शरीर के लिए टॉनिक के रूप में कार्य करती है। इससे व्‍यक्‍ति के मन में प्रेम और भक्‍ति की भावना बढ़ती है। शतावरी का प्रयोग काढ़े या पाउडर के रूप में किया जाता है।

जटामासी

जटामासी एक तनाव-रोधी जड़ी बूटी है। इसकी जड़ों में चिकित्सकीय गुण पाए जाते हैं। यह तनावग्रस्त दिमाग को शांत करने में मदद करता है। यह दिमाग और शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त रखते हुए लाभ पहुंचाता है। यह मस्तिष्क के कार्यों को बढ़ावा देता है।

सारस्वतारिष्ट

सारस्वतारिष्ट में अदरक, सौंफ, शतावरी, हरीतकी, ब्राह्मी और अन्‍य जड़ी-बूटियों का मिश्रण होता है। यह मिश्रण बल और ह्रदय को शक्‍ति प्रदान करता है एवं इसमें दर्द निवारक और ऊर्जादायक गुण मौजूद होते हैं। ये याद्दाश्‍त, रोग प्रतिरोधक क्षमता और आयु को बढ़ाता है एवं नाड़ियों की सफाई करता है।

सारस्वतारिष्ट के प्रयोग से हर उम्र के लोगों की शक्‍ति और रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। इसके अलावा यह तीनों दोषों को संतुलित करती है, खासकर वात दोष के असंतुलन से पैदा हुए अवसाद को नियंत्रित करने में इसकी विशेष भूमिका होती है।

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