किडनी की पथरी के अलावा किडनी के 350 रोगों का इलाज कर सकती हैं ये 3 जड़ी बूटियां
By उस्मान | Published: May 31, 2019 10:42 AM2019-05-31T10:42:10+5:302019-05-31T10:42:10+5:30
भारत में 14 फीसदी महिलाएं और 12 फीसदी पुरूष किडनी की समस्या से पीड़ित हैं। एलोपैथी में किडनी की बीमारी के उपचार के लिए सीमित संभावना है। उपचार महंगा भी है और पूरी तरह सफल भी नहीं होता।
भारत में 14 फीसदी महिलाएं और 12 फीसदी पुरूष किडनी की समस्या से पीड़ित हैं। अगर पूरी दुनिया की बात करें, तो 19.5 करोड़ महिलाएं किडनी से जुड़ीं विभिन्न समस्याओं से परेशान हैं। भारत में यह समस्या तेजी से बढ़ रही है और हर साल लगभग दो लाख लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं। देश में किडनी की समस्या से जूझ रहे अधिकतर मरीजों के लिए डायलिसिस जिंदगी का जरिया है।
किडनी डिजीज के लिए एलोपैथी में सीमित इलाज हैं और वो खाफी महंगे हैं। यही वजह है कि लोग अब वैकल्पिक तौर पर आयुर्वेदिक उपचार भी अपनाने लगे हैं। खास बात यह है कि वैज्ञानिक भी इसके विकल्पों की खोज में जुटे हैं। हालिया वैज्ञानिक अध्ययनों में दावा किया गया है कि पुनर्नवा, कमल के पत्ते और पत्थरचूर जैसे पारंपरिक औषधीय पौधे किडनी की बीमारी में रोकथाम में कारगर हो सकते हैं।
हालांकि पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के विशेषज्ञों का मानना है कि सावधानी से भोजन करने और व्यायाम के साथ जड़ी बूटी का सेवन बीमारी के बढ़ने की गति को धीमी कर सकती है और बीमारी के लक्षणों से निजात दिला सकती है।
पुनर्नवा का पौधा
हाल ही में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) द्वारा किए गए एक नए अध्ययन के मुताबिक, किडनी की समस्या से जूझ रही एक महिला को पुनर्नवा से बनाया गया सीरप एक महीने तक दिया गया जिससे उनके रक्त में क्रिएटिनिन और यूरिया का स्तर स्वस्थ स्तर पर आ गया।
कमल के पत्ते और पत्थरचूर का पौधा
इंडो अमेरिकन जर्नल ऑफ फार्मास्युटिकल रिसर्च में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में भी कमल के पत्ते, पत्थरचूर और अन्य जड़ी बूटियों सहित पुनर्नवा से बनायी गयी औषधि के प्रभाव का जिक्र किया है।
आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों पर डॉक्टरों की राय
बीएचयू के द्रव्यगुण विभाग के प्रमुख के एन द्विवेदी ने कहा कि नीरी केएफटी (सीरप) में औषधीय फार्मूलेशन कुछ हद तक डायलिसिस का विकल्प हो सकता है। दरअसल, एलौपैथी में किडनी की बीमारी के उपचार के लिए सीमित विकल्प होने के कारण आयुर्वेदिक औषधि पर जोर बढ़ रहा है।
सर गंगाराम अस्पताल में सीनियर नेफ्रोलॉजिस्ट मनीष मलिक ने कहा कि एलोपैथी में किडनी की बीमारी के उपचार के लिए सीमित संभावना है। उपचार महंगा भी है और पूरी तरह सफल भी नहीं होता। इसलिए, मलिक का कहना है कि पुनर्नवा जैसी जड़ी बूटी पर आधारित नीरी केएफटी की तरह की किफायती आयुर्वेदिक दवा नियमित डायलिसिस करा रहे मरीजों के लिए मददगार हो सकती है।