Ayurvedic Benefits Of Mustard Oil: उत्तेजना बढ़ाता है, जोड़ों के दर्द, गठिया में रामबाण इलाज है सरसों का तेल, जानिए आयुर्वेदिक नुस्खा

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 14, 2024 06:53 AM2024-03-14T06:53:31+5:302024-03-14T06:53:31+5:30

सरसों के तेल में कुछ ऐसे आयुर्वेदिक औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो फंगल इंफेक्‍शन के इलाज में उपयोगी हैं और इससे न केवल जुकाम दूर होता है बल्कि शरीर की इम्‍यु‍निटी भी बढ़ती है।

Ayurvedic Benefits Of Mustard Oil: Mustard oil increases excitement, is a panacea for joint pain and arthritis, know the Ayurvedic recipe | Ayurvedic Benefits Of Mustard Oil: उत्तेजना बढ़ाता है, जोड़ों के दर्द, गठिया में रामबाण इलाज है सरसों का तेल, जानिए आयुर्वेदिक नुस्खा

फाइल फोटो

Highlightsसरसों के तेल में ऐसे आयुर्वेदिक गुण पाए जाते हैं, जो फंगल इंफेक्‍शन के इलाज में बेहद उपयोगी हैं सरसों के तेल की मालिश से न केवल जुकाम दूर होता है बल्कि शरीर की इम्‍यु‍निटी भी बढ़ती हैसरसों के तेल की मालिश से शरीर में प्राकृतिक रूप से ऊर्जा का संचरण होता है

Ayurvedic Benefits Of Mustard Oil: सरसों का तेल एक ऐसी चीज़ है, जो हर भारतीय के घरों में पाया जाता है। हम सभी ने अपने जीवन में सरसों के तेल के साथ मजबूत रिश्ते का अनुभव किया है इसलिए हम जानते हैं कि यह तेल कितना उपयोगी और फायदेमंद है। हम सभी ने अपने घरों में पकने वाले व्यंजनों में सरसों के तेल का उपयोग होते हुए देखा होगा।

लेकिन क्या आप जानते हैं खाने में इस्तेमाल होने वाले सरसो के तेल से आपकी त्वचा, बालों, जोड़ों के दर्द का भी ठीक हो सकता है। इसके अलावा सरसों के तेल में कुछ ऐसे औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो फंगल इंफेक्‍शन के इलाज में उपयोगी हैं और इससे जुकाम दूर होता है और शरीर की इम्‍यु‍निटी भी बढ़ती है।

जी हां, भारतीय चिकित्सा शास्त्र आयुर्वेद में सरसों के तेल का इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद माना जाता है।

आयुर्वेद के अनुसार शरीर अपना निदान विशेष जैविक ऊर्जा प्रकारों से करता है, जिन्हें दोष कहा जाता है। इन दोषों को वात, पित्त और कफ के नाम से जाना जाता है। मनुष्य की सारी शारीरिक, मानसिक और यहां तक ​​कि आध्यात्मिक क्रियाएं इन दोषों की परस्पर संतुलन से निर्धारित होती है।

आयुर्वेद में सरसों के तेल का उपयोग कफ और वात को कम करने और पित्त को बढ़ाने के लिए किया जाता है। आयुर्वेद में कई ऐसी औषधियां हैं, जिनके निर्माण में सरसों के तेल का उपयोग किया जाता है।

सरसों में कौन से तत्व पाये जाते हैं

सरसों के तेल में 60 फीसदी मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड (एमयूएफए),  42 फीसदी इरूसिक एसिड, 12 फीसदी ओलिक एसिड के साथ लगभग 21 फीसदी पॉलीअनसेचुरेटेड फैट (पीयूएफए) के अलावा 6 फीसदी ओमेगा-3 अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (एएलए) और 15 फीसदी ओमेगा-6 लिनोलिक एसिड (एलए)) पाया जाता है।

सरसों के तेल में मिलने वाले ओमेगा-3 और ओमेगा-6 बाजार में उपलब्ध कई अन्य तेलों की तुलना में स्वास्थ्य के लिए अधिक फायदेमंद होती हैं।

सरसों के तेल के फायदे

खांसी, सर्दी को कम करता है

प्राचीन काल से सरसों के तेल का उपयोग सर्दी, खांसी और अन्य श्वसन संबंधी बीमारियों और एलर्जी से राहत पाने के लिए किया जाता है। सरसों के तेल का भाप लेने से श्वसन संबंधी रुकावटें दूर होती हैं।

इसके अलावा सरसों के तेल में लहसुन की कुछ कलियां और एक चम्मच अजवाइन को गर्म करके बनाया गया मिश्रण से  पैरों और छाती पर मालिश करने से सर्दी और खांसी से बहुत ज्यादा राहत मिलती है। इसके अलावा साइनसाइटिस से पीड़ित मरीजों पर भी सरसों का तेल सकारात्मक प्रभाव दिखाई देता है।

जोड़ों के दर्द और त्वचा संक्रमण के इलाज में प्रभावी है

आयुर्वेद कहता है कि सरसों का तेल पूर्णतः प्राकृतिक दर्द निवारक है। यह सूजन को तुरंत कम करता है और इसके मालिश से जोड़ों से संबंधित परेशानी दूर होती है। चूंकि यह तेल सूजनरोधी गुणों से भरपूर है और पूरे शरीर में रक्त के प्रवाह को उत्तेजित करता है, इसलिए इसके रोजाना मालिश करने से गठिया के दर्द से बहुत राहत मिलती है।

इसके अलावा सरसों के तेल में शक्तिशाली जीवाणुरोधी और एंटीफंगल गुण भी होते हैं, जिसके उपयोग से विभिन्न प्रकार की त्वचा की बीमारियों के इलाज के लिए किया जा सकता है, जिसमें चकत्ते, खुजली, एलर्जी जैसी बीमारियां शामिल हैं।

प्राकृतिक उत्तेजक है सरसों का तेल

सरसों का तेल एक अत्यंत शक्तिशाली उत्तेजक है। इसका उत्तेजक प्रभाव शरीर में शारीरिक और तंत्रिका तंत्र की गतिविधि को बढ़ाता है, जिससे मनुष्य की ऊर्जा में वृद्धि होती है। इसके अलावा सरसों के तेल का सेवन करने से लीवर और प्लीहा पित्त और पाचक रस छोड़ते हैं, जो पाचन तंत्र को बेहतर बनाते हैं।

रक्त परिसंचरण सुधारता है सरसों का तेल

सरसों के तेल से शरीर की आयुर्वेदिक मालिश करने से रक्त प्रवाह बढ़ात है और उससे त्वचा की बनावट और मांसपेशियों के तनाव में सुधार होता है। यह पसीने की ग्रंथियों को भी उत्तेजित करती है, जिससे शरीर का प्रदूषण बाहर निकालता है। इसके परिणामस्वरूप सरसों तेल के प्राकृतिक मालिश से शरीर शुद्ध होता है और हमारे रक्त परिसंचरण को बढ़ावा देता है।

फटी एड़ियों, नाखूनों को स्वस्थ बनाता है सरसों का तेल

फटी हुई एड़ियों में सरसों के तेल से मालिश करने पर राहत मिलती है। इसके अलावा नाखून फटने या सर्दियों में त्वचा की सिकुड़न में सरसों का तेल लगाने से जादुई परिणाम मिलते हैं। यदि सर्दियों में मनुष्य के पास केवल थोड़ी मात्रा में सरसों का तेल है, तो उसे किसी और चीज़ पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं है।

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