दिल्ली एम्स ने ‘सुरक्षित बालकनी, सुरक्षित बच्चा’ अभियान चलाया, जानें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान का क्या है मकसद
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 19, 2022 21:19 IST2022-11-19T21:18:28+5:302022-11-19T21:19:45+5:30
अध्ययन के अनुसार, 12 साल से कम उम्र के बच्चों में रोकी जा सकने वाली मौतों का सबसे प्रमुख कारण ऊंचाई से गिरना ज्यादातर मामलों में बालकनी से गिरना है।

लोग हमसे जुड़ें और इसे एक राष्ट्रीय अभियान बनाएं।
नई दिल्लीः एम्स-दिल्ली ने बालकनी से गिरने से जुड़ी बच्चों की मौत को लेकर जागरूकता अभियान शुरू किया है। रोकी जा सकने वालीं इन मौतों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिये दिल्ली एम्स ने ‘सुरक्षित बालकनी, सुरक्षित बच्चा’ अभियान चलाया है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स-दिल्ली)के एक अध्ययन में दावा किया गया है कि भारत में 12 साल से कम उम्र के बच्चों का एक बड़ा कारण उनका ऊंचाई से गिरना है। अध्ययन के अनुसार, 12 साल से कम उम्र के बच्चों में रोकी जा सकने वाली मौतों का सबसे प्रमुख कारण ऊंचाई से गिरना ज्यादातर मामलों में बालकनी से गिरना है।
एम्स के न्यूरोसर्जरी के प्राध्यापक और अध्ययनकर्ता डॉ. दीपक गुप्ता ने कहा कि भारत में प्रत्येक मिनट में सिर में चोट लगने से एक व्यक्ति की मौत हो जाती है और इसमें 30 फीसदी बच्चे होते हैं। गुप्ता ने बताया कि बच्चों के सिर में चोट लगने के सभी मामलों में से 60 फीसदी मामले ऊंचाई से गिरने के कारण हैं।
पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजी की प्रोफेसर डॉ. शेफाली गुलाटी ने कहा कि एम्स में 16 साल से कम उम्र के बच्चों के बीच, महामारी विज्ञान के एक अध्ययन के अनुसार, चार साल की अवधि में सिर में चोट लगने वाले कुल 1,000 बच्चों को एम्स के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया है।
अध्ययन में शामिल गुलाटी ने कहा, ‘‘लड़कियों की अपेक्षा लड़के सिर की चोट से दो गुने से अधिक प्रभावित होते हैं और उनमें से 60 प्रतिशत से अधिक बच्चों के सिर में चोट ऊंचाई अथवा बालकनी से गिरने के कारण होती है।’’ उन्होंने कहा कि बहुत से ऐसे बच्चे वंचित तबकों से आते हैं जहां हादसे के वक्त माता-पिता में से एक अपने काम पर होता है जबकि दूसरा कहीं और होता है।
डॉ. गुप्ता ने सुझाव दिया कि बच्चों की ऊंचाई से दोगुनी बालकनी की रेलिंग होनी चाहिये। उन्होंने कहा, ‘‘बच्चे अक्सर बालकनी में घर की रेलिंग पर चढ़ जाते हैं और गिर जाते हैं।ऐसे कई बच्चों की मौत हो जाती है या उनके सिर में गंभीर चोट लग जाती है। इस तरह की मौतों और चोटों को पूरी तरह से रोका जा सकता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस अभियान के माध्यम से हम चाहते हैं कि ‘सुरक्षित बालकनी और सुरक्षित बच्चे’ का संदेश 10 साल से कम उम्र के बच्चों वाले प्रत्येक घर तक पहुंचे।’’ अभियान के हिस्से के रूप में, चिकित्सकों ने स्कूलों का दौरा करने, छात्रों, माता-पिता और शिक्षकों के साथ बातचीत करने और विभिन्न सेमिनार और प्रतियोगिताओं को आयोजित करने की योजना बनाई है। डॉ. गुप्ता ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि और लोग हमसे जुड़ें और इसे एक राष्ट्रीय अभियान बनाएं।’’