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भारत में हर 10 में से 3 लोग इस खतरनाक समस्या से जूझ रहे हैं, मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर का खतरा, स्वास्थ्य मंत्रालय चिंतित

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: September 28, 2024 12:36 IST

भारत में लीवर की बीमारी के एक महत्वपूर्ण कारण के रूप में NAFLD उभर रहा है। बयान में कहा गया है कि यह एक महामारी हो सकती है, जिसमें आयु, लिंग, निवास के क्षेत्र और सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर सामुदायिक प्रसार 9 प्रतिशत से 32 प्रतिशत तक हो सकता है।

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ठळक मुद्देभारत में हर 10 में से 3 लोग नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर रोग की समस्या से जूझ रहे हैंकेंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने इसकी जानकारी दी हैफैटी लिवर प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता के रूप में उभर रहा है

नई दिल्ली: भारत में 10 में से एक से तीन लोग नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर रोग की समस्या से जूझ रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने इसकी जानकारी दी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार फैटी लिवर प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता के रूप में उभर रहा है। यह मोटापे और मधुमेह जैसी बीमारियों से  जुड़ा हुआ है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर रोग (एनएएफएलडी) के संशोधित परिचालन दिशानिर्देश और प्रशिक्षण मॉड्यूल जारी किया। उन्होंने कहा कि  भारत ने इसे एक प्रमुख गैर-संचारी रोग (एनसीडी) के रूप में मान्यता दी है।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहा कि एनएएफएलडी ( Non-Alcoholic Fatty Liver Disease) तेजी से एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता के रूप में उभर रहा है, जो मोटापे, मधुमेह और हृदय संबंधी बीमारियों जैसे चयापचय विकारों से निकटता से जुड़ा हुआ है। 10 में से एक से तीन लोगों को एनएएफएलडी हो सकता है, जो इस बीमारी के प्रभाव को उजागर करता है।

उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि संशोधित परिचालन दिशा-निर्देश और प्रशिक्षण मॉड्यूल जारी करना केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बीमारी पर अंकुश लगाने के लिए दिए जा रहे महत्व को दर्शाता है। चंद्रा ने कहा कि ये दस्तावेज सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से लेकर चिकित्सा अधिकारियों तक सभी स्तरों पर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए एक रूपरेखा प्रदान करेंगे। उन्होंने एनसीडी से पीड़ित लोगों की निरंतर देखभाल के महत्व पर भी जोर दिया और एनएएफएलडी के प्रसार को कम करने के लिए जीवनशैली में बदलाव की आवश्यकता को रेखांकित किया। इस अवसर पर बोलते हुए, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की विशेष कार्य अधिकारी पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि इन दिशा-निर्देशों को जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं तक पहुँचाने की आवश्यकता है, ताकि बीमारी का जल्द पता लगाया जा सके और NAFLD का बोझ कम किया जा सके।

इस मौके पर इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज (ILBS) के निदेशक डॉ. एस के सरीन ने कहा कि मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर जैसे कई गैर-संचारी रोग लिवर के स्वास्थ्य से जुड़े हैं। देश में 66 प्रतिशत से अधिक मौतें गैर-संचारी रोगों के कारण होती हैं। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ये रोग तंबाकू के उपयोग (धूम्रपान और धूम्रपान रहित), शराब के उपयोग, खराब आहार संबंधी आदतों, अपर्याप्त शारीरिक गतिविधि और वायु प्रदूषण जैसे प्रमुख व्यवहार जोखिम कारकों से दृढ़ता से जुड़े हुए हैं।

भारत में लीवर की बीमारी के एक महत्वपूर्ण कारण के रूप में NAFLD उभर रहा है। बयान में कहा गया है कि यह एक महामारी हो सकती है, जिसमें आयु, लिंग, निवास के क्षेत्र और सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर सामुदायिक प्रसार 9 प्रतिशत से 32 प्रतिशत तक हो सकता है। बयान में कहा गया है, "दूसरे शब्दों में, हम कह रहे हैं कि 10 व्यक्तियों में से 1 से 3 व्यक्ति फैटी लीवर या संबंधित बीमारी से पीड़ित होंगे।"

टॅग्स :Health and Family Welfare DepartmentडायबिटीजDiabetesMinistry of Health
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