भारत के ये 5 'जम्बो किचन' रोजाना हजारों लोगों का फ्री में भरते हैं पेट
By मेघना वर्मा | Published: April 6, 2018 10:30 AM2018-04-06T10:30:14+5:302018-04-06T11:05:46+5:30
इस्कॉन मन्दिर के फाउंडेशन अक्षयपात्रा गरीबों को खाना खिलाने और उनका पेट भरने का काम करता है। कर्नाटक में स्थित मुख्य कार्यालय में रोजाना लगभग एक लाख 50 हजार लोगों के लिए खाना बनाया जाता है।
भारत देश में इससे बड़ा पुण्य का काम क्या होगा कि देश के गरीबों और भूखों को फ्री में खाना खिलाया जाए और बदले में सिर्फ दुआ मांगी जाए। अगर आपने भी कभी किसी गरीब को खाना खिलाया होगा तो आप उस भावना को समझ सकते होंगे जब कोई जरूरत मंद भरे पेट से आपको खूब तरक्की करो और खुश रहो, जैसी दुआ देता है, लेकिन अगर हम आपसे कहें कि देश में कुछ ऐसे भव्य रसोई घर भी हैं जहां लगभग लाखों जरूरतमंद लोगों के लिए खाना बनाया और उन्हें खिलाया जाता है। जी हां, आज हम आपको देश के अलग-अलग हिस्सों के ऐसे ही भव्य रसोई के बारे में बताने जा रहे हैं जहां बनाया गया खाना, भूखों को मुफ्त में खिलाया जाता है और बदले में कुछ भी नहीं मांगा जाता है...
1. श्री साईं संस्थान, शिरडी
भक्ति और तकनीक को मिला कर बनाया गया शिरडी का ये किचेन यहां आने वालों को स्वादिष्ट खाना सर्व करता है।ख़ास बात ये है कि ये रसोई देश के सबसे बड़े सोलर पॉवर के माध्यम से चलयी जाती है।इस जम्बों किचेन में रोजाना लगभग 40 हजार लोगों का खाना बनाया जाता है।सिर्फ यही नहीं सुबह के समय यहां हजारों लोगों के लिए ताजे नाश्ते बनाये जाते हैं जिन्हें जरूरत मंदों को बांटा जाता है।
इन सभी के लिए कभी किसी से पैसे भी नहीं लिए जाते।साईं संस्था में दान के रूप में आये पैसों और अनाजों को इस काम के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
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2. इस्कॉन मन्दिर
इस्कॉन मन्दिर के फाउंडेशन अक्षयपात्रा भी गरीबों को खाना खिलाने और उनका पेट भरने का काम करता है।कर्नाटक में स्थित मुख्य कार्यालय में रोजाना लगभग एक लाख 50 हजार लोगों के लिए खाना बनाया जाता है।
ये फाउंडेशन भारत के सबसे बड़े स्कूल लंच कार्यक्रम को आयोजित करता है जिसमें गांव में रहने वाले हजारों बच्चों को न्यूट्रीशन भरा खाना मिला है। इतनी बड़ी मात्रा में खाना बनाने के लिए रोजाना 5 से 6 घंटे लगते हैं।
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3. वैष्णों देवी मंदिर, जम्मू
वैष्णव परंपरा को मानने वाले लोगों के लिए वैष्णों देवी की अपनी अलग ही मान्यता है।यहां के वैष्णों देवी श्रीने बोर्ड यहां आने वाले श्र्धालुओं के लिए रोजाना तौर पर खाना बनाता है।माता वैष्णों के दर्शन करने आये श्रधालुओं को रास्ते में ही राजमा चावल या कढ़ी चावल दिया जाता है।ख़ास बात ये है कि एक साथ चाहे जितने भक्त आ जाएं, यहां कभी खाना कम नहीं होता।
4. तिरुपति बालाजी, आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश के फेमस मंदिर तिरुपति बालाजी में भी रोजाना भूखों को खाना खिलाने का काम किया जाता है। मंदिर की रसोई का नाम अन्नदानम है। जिसमें रोजाना हजारों श्रधालुओं के लिए खाना बनाया जाता है। अन्नदानम का मतलब ही है लोगों को भोजन या अन्न दान करना। इस मंदिर में आने वाले सभी श्रधालुओं को रोजाना इस खाने या प्रसाद ग्रहण करने के लिए कहा जाता है।
5. स्वर्ण मंदिर, अमृतसर
पंजाब का दिल कहे जाने वाले अमृतसर के गोल्डन टेम्पल में भी लोगों को फ्री में खाना खिलाने का काम किया जाता है।इस मंदिर की रसोई में सबसे ज्यादा लोगों ले लिए, रोजाना लगभग 2 लाख रोटियां और 1.5 लाख टन दाल बनाई जाती है। खपत की बात करें तो रोजाना इस मंदिर में 100 से अधिक सिलेंडरों की खपत हो जाती है।इस मंदिरकी खास बात ये है कि कोई भी आकर यहां खाना बनवाने में लोगों की मदद कर सकता है। ये मंदिर किसी जाति, रंग और नागरिकता में भेद नहीं करता।
बात यहां सिर्फ लोगों को मुफ्त में खाना देने की नहीं बल्कि सदियों पुरानी हमारी परम्परा से जुड़ा हुआ है जहां किसी को भी भूखे नहीं सोने दिया जाता था। लोगों को फ्री में खाना खिलाना मानवीय संस्कृति की सबसे बड़ी पूजा कहा जा सकता है। भारत में मौजूद इन पांच भव्य रसोइयों के नाम देश होई नहीं विदेशों में भी प्रसिद्ध है।