आप अक्सर दादी-नानियों को यह कहते सुनेंगे कि आजकल कि लड़कियां महंगे बाजारी कॉस्मेटिक्स से अपनी स्किन खराब कर लेती हैं और एक हमारा जमाना था जब हम छोटे-छोटे नुस्खे से अपने चेहरे की रौनक को बनाए रखते थे। पहले के दौर में महिलाएं घर में इस्तेमाल होने वाले खाद्य पदार्थों या फिर मसालों (जैसे कि हल्दी) से ही यंग एंड ब्यूटीफुल रहने की कोशिश करती थीं। लेकिन आज पार्लर में घंटों रहने और ढेर सारे पैसे खर्च करने के बाद भी वैसा ग्लो नहीं मिल पाता है।
फिर अगर पार्लर ना जा कर घर पर ही खूबसूरत दिखने के घरेलू नुस्खे अपनाए जाएं तो वह भी उतने साकार नहीं होते। भला क्यों? क्या हमसे कोई कमी रह जाती है? या हमें सही तरकीब नहीं मालूम?
नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है। दरअसल उस जमाने में महिलाएं ना केवल घरेलू नुस्खे अपनाती थीं बल्कि कुछ जरूरी बातों का भी खयाल रखती थीं। उसी बात को गौर करते हुए आज हम आपको हजारों वर्षों पहले रानियों की सुन्दरता का राज खोल रहे हैं।
खास जल से स्नान
शाही रानियां साधारण पानी के बजाय खास तरह के पानी से नहाती थीं। इस जल में चन्दन, धूप, केसर, गुलाब का रस या फिर गुलाब की पंखुड़ियां भी शामिल की जाती थीं। यह जल उनकी त्वचा को निखारे रखने और बाहरी धूप अथवा प्रदूषण से होने वाले नुकसान से बचाता था।
वर्जिश भी करती थीं रानियां
रानियों की वर्जिश से हमारा मतलब कठिन कसरत से नहीं है। रानियां तलवारबाजी, तीरंदाजी, घुढ़सवारी जैसे शौक रखती थीं। इससे उनका शरीर फिट रहता था।
साज-श्रृंगार
सिर्फ मेकअप लगा लेने से कोई खूबसूरत नहीं बन जाता, ये रानियां इस बात की मिसाल थीं। सुन्दर वस्त्र और गहने पहनना, फूलों के रस का इत्र लगाना और प्राकृतिक लाली का इस्तेमाल इन्हें पूर्ण रूप से सुन्दर बनाता था|
सही भोजन
ऊपरी खूबसूरती तब तक हासिल नहीं होती जब तक आपकी शरीर अन्दर से फिट और रोग मुक्त ना हो। ये रानियां पौष्टिक फल, सब्जियां, फलों का रस आदि का सेवन कर के शरीर को अंदरूनी ताकत देती थीं। इतना ही नहीं, ऐसे फलों का सेवन दिन भर में जरूर किया जाता था जिनमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन और विटामिन हो। ताकि त्वचा पर प्राकृतिक ग्लो आ सके।