यूजीसी करायेगा पिछले 10 सालों की पीएचडी की गुणवत्ता का अध्ययन, मंगाये प्रस्ताव
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 29, 2019 11:14 AM2019-05-29T11:14:06+5:302019-05-29T11:14:06+5:30
यूजीसी ने प्रस्ताव मंगाने के लिए जो सर्कुलर जारी किये हैं, उसमें साफ है कि इसके तहत सभी संस्थानों से विभिन्न विषयों को शामिल किया जाएगा।
भारत में पीएचडी के लिए नामांकन कराने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। मानव संसाधन मंत्रालय के पास मौजूद उच्च शिक्षा से जुड़े एक आंकड़े के अनुसार में 2011 से 2017 के बीच इसमें 50 प्रतिशत का उछाल आया है। साल 2011 में पीएचडी के लिए जहां
81,430 लोगों ने नामांकन कराये वही, 2011 में यह संख्या बढ़कर 1,61,412 हो गई। हालांकि, सरकार की कोशिश यह भी है कि इसकी गुणवत्ता भी बेहतर हो। इसके लिए यूजीसी ने पिछले 10 सालों की पीएचडी की गुणवत्ता के अध्ययन का फैसला किया है।
उच्च शिक्षा नियामक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'यूजीसी ‘भारतीय विश्वविद्यालयों में पीएचडी शोध लेख (थीसिस) की गुणवत्ता’ पर अध्ययन करवाने की योजना बना रहा है।'
इसके लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने एक प्रस्ताव भी मंगाया है जिसके तहत 6 महीनों में पिछले 10 सालों में हुए पीएचडी (प्राइववेट और पब्लिक दोनों) को गुणवत्ता के आधार पर आंका जा सके। सरकार को उम्मीद है कि अनुसंधान की गणवत्ता में बेहतरी आएगी।
यूजीसी ने प्रस्ताव मंगाने के लिए जो सर्कुलर जारी किये हैं, उसमें साफ है कि इसके तहत सभी संस्थानों से विभिन्न विषयों को शामिल किया जाएगा। प्रस्ताव के अनुसार, 'इस स्टडी के तहत सभी केंद्रीय, राज्य सहित प्राइवेट यूनिवर्सिटी से पिछले 10 साल में विभिन्न विषयों पर किये गये पीएचडी शामिल होंगे।'
यूजीसी ने इस स्टडी के लिए पूरे देश से आवेदन मंगाये हैं। इसके लिए अनुसंधानकर्ता सहित आंकड़ों की जांच करने वाले और अकादमिक सदस्य आवेदन कर सकते हैं। स्टडी करने में इच्छुक लोगों को एक आवेदन देना होगा। साथ ही उसमें उनके पिछले रिकॉर्ड, क्षमता और जिस पद्धति से वे स्टडी करना चाहते हैं, इसका जिक्र होना चाहिए। इसके बाद आए हुए आवेदनों में से यूजीसी कुछ लोगों को यह जिम्मेदारी सौंपेगा। मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार इस स्टडी से आये नतीजों का इस्तेमाल नीति बनाने के लिए किया जाएगा।