नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश के नोएडा की मानसी एवं मान्या जुड़वां बहनें हैं। दोनों की शक्ल दूसरे से बिल्कुल मिलती जुलती है और अब उन्होंने सीबीएसई की 12 वीं कक्षा की परीक्षा में एक समान अंक प्रतिशत प्राप्त किये हैं। मजे की बात है कि दोनों को हर विषय में अंक भी समान मिले हैं।
मानसी एवं मान्या ने 12 वीं की परीक्षा में 95.8 फीसदी अंक हासिल किये हैं। दोनों ने सभी विषयों में भी समान अंक हासिल किये हैं। अब दोनों ही इंजीनियरिंग करने की योजना बना रही है और जेईई परीक्षा में बैठने का इंतजार कर रही है। कोरोना वायरस महामारी के कारण यह परीक्षा सितंबर तक टल गयी है।
समान आदतों वाली दोनों बहनों ने कहा कि इन परीक्षाओं में बेहतर करने के बारे में वे आश्वस्त थीं लेकिन उन्होंने इसकी कल्पना भी नहीं की थी दोनों को समान अंक मिलेंगे। मानसी ने पीटीआई भाषा को बताया, 'समान रूप से दिखने के कारण हमें हर कोई याद करता है। हमारे नाम ही केवल हमें अलग बनाते हैं।
एक समान अंक आने के बारे में कभी कल्पना भी नहीं की थी
हमलोग इस बात को लेकर आश्वस्त थे कि अच्छे अंक आयेंगे लेकिन एक समान अंक आने के बारे में कभी कल्पना भी नहीं की थी।' मान्या ने कहा, 'दो साल पहले मैने पढ़ा था कि समान दिखने वाली जुड़वां बहनों ने समान अंक प्राप्त किये थे। तब मैने यह सोचा कि इसमें बहुत हद तक संयोग है।
अब भी विश्वास नहीं होता कि हमने एकदम बराबर अंक हासिल किये हैं ।' मान्या ने बताया कि हम दोनों में हमेशा होड़ रहती है और इससे पहले हमें कभी एक समान अंक नहीं मिले। ग्रेटर नोएडा के आस्टर पब्लिक स्कूल में पढ़ने वाली इन दोनों बहनो को अंग्रेजी एवं कम्प्यूटर साइंस में 98—98 जबकि भौतिकी, रसायन एवं शारीरिक शिक्षा में 95—95 अंक प्राप्त हुये हैं। दोनों के जन्म के बीच केवल नौ मिनट का अंतर है और दोनों तरह तरह के खानों और बैडमिंटन की शौकीन हैं ।
मेघालय में दादी ने 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की
मेघालय के दूरदराज के गांव में रहने वाली 50 वर्षीय दादी ने उम्र की बंदिशों को धत्ता बताकर 12 की बोर्ड परीक्षा उत्तीर्ण की है। लोग उनकी इस उपलब्धि के लिए प्रशंसा कर रहे हैं और सोशल मीडिया पर वह स्टार बन गई हैं। मेघालय उच्च माध्यमिक स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित 12वीं की परीक्षा के कला संकाय के नतीजे सोमवार को घोषित किए गए। बोर्ड की वेबसाइट के मुताबिक इसमें लकींते सिविमलेह उत्तीर्ण हुई हैं। बोर्ड परीक्षा में वह सबसे उम्रदराज छात्रा थीं और दो साल तक वह री-भोई जिले स्थित बालवान कॉलेज में शान से स्कूल की वर्दी पहनकर कक्षा में पढ़ाई करने गई।
लकींते ने ‘पीटीआई्-भाषा’ से कहा, ‘‘मैं परीक्षा उत्तीर्ण कर बहुत खुश हूं।’’ उन्होंने कहा कि वह अपने मुख्य विषय के रूप में मातृभाषा के साथ उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहती हैं। दादी ने बताया कि गणित की वजह से उन्होंने 1988 में पढ़ाई छोड़ दी थी क्योंकि वह सिरदर्द करने वाला विषय था।
उन्होंने बताया, ‘‘ मैंने गणित की वजह से पढ़ाई छोड़ दी थी क्योंकि उसे समझना बहुत मुश्किल था। वर्ष 2008 में मुझे नर्सरी-एलकेजी के बच्चों को पढ़ाने का प्रस्ताव मिला और इसके बाद दोबारा पढ़ने का रुझान बढ़ा।’’ वर्ष 2015 में लंकीते ने पढ़ाई छोड़ने के 26 साल बाद इग्नू के दूरस्थ शिक्षा पाठ्यक्रम में दाखिला लिया ताकि एसएसए स्कूल में अपनी नौकरी को कायम रखा जा सके। इसी स्कूल में वह पढ़ाती हैं। लंकीते ने कहा, ‘‘ मैं खुश हूं क्योंकि इग्नू के पाठ्यक्रम में गणित विषय नहीं होता है।’’ मेघालय के शिक्षामंत्री लाहमेन रिम्बुई ने लकींते को उम्र के बावजूद उपलब्धि हासिल करने पर बधाई दी।