केरल राज्य साक्षरता मिशन के अंतर्गत केरल में प्रवासी मजदूरों को मलायलम भाषा में शिक्षा दी जा रही है। इसे भारत में पहली साक्षरता क्रांति के रूप में देखा जा रहा है। इस मिशन का दूसरा चरण 'चंगाथी' है जिसमें केरल में काम कर रहे प्रवासी श्रमिकों को मलयालम पढ़ने के लिए प्रेरत किया जा रहा है। इस मिशन के सहायक निदेशक के आयप्पन नायर ने कहा न्यूजमिनट वेबसाइट से कहा कि बाहरी लोग भी मलयालम भाषा में साक्षार हो रहे हैं यह राज्य की दूसरी शिक्षा क्रांति है। इससे पहले साल 1991 में केरल पहली बार शत-प्रतिशत साक्षरता हासिल करने वाला राज्य बना था।
'चंगाथी' मलयालम भाषा का एक शब्द है जिसका मतलब दोस्त होत है। इस मिशन को दिसंबर 2016 में मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने हरी झंडी दिखाई थी। इस मिशन के अंतर्गत बाहरी राज्यों के कर्मचारियों को केरल की मूल भाषा पढ़ाने के लिए राज्य का अनूठा मिशन माना जाता है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य प्रवासी श्रमिकों को राज्य की संस्कृति के साथ एकीकृत करना है ताकि स्थानीय लोगों से बेहतर संवाद स्थापित कर सकें। इस मिशन के दौरान मलयालम में पढ़ना और लिखना सिखाया जाएगा।
शुक्रवार (15 दिसंबर) को राजधानी तिरुवनंतपुरम में आयोजित एक समारोह के दौरान राज्य के श्रम मंत्री टीपी रामकृष्णन को राज्य के 13 जिलों में चुने गए स्थानों पर चलाए जा रहे मिशन पर एक सर्वेक्षण रिपोर्ट सौंपी। इस साल इससे पहले अगस्त में एर्नाकुलम जिले के पेरुमबाउर नगरपालिका में पायलट कार्यक्रम शुरू किया गया था। केरल के पेरुमबाउर इलाके में सबसे ज्यादा तादाद में प्रवासी श्रमिक रहते हैं।