पूरे देश में इस साल इंजीनियरिंग में कम होंगी लगभग 80,000 सीटें

By धीरज पाल | Updated: April 9, 2018 07:44 IST2018-04-09T07:44:22+5:302018-04-09T07:44:22+5:30

बता दें कि 2012-13 सत्र से इंजिनियरिंग एडमिशन लेने वाले छात्रों की संख्या में तकरीबन 1.86 लाख की कमी आई थी। सीटों में कटौती से लगभग 200 कॉलेज को भी बंद किया जा सकता है। 

Number of engineering seats to go down by 80,000 this year | पूरे देश में इस साल इंजीनियरिंग में कम होंगी लगभग 80,000 सीटें

पूरे देश में इस साल इंजीनियरिंग में कम होंगी लगभग 80,000 सीटें

हर साल लाखों से अधिक छात्र इंजीनियर बनने के लिए बड़े-बडे कोचिंग संस्थाओं में एडमिशन लेते हैं। कड़ी मेहनत के बाद छात्र अच्छे इंजीनियरिंग संस्थाओं में उनका प्रवेश होता है। लेकिन इस साल कई छात्रों को धक्का लग सकता है। क्योंकि इस साल तकरीबन 80,000 सीटों की कटौती की जा सकती है। यह कटौती इस साल ही नहीं बल्कि पिछले चार सालों में लगभग 3.1 लाख सीट कम हुई है।  बता दें कि 2012-13 सत्र से इंजिनियरिंग एडमिशन लेने वाले छात्रों की संख्या में तकरीबन 1.86 लाख की कमी आई थी। सीटों में कटौती से लगभग 200 कॉलेज को भी बंद किया जा सकता है। 

AICTE (ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन) के मुताबिक लगभग 200 इंजीनियरिंग कॉलेजों ने अपने कॉलेजों  को बंद करने के लिए आवेदन किए हैं। ये इंजीनियरिंग कॉलेज नए एडमिशन नहीं लेंगे लेकिन मौजूदा बैच का कोर्स पूरा होने तक सक्रिय रहेंगे। यानी तीन चार साल बाद ये कॉलेज बंद हो जाएंगे। 2018-19 समेत 4 सालों के अंदर इंजिनियरिंग कॉलेजों में करीब 3.1 लाख सीटें कम हो जाएंगी। 

ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन के मुताबिक प्रत्यके साल लगभग 75,000 छात्र कम हो रहे हैं, 2016-17 में अंडरग्रैजुएट लेवल पर दाखिले की क्षमता 15,71,220 थी जबकि 7,87,127 एडमिशन ही हुए थे।यानि उस समय 50 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। वहीं ये आंकड़ा 2015-16 में कुछ इस प्रकार रहा। कुल प्रवेश क्षमता 16,47,155 थी जबकि कुल 8,60,357 एडमिशन हुए. इसका मतलब 52 फीसदी की गिरावट आई।

Web Title: Number of engineering seats to go down by 80,000 this year

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