JNUSU Presidential Debate: 'लाल सलाम' और 'वंदे मातरम' के नारों के बीच उठे अनुच्छेद 370 और लिंचिंग जैसे मुद्दे
By भाषा | Updated: September 5, 2019 11:11 IST2019-09-05T11:11:06+5:302019-09-05T11:11:06+5:30

JNUSU Presidential Debate: 'लाल सलाम' और 'वंदे मातरम' के नारों के बीच उठे अनुच्छेद 370 और लिंचिंग जैसे मुद्दे
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय परिसर में छह सितंबर को होने जा रहे छात्र संघ चुनाव के मद्देनजर लाल सलाम, वंदे मातरम के नारों और मामूली झड़पों के बीच बुधवार देर रात को प्रेज़ीडेंशियल डिबेट हुई। इस बहस में उम्मीदवारों ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने और भीड़ द्वारा पीट-पीटकर जान लेने जैसे राष्ट्रीय मुद्दे उठाए।
आरएसएस से जुड़े अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के उम्मीदवार मनीष जांगिड़ ने ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम’ के नारों के साथ डिबेट शुरू की। उन्होंने कहा, ‘‘टुकड़े-टुकड़े गिरोह नौ फरवरी को विश्वविद्यालय पर धब्बा लगाने के लिए जिम्मेदार है। जब जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाया गया तो हम इस कदम का जश्न मना रहे थे लेकिन वामपंथी सेना को गालियां दे रहे थे।’’
उन्होंने कहा कि निर्वाचित होने पर एबीवीपी ‘‘कैम्पस केंद्रित’’ राजनीति का मॉडल पेश करेगी। बहस के दौरान वाम समर्थकों और एनएसयूआई सदस्यों ने लगातार जांगिड़ के खिलाफ नारेबाजी की।
कांग्रेस से जुड़े भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ के उम्मीदवार प्रशांत कुमार ने देशद्रोह विवाद का जिक्र करने के लिए जांगिड़ की आलोचना की और कहा कि यह मामला ‘‘न्यायालय के विचाराधीन’’ है। इस पर उन्हें कई वाम और बापसा (बीएपीएसए) समर्थकों से तालियां मिलीं। उन्होंने कहा, ‘‘हमें दो करोड़ नौकरियों का वादा किया गया था लेकिन नौकरियां कहां हैं? नजीब के साथ जो हुआ मैं उसकी निंदा करता हूं।’’ जेएनयू छात्र नजीब कैम्पस से लापता हो गया था और आज तक उसका कोई पता नहीं चल पाया।
वाम एकता के अध्यक्ष पद की उम्मीदवार आईशी घोष ने पत्रकार गौरी लंकेश और विद्वान कलबुर्गी के विचारों से समर्थन जताया। उन्होंने कहा कि वे अखलाक, जुनैद और पहलू खान को नहीं भूलेंगे जिनकी अलग-अलग घटनाओं में भीड़ ने कथित तौर पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। एबीवीपी और वाम समर्थकों के बीच झड़प के कारण घोष का भाषण थोड़ी देर के लिए बाधित हुआ। बापसा उम्मीदवार जितेंद्र सुना ने ‘जीतेगा जितेंद्र’ के नारों के बीच मंच संभाला। उन्होंने कश्मीरियों को सलाम करते हुए अपने भाषण की शुरुआत की जो ‘अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं’ और साथ ही असमियों को भी सलाम किया ‘जो अपनी नागरिकता के लिए लड़ रहे हैं।’’
सुना ने कहा कि वह मजदूर थे और उनकी प्रेज़ीडेंशियल डिबेट में ‘‘उनकी जिंदगी का संघर्ष’’ दिखता है। उन्होंने दक्षिणपंथियों और वामपंथियों पर निशाना साधा। दूसरी ओर, छात्र राष्ट्रीय जनता दल की उम्मीदवार प्रियंका भारती ने कहा कि सरकार शिक्षा का निजीकरण करना चाहती है और वह वंचित पृष्ठभूमियों से आने वाले छात्रों को इससे दूर करना चाहती है। अनुच्छेद 370 हटाने के लिए केंद्र पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ये लोग केवल कश्मीरी लड़कियां और वहां जमीन चाहते हैं लेकिन कश्मीरी नहीं।’’