पटना:पटना हाईकोर्ट में आज पटना के गाय घाट स्थित उत्तर रक्षा गृह (आफ्टर केअर होम) की घटनाओं पर सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश एस कुमार की बेंच ने राज्य सरकार को फटकार लगाई।
केस की वकील और महिला विकास मंच की लीगल एडवाइजर मीनू कुमारी के अनुसार आज हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा। उनसे पूछा कि सरकार की तरफ से क्या कार्रवाई की गई है?
हाईकोर्ट ने इस याचिका को पटना हाईकोर्ट जुवेनाइल जस्टिस मोनिटरिंग कमेटी की अनुशंसा पर रजिस्टर्ड किया है। वहीं, आज पीड़िता की ओर से एक हस्तक्षेप याचिका दायर किया गया, लेकिन इसकी प्रति राज्य सरकार को प्राप्त नहीं होने के कारण सुनवाई टाल दी गई।
कोर्ट ने पूछा कि आपने कोई एक्शन लिया या नहीं? इस पर सरकार का पक्ष रखते हुए महाधिवक्ता ललित किशोर ने कहा कि अभी इसमें एक्शन नहीं हुआ। हम एक बार पीड़िता की बातों को सुन लेंगे तो उसके बाद एक्शन लेंगे।
इस पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई और पूछा कि अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? इस कमेटी में न्यायाधीश आशुतोष कुमार अध्यक्ष हैं, जबकि न्यायाधीश अंजनी कुमार शरण और न्यायाधीश नवनीत कुमार पांडेय इसके सदस्य हैं।
कमेटी ने उक्त मामले में 31 जनवरी को अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट को गंभीरता से लिया है। इस रिमांड होम में 260 से भी ज्यादा महिलाएं रहती हैं। कमेटी की एक आपात बैठक बुलाई गई थी। बेसहारा महिलाओं को लेकर अखबार में छपी खबर पर बैठक में चर्चा की गई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पीडिता व रिमांड होम में रहने वाली उसके जैसी और अन्य को दवा देकर जबरन अनैतिक कार्यों के लिए मजबूर किया जाता है. पीडिता ने यह भी आरोप लगाया है कि रिमांड होम में रहने वाली पीड़िताओं को भोजन और बिस्तर की सुविधाएं भी नहीं मुहैया कराई जाती है। बहुत महिलाओं को गृह को छोडने की अनुमति भी नहीं दी जाती है।
कमेटी द्वारा अन्य बातों के अलावा ऐसा देखा गया कि पीड़िता द्वारा आश्चर्यजनक देने वाला खुलासा यह भी किया गया है कि अजनबियों को रिश्तेदार के रूप में बहाना बनाकर आने दी जाती है। ये आकर बेसहारा महिला को उठाते हैं। ये इनके जीवन और मर्यादा को और जोखिम में डाल देता है।
यह भी आश्चर्य जनक है कि पीडिता द्वारा किये गए खुलासे के बाद भी कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं किया गया है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अनुपालन के संबंध में हलफनामा दायर करने को भी कहा था। इस मामले पर अब 11 फरवरी, 2022 को सुनवाई की जाएगी।
वहीं, वकील मीनू कुमारी के अनुसार राज्य सरकार की तरफ से बातों को कोर्ट में किसी तरह से घूमा दिया गया। अब सवाल उठ रहा है कि राज्य सरकार इस मामले में कितना जांच करवाना चाहती है? समझ में यह नहीं आ रहा है कि सरकार और उनके अधिकारी इसमें अब क्या जांच करना चाहते हैं? वो क्या देखना और सुनना चाहते हैं?
महिला वकील ने सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार के रवैये से ऐसा लग रहा है कि वो अपने किसी अधिकारी या चहेते को बचाने में लगी है। अब 11 फरवरी की कार्रवाई से ही हमें इस मामले में आगे के एक्शन का पता चलेगा।