लखनऊ/बलियाः उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में पत्रकार रतन सिंह की हत्या के मामले में फेफना के थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया गया है। पुलिस ने इस मामले में छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
अपर पुलिस अधीक्षक संजय यादव ने मंगलवार को बताया कि एक टीवी चैनल के पत्रकार रतन सिंह के पिता विनोद सिंह की शिकायत पर सोमवार की रात फेफना थाने में भारतीय दंड विधान की बलवा और हत्या के आरोप की धाराओं में दस व्यक्तियों के विरुद्ध नामजद मुकदमा दर्ज किया गया है।
उन्होंने बताया कि पुलिस ने छह आरोपियों सुशील सिंह, सुनील सिंह, अरविंद सिंह , वीर बहादुर सिंह, दिनेश सिंह और विनय सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। उन्होंने बताया कि विनोद सिंह ने शिकायत की है कि उनके पुत्र को गांव का ही सोनू सिंह कल रात आठ बजे घर से बुलाकर ले गया तथा उसके घर पर पहले से ही मौजूद लोग लाठी, डंडों और रिवाल्वर से लैस थे। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि इन लोगों ने ही रतन की हत्या कर दी। यादव ने बताया कि इस मामले में फेफना थाना प्रभारी शशि मौलि पांडेय को निलंबित कर दिया गया है तथा राजीव मिश्रा को नया प्रभारी बनाया गया है।
शेष आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए प्रयास जारी है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिवंगत पत्रकार रतन सिंह के परिजनों को मंगलवार 10 लाख रुपए की आर्थिक मदद की घोषणा की। अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी ने लखनऊ में बताया कि मुख्यमंत्री ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त करते हुए आरोपियों के खिलाफ हर संभव कार्रवाई का निर्देश दिया है। समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस वारदात को लेकर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को घेरा है।
उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश में अपराधी नहीं, भाजपा सरकार ही कहीं गायब हो गई है। कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है। बलिया में पत्रकार रतन सिंह को अपराधियों ने गोलियों से भून डाला। भाजपा राज में इससे पहले भी कई पत्रकारों की कर्तव्य पालन के दौरान हत्या हुई है।’’
अखिलेश ने गोरखपुर, आजमगढ़, सुलतानपुर, बाराबंकी, अयोध्या, लखीमपुर खीरी, बागपत, बिजनौर और प्रयागराज में हाल में हुई आपराधिक वारदातों का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि भाजपा की द्वेषपूर्ण राजनीति से प्रदेश में हिंसा को बल मिल रहा है।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने बलिया में पत्रकार की हत्या के मामले का जिक्र करते हुए कहा कि पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्रता को लेकर प्रदेश सरकार का रवैया निंदनीय है। उन्होंने ट्वीट किया, ''19 जून - शुभममणि त्रिपाठी की हत्या, 20 जुलाई विक्रम जोशी की हत्या, 24 अगस्त रतन सिंह की हत्या। पिछले तीन महीनों में तीन पत्रकारों की हत्या। ग्यारह पत्रकारों पर खबर लिखने के चलते मुकदमा। उप्र सरकार का पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्रता को लेकर ये रवैया निंदनीय है।’’