शाहजहांपुर यौन शोषण केस में गिरफ्तार पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद ने कहा है कि उन्होंने अपनी गलती स्वीकार कर ली है। जांच कर रही स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) ने दावा स्वामी चिन्मयानंद ने अपनी गलती स्वीकार की है। चिन्मयानंद ने एसआईटी को कहा है कि वो अपने किये पर शर्मिंदा हैं। एसआईटी के अधिकारी नवीन अरोड़ा ने कहा है कि स्वामी चिन्मयानंद ने इस बात को माना है कि उनसे गलती हुई है। एसआईटी का कहना है कि उन्होंने यौन उत्पीड़न से लेकर मालिश करवाने तक की बात मानी है। स्वामी चिन्मयानंद ने कहा है कि उनको अपने किये पर शर्मिंदा हैं और इससे ज्यादा कुछ और नहीं कहना चाहते हैं।
यौन उत्पीड़न मामले में पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद को विशेष जांच दल की एक टीम ने शुक्रवार की सुबह उनके आवास से गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया ।
चिन्मयानंद को विशेष जांच दल ने सीजेएम की अदालत में पेश किया जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। हालांकि चिन्मयानंद के वकील ने उनका स्वास्थ्य ठीक न होने का हवाला देते हुए उन्हें लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में भेजने का अनुरोध किया था। चिन्मयानंद के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
एसआईटी की टीम ने स्वामी चिन्मयानंद को मुमुक्षु आश्रम स्थित उनके आवास दिव्य धाम से सुबह आठ बज कर करीब 50 मिनट पर गिरफ्तार किया। शाहजहांपुर के राजकीय मेडिकल कॉलेज में उनका चिकित्सकीय परीक्षण कराया गया। चिन्मयानंद की गिरफ्तारी को विशेष जांच दल ने बेहद गोपनीय रखा।
जानें क्या शाहजहांपुर यौन शोषण का मामला
स्वामी शुकदेवानंद विधि महाविद्यालय में पढ़ने वाली एलएलएम की छात्रा ने 24 अगस्त को कथित तौर पर एक वीडियो वायरल कर चिन्मयानंद पर शारीरिक शोषण करने, कई लड़कियों की जिंदगी बर्बाद करने एवं खुद को तथा अपने परिवार को जान का खतरा होने की बात कही थी। इस मामले में पीड़िता के पिता ने कोतवाली शाहजहांपुर में अपहरण और जान से मारने के आरोप में विभिन्न धाराओं के तहत चिन्मयानंद के विरुद्ध मामला दर्ज कराया था। लेकिन इससे एक दिन पहले चिन्मयानंद के अधिवक्ता ओम सिंह ने पांच करोड़ रुपए की रंगदारी मांगने का मुकदमा पीड़िता के पिता के खिलाफ दर्ज करा दिया। इस बीच पीड़िता गायब हो गई। कुछ दिन बाद उसे राजस्थान से बरामद कर लिया गया और उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर उसे दिल्ली में शीर्ष अदालत के समक्ष पेश किया गया।