कॉलेज छात्राओं से वॉर्डन ने उतरवाए कपड़े, विरोध के बाद 4 कर्मचारी बर्खास्त, जानें क्या है पूरा माजरा
By पल्लवी कुमारी | Published: April 29, 2019 03:18 PM2019-04-29T15:18:36+5:302019-04-29T15:18:36+5:30
नवंबर 2018 में भी इसी तरह की एक घटना सामने आई थी, जब एक गांव में लगभग 15 स्कूली छात्राओं को कथित तौर पर शौचालय में एक इस्तेमाल किए गए सैनिटरी नैपकिन को फेंकने वाली लड़की को खोजने के लिए महिला शिक्षकों द्वारा उनके कपड़े उतरवाए गए थे।
पंजाब के बठिंडा (Bathinda) में एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी के तकरीबन 500 से ज्यादा महिला छात्राओं ने हॉस्टल के वॉर्डन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है। इन छात्राओं का आरोप है कि हॉस्टल के वॉर्डन ने इनके कपड़े उतरवाए थे। छात्रों का दावा है कि इन्हें जबरदस्ती कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया गया था। ताकि ये पता लगाया जा सकते कि कौन सी छात्रा उस वक्त पीरियड्स में है। हॉस्टल के वॉर्डन ये पता लगाना चाहते थे कि इस्तेमाल किया हुआ सैनिटरी पैड्स टॉयलेट में कौन फेंकता है।
इस घटना के बाद अकाल प्राइवेट यूनिवर्सिटी ने फौरन एक्शन लेते हुए हॉस्टल के चार लोगों को बर्खास्त कर दिया है। जिसमें से महिला हॉस्टल वॉर्डन है और दो गार्ड है। हालांकि बर्खास्त करने के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कोई लीगल प्रक्रिया नहीं अपनाई है।
टाइस्म ऑफ इंडिया के मुताबिक, अकाल प्राइवेट यूनिवर्सिटी का कहना है कि तकरीबन दर्जन छात्राओं के कपड़े उतरवाए गए हैं, ऐसा छात्राओं का दावा है हम मामले की जांच कर रहे हैं । हालांकि शुरुआत में यूनिवर्सिटी प्रशासन ने मामले को गंभीरता से ना लेते हुए इसे एक छोटी गलती बताया था। लेकिन जब छात्राओं ने प्रदर्शन शुरू किया तो बिना कोई कानूनी प्रक्रिया के हॉस्टल के चार कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया है।
कथित तौर पर, छात्रों ने यूनिवर्सिटी प्रशासन अधिकारियों पर चार कर्मचारियों के खिलाफ देरी से कार्रवाई करने का आरोप लगाया है। छात्राओं ने यह भी आरोप लगाया है कि कॉलेज का सामान्य वातावरण अत्यंत रूढ़िवादी है क्योंकि पुरुष और महिला छात्रों को एक-दूसरे से बात करने की भी अनुमति नहीं है। विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए छात्रों ने टाइस्म ऑफ इंडिया को बताया है कि वे चाहते हैं कि अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो।
हॉस्टल में वार्डन ने दो दिन पहले डंप किए गए सैनिटरी नैपकिन पाए थे और तब से उन्होंने दो महिला गार्डों की मदद से दो छात्रों के कपड़े उतरवाए थे। इसके बाद तकरीबन 12 छात्रों के साथ भी ऐसा ही बर्ताव किया गया।
नवंबर 2018 में भी इसी तरह की एक घटना सामने आई थी, जब एक गांव में लगभग 15 स्कूली छात्राओं को कथित तौर पर शौचालय में एक इस्तेमाल किए गए सैनिटरी नैपकिन को फेंकने वाली लड़की को खोजने के लिए महिला शिक्षकों द्वारा उनके कपड़े उतरवाए गए थे।