निर्भया केसः दोषी अक्षय ठाकुर की दया याचिका राष्ट्रपति ने खारिज की, जल्द ही फांसी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 5, 2020 09:02 PM2020-02-05T21:02:40+5:302020-02-05T21:02:40+5:30

सिंह ने कुछ दिन पहले राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दाखिल की थी। एक अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रपति ने सिंह की दया याचिका खारिज कर दी । कोविंद मामले में दो अन्य आरोपियों मुकेश सिंह और विनय कुमार शर्मा की दया याचिका पहले ही खारिज कर चुके हैं।

President Ram Nath Kovind has rejected mercy petition of Akshay Thakur, one of the convicts in 2012 Delhi gang rape case. | निर्भया केसः दोषी अक्षय ठाकुर की दया याचिका राष्ट्रपति ने खारिज की, जल्द ही फांसी

अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रपति ने सिंह की दया याचिका खारिज कर दी।

Highlightsनिर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के सभी दोषियों को एक साथ फांसी दी जाए, न कि अलग- अलग।अदालत ने फांसी पर रोक के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ केंद्र की याचिका को खारिज कर दिया।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले के चार दोषियों में एक अक्षय कुमार सिंह की दया याचिका खारिज कर दी है। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बुधवार को इस बारे में बताया।

सिंह ने कुछ दिन पहले राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दाखिल की थी। एक अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रपति ने सिंह की दया याचिका खारिज कर दी। कोविंद मामले में दो अन्य आरोपियों मुकेश सिंह और विनय कुमार शर्मा की दया याचिका पहले ही खारिज कर चुके हैं।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के सभी दोषियों को एक साथ फांसी दी जाए, न कि अलग- अलग। इसके साथ ही अदालत ने फांसी पर रोक के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ केंद्र की याचिका को खारिज कर दिया।

फैसले का अहम हिस्सा पढ़ते हुए न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने दोषियों को निर्देश दिया कि वे उपलब्ध कानूनी उपचारों के तहत सात दिन के अंदर आवदेन कर सकते हैं, जिसके बाद अधिकारियों को कानून के अनुसार कार्रवाई करनी चाहिए। अदालत ने संबंधित अधिकारियों को इस बात के लिए कसूरवार भी ठहराया कि उन्होंने 2017 में उच्चतम न्यायालय द्वारा अभियुक्तों की अपील खारिज किए जाने के बाद मृत्यु वारंट जारी करने के लिए कदम नहीं उठाया।

पीड़िता के माता-पिता और दिल्ली सरकार ने चारों दोषियों को फरवरी 2019 और 18 दिसंबर 2019 को मौत की सजा देने के लिए मृत्यु वारंट जारी करने की मांग की थी। न्यायाधीश ने कहा, “ मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि मई 2017 में उच्चतम न्यायालय द्वारा एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) खारिज करने के बाद किसी ने भी उनकी फांसी के लिए मृत्यु वारेंट जारी कराने के लिए कदम नहीं उठाए।” अदालत ने कहा, “ सभी अधिकारी सो रहे थे और इस बात का इंतज़ार कर रहे थे कि दोषी अक्षय अपनी मौत की सज़ा को बरकरार रखने वाले उच्चतम न्यायालय के फैसले को चुनौती देने के लिए नौ दिसंबर 2019 को पुनर्विचार याचिका दायर करे।

शीर्ष अदालत ने 18 दिसंबर 2019 को उसकी पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी। विस्तृत निर्णय की प्रतीक्षा है। अदालत ने कहा कि इस बात में कोई विवाद नहीं है कि चारों दोषियों को एक युवती से बलात्कार और हत्या के भयानक,क्रूर खौफनाक, घिनौने, वीभत्स, डरावने और रूह कपां देने वाले जुर्म के लिए दोषी ठहराया गया है। ‍इस घटना ने देश की अंतरात्मा को हिला दिया था। अदालत ने हालांकि कहा, “इस बात में मतभेद नहीं हो सकता है कि दोषियों ने देरी करने के हथकंडों को इस्तेमाल करके प्रक्रिया को बाधित किया है।” उच्च न्यायालय ने केंद्र की निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। निचली अदालत ने दोषियों की फांसी पर रोक लगा दी थी।

गौरतलब है कि केंद्र और दिल्ली सरकार ने निचली अदालत के 31 जनवरी के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसके जरिए मामले में चार दोषियों की फांसी पर ‘‘अगले आदेश तक’’ रोक लगा दी गई थी। ये चार दोषी -- मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार (31)-- तिहाड़ जेल में कैद हैं। सरकार ने दलील दी थी कि उच्चतम न्यायालय में उनकी एसपीएल के लंबित रहने तक उन्हें अलग अलग फांसी नहीं दी जा सकती है और इसके बाद उन्हें अलग अलग फांसी दी जा सकती है। न्यायाधीश ने कहा, “ मेरा मानना है कि सभी दोषियों के मुत्यु वारंट पर एक साथ अमल हो, न कि अलग अलग”, क्योंकि एक ही फैसले से उनके भाग्य का निर्णय हुआ है।

मुकेश के वकील की ओर से केंद्र की याचिका पर सवाल उठाने पर उच्च न्यायालय ने कहा कि केंद्र वर्तमान याचिका दायर करने लिए सक्षम है, क्योंकि दिल्ली पुलिस ने मामले की जांच की है। उच्च न्यायालय ने कहा कि निचली अदालत के ‘अगले आदेश तक’ दोषियों को फांसी देने पर रोक के फैसले को खारिज करने का कोई आधार नहीं है। इसने यह भी कहा कि मुकेश को इसलिए अलग नहीं किया जा सकता है, क्योंकि वह कानूनी उपचारों का गंभीरता से अनुसरण कर रहा है।

पीड़िता के माता-पिता ने अदालत से केंद्र की याचिका पर तेजी से फैसला लेने का आग्रह किया था और अदालत ने उन्हें आश्वस्त किया था कि जल्द से जल्द आदेश पारित किया जाएगा। निचली अदालत ने चारों दोषियों को 22 जनवरी की सुबह सात बजे फांसी की सजा देने के लिए सात जनवरी को मृत्यु वारंट जारी किया था, लेकिन उनमें से एक की दया याचिका लंबित होने के चलते उन्हें फांसी नहीं दी गई।

इसके बाद 17 जनवरी को निचली अदालत ने एक फरवरी की तारीख तय की, लेकिन अदालत ने 31 जनवरी को फांसी की सजा स्थगित कर दी थी, क्योंकि दोषियों के वकील ने अदालत से फांसी पर अमल को ‘‘अनिश्चितकाल’’ के लिए स्थगित करने की अपील की और कहा कि उनके कानूनी उपचार के मार्ग अभी बंद नहीं हुए हैं। मुकेश और विनय की दया याचिका राष्ट्रपति के यहां से खारिज हो चुकी है जबकि पवन ने यह याचिका अभी नहीं दाखिल की है।

अक्षय की दया याचिका एक फरवरी को दाखिल हुई और अभी यह लंबित है । इसके बाद केंद्र और राज्य सरकार ने एक फरवरी को उच्च न्यायालय का रुख किया और फांसी पर रोक लगाने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्च न्यायालय से कहा कि निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले के दोषी कानून के तहत सजा के अमल में विलंब करने की सुनियोजित चाल चल रहे हैं। दोषियों के वकील ने इस याचिका का विरोध किया और कहा कि निचली अदालत में सुनवाई के दौरान कभी भी केंद्र सरकार पक्षकार नहीं थी और सरकार दोषियों पर देरी का आरोप लगा रही है, जबकि वह खुद अब जगी है। 

Web Title: President Ram Nath Kovind has rejected mercy petition of Akshay Thakur, one of the convicts in 2012 Delhi gang rape case.

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