दिल्ली हिंसा मामले में आरोपी सफूरा जरगर को कोर्ट से मिली जमानत
By अनुराग आनंद | Published: June 23, 2020 02:57 PM2020-06-23T14:57:05+5:302020-06-23T15:00:24+5:30
दिल्ली पुलिस ने देश की राजधानी में हिंसा भड़काने के आरोप में सफूरा जरगर को आरोपी बनाया है।
नई दिल्ली: पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के मामले में आरोपी जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी की छात्रा सफूरा जरगर को दिल्ली हाई कोर्ट से जमानत मिल गई है। हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी की सदस्य सफूरा जरगर को दिल्ली उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी है।
इसके साथ ही अदालत ने उसे निर्देश दिया है कि वह ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल न हो जिससे मामले की जांच-पड़ताल में बाधा आए। अदालत ने कहा है कि वह दिल्ली से बाहर नहीं जा सकती है। इसके लिए पहले उसे अनुमति लेनी होगी।
Delhi High Court directs Safoora to not involve in any activities which may hamper the investigation. She has also been directed to not leave Delhi, has to seek permission in this regard. https://t.co/HeGxuMNnVg
— ANI (@ANI) June 23, 2020
सफूरा जरगर पर ये है आरोप-
दिल्ली पुलिस ने अपने आरोप में कहा है कि 22 फरवरी की रात नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध में महिलाएं जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे बैठ गई थीं।
दिल्ली पुलिस की मानें तो उसी दौरान सफूरा भारी हिंसक भीड़ को लेकर वहां पहुंची और दिल्ली को हिंसा की आग में झोंकने की साजिश रची।
पुलिस द्वारा लगाए आरोप में कहा गया है इसी आंदोलन की वजह से हिंसा भड़की थी। जिसमें 50 से अधिक लोगों की जान चली गई। सफूरा के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने हिंसा भड़काने के संगीन आरोप लगाए हैं।
देश के 500 प्रबुद्ध लोगों ने की थी सफूरा जरगर व वरवरा राव की जमानत की मांग
फिल्मी शख्सियतों सौमित्र चटर्जी, अडूर गोपालकृष्णन और अपर्णा सेन समेत 500 प्रसिद्ध लोगों ने केंद्र को एक खुला पत्र लिखकर वरवरा राव और सफूरा जरगर जैसे मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को ऐसे वक्त में,जबकि देश में महामारी का प्रकोप फैल रहा है, तत्काल जमानत पर छोड़ने की मांग की है।
पत्र में लिखा गया है कि वामपंथी विचार वाले कवि लेखक वरवरा राव के साथ सुधा भारद्वाज, शोमा सेन, आनंद तेलतुंबडे, गौतम नवलखा, अरुण फरीरा, वी गोंजाल्विस, सुरेंद्र गाडलिंग, महेश राउत, सुधीर धवले और रोना विल्सन जेल में हैं। इंडियन कल्चरल फोरम की ओर से 16 जून को जारी पत्र में कहा गया है, ‘‘महाराष्ट्र की जेलों में जहां उन्हें रखा गया है, कुछ कैदियों की कोविड-19 से मौत हो चुकी है और अन्य कई संक्रमित मिले हैं।’’
पत्र में जामिया मिलिया इस्लामिया की छात्रा सफूरा जरगर और असम के मानवाधिकार कार्यकर्ता अखिल गोगोई को जमानत पर रिहा नहीं किए जाने पर भी निराशा प्रकट की गयी है। पत्र पर नसीरूद्दीन शाह, शबाना आजमी, नंदिता दास, अमोल पालेकर, ओनिर, अनुराग कश्यप आदि के भी दस्तखत हैं।
गत 10 अप्रैल को दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ द्वारा गिरफ्तार की गई जरगर ने मामले में निचली अदालत के चार जून के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें अदालत ने उसे जमानत देने से इनकार कर दिया था। निचली अदालत ने तब अपने आदेश में कहा था, ‘‘जब आप अंगारे के साथ खेलते हैं, तो चिंगारी से आग भड़कने के लिए हवा को दोष नहीं दे सकते।’’ अदालत ने कहा था कि जांच में एक बड़ी साजिश का पता चला है और अगर किसी साजिशकर्ता द्वारा किए गए षड्यंत्र, कृत्यों और बयानों के सबूत हैं, तो यह सभी के खिलाफ स्वीकार्य है। हालाँकि, निचली अदालत ने संबंधित कारा अधीक्षक से जरगर को पर्याप्त चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए कहा था।