Nirbhaya Case: दिल्ली HC ने फांसी की सजा पर रोक के खिलाफ केंद्र की अर्जी पर फैसला सुरक्षित रखा
By स्वाति सिंह | Updated: February 2, 2020 18:50 IST2020-02-02T18:48:34+5:302020-02-02T18:50:40+5:30
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रविवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले के दोषी कानून के तहत मिली सजा के अमल पर विलंब करने की सुनियोजित चाल चल रहे हैं।

दोषी की वकील ने MHA की याचिका पर उठाया सवाल
दिल्ली उच्च न्यायालय ने रविवार को केंद्र की उस अर्जी पर फैसला सुरक्षित रख लिया जिसमें उसने निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के चार दोषियों की फांसी की सजा की तामील पर रोक को चुनौती दी है। न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने कहा कि अदालत सभी पक्षों द्वारा अपनी दलीलें पूरी किए जाने के बाद आदेश पारित करेगी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्च न्यायालय से कहा कि निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले के दोषी कानून के तहत मिली सजा के अमल में विलंब करने की सुनियोजित चाल चल रहे हैं।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रविवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले के दोषी कानून के तहत मिली सजा के अमल पर विलंब करने की सुनियोजित चाल चल रहे हैं। मेहता ने न्यायमूर्ति सुरेश कैत से कहा कि दोषी पवन गुप्ता का सुधारात्मक या दया याचिका दायर नहीं करने का कदम सुनियोजित है।
मेहता ने कहा कि निर्भया मामले के दोषी न्यायिक मशीनरी से खेल रहे हैं और देश के धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं। सॉलिसिटर जनरल ने अदालत से कहा, ‘‘कानून के तहत मिली सजा के अमल पर विलंब करने की एक सुनियोजित चाल है।’’
अधिवक्ता ए पी सिंह दोषियों अक्षय सिंह (31), विनय शर्मा (26) और पवन (25)की ओर से दलीलें रख रहे हैं। वह मामले के दोषियों की फांसी की सजा की तामील पर रोक को दरकिनार करने के अनुरोध वाली केंद्र की अर्जी के खिलाफ दलीलें रख रहे हैं। उच्च न्यायालय केंद्र की उस अर्जी पर सुनवायी कर रहा है जिसमें मामले के चार दोषियों की फांसी की तामील पर रोक को चुनौती दी गई है।
Delhi High Court reserved order on Center and Tihar jail's plea challenging the trial court's order which had stayed the execution of the convicts in the 2012 Delhi gang-rape case. pic.twitter.com/V2z8D0utpx
— ANI (@ANI) February 2, 2020
23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा से 16 दिसम्बर 2012 को दक्षिण दिल्ली में एक चलती बस में छह व्यक्तियों द्वारा सामूहिक बलात्कार और बर्बरता की गई थी। उसे बाद में बस से नीचे फेंक दिया गया। बाद में छात्रा को निर्भया नाम दिया गया था। निर्भया ने 29 दिसम्बर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था।
मामले के छह आरोपियों में से एक राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी। आरोपियों में एक किशोर भी शामिल था जिसे एक किशोर न्याय बोर्ड ने दोषी ठहराया था और उसे तीन वर्ष बाद सुधारगृह से रिहा कर दिया गया था। शीर्ष अदालत ने 2017 के अपने फैसले में दोषियों को दिल्ली उच्च न्यायालय और निचली अदालत द्वारा दी गई फांसी की सजा बरकरार रखी थी।