निर्भया मामला: दोषियों की याचिका पर पटियाला हाउस कोर्ट में जिरह पूरी, फैसला 1 घंटे में
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 31, 2020 13:32 IST2020-01-31T13:30:22+5:302020-01-31T13:32:16+5:30
निर्भया मामले के तीन दोषियों की, उन्हें एक फरवरी को फांसी दिए जाने पर रोक लगाने का अनुरोध करने वाली याचिका की सुनवाई को तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने दिल्ली की पटियाला कोर्ट में चुनौती दी थी।

निर्भया मामला: दोषियों की याचिका पर पटियाला हाउस कोर्ट में जिरह पूरी, फैसला 1 घंटे में
निर्भया मामले को लेकर पटियाला हाउस कोर्ट में जिहर पूरी हो चुकी है। कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट के जज ने कहा कि इस मामले में एक घंटे में फैसला करेगी। बता दें कि निर्भया मामले के तीन दोषियों की, उन्हें एक फरवरी को फांसी दिए जाने पर रोक लगाने का अनुरोध करने वाली याचिका की सुनवाई को तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने दिल्ली की पटियाला कोर्ट में चुनौती दी थी। इन तीनों दोषियों ने एक फरवरी को उन्हें फांसी देने पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए याचिका दायर की थी।
बता दें कि पटियाला हाउस कोर्ट में जिरह के दौरान सरकारी वकील ने कहा कि विनय की याचिका पेंडिंग है। उसे छोड़कर बाकी दोषियों को फांसी देने का आदेश दिया जाए। वहीं, कोर्ट के जज ने दोषियों के वकील एपी सिंह से कहा, कल सुबह छह बजे फांसी होनी है। मुझे आदेश भी जारी करने हैं तो आप तय कर लीजिए कि आप किसे डिफेंड करना चाहते हैं, खुद को या अपने क्लाइंट को।
2012 Delhi gang-rape case: A Delhi court reserves the order on applications of convicts seeking a stay on execution. Court to pass order later today. pic.twitter.com/BUFaGfVPDI
— ANI (@ANI) January 31, 2020
निचली अदालत ने 17 जनवरी को मामले के चारों दोषियों मुकेश (32), पवन (25), विनय (26) और अक्षय (31) को मौत की सजा देने के लिए दूसरी बार ‘ब्लैक वारंट’ जारी किया था जिसमें एक फरवरी को सुबह छह बजे तिहाड़ जेल में उन्हें फांसी देने का आदेश दिया गया। इससे पहले सात जनवरी को अदालत ने फांसी के लिए 22 जनवरी की तारीख तय की थी।
अब तक की स्थिति में दोषी मुकेश ने सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर लिया है। इसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के समक्ष दया याचिका दाखिल करना भी शामिल है। उसकी दया याचिका राष्ट्रपति ने 17 जनवरी को ठुकरा दी थी। मुकेश ने फिर दया याचिका ठुकराए जाने को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जिसने बुधवार को उसकी अपील खारिज कर दी।
गौरतलब है कि पैरा मेडिकल की 23 वर्षीय छात्रा से 16-17 दिसंबर 2012 की मध्यरात्रि को छह लोगों ने चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म किया था और उसे सड़क पर फेंक दिया था। उसे इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया था जहां 29 दिसंबर को उसकी मौत हो गई थी।