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चार वर्ष की बच्ची से दुष्कर्म, दोषी 14 वर्षीय किशोर को माफी नहीं, न्यायाधीश ने दी ये सजा, जानें सबकुछ

By एस पी सिन्हा | Updated: November 27, 2021 20:36 IST

किशोर न्याय परिषद की सदस्या उषा कुमारी ने बताया कि नालंदा थाना इलाके के एक गांव में पिछले 8 अक्टूबर को गांव के ही एक 14 वर्षीय किशोर ने 4 वर्षीय मासूम को इमली और चॉकलेट देने के बहाने घर में बुलाकर उसके साथ यौनाचार किया था.

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ठळक मुद्देमानसिक और शारीरिक तरीके से अपराध करने में सक्षम था.महज 49 दिनों के भीतर दोषी 14 वर्षीय किशोर को सजा दी.अपराध की अधिकतम सजा धारा 377 में तीन वर्ष की सजा सुनाई जाती है.

पटनाः बिहार के नालंदा जिले में किशोर न्याय परिषद के प्रधान न्यायाधीश मानवेंद्र मिश्र ने चार वर्ष की एक बच्ची से किए गए दुष्कर्म मामले में घटना के महज 49 दिनों के भीतर दोषी 14 वर्षीय किशोर को सजा सुनाकर समाज को एक नया संदेश दिया है.

 

पिछले 8 अक्टूबर को 4 वर्षीय मासूम के साथ गांव के ही एक किशोर ने दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया था. जज ने किशोर को तीन साल की सजा सुनाई है. जिले के किशोर न्याय परिषद जज मानवेंद्र मिश्र व परिषद की सदस्य उषा कुमारी ने कहा कि दोषी की उम्र भले 14 वर्ष है, लेकिन घटना से स्‍पष्‍ट होता है कि वह मानसिक और शारीरिक तरीके से अपराध करने में सक्षम था.

कोर्ट ने दुष्‍कर्म की इस घटना को पाशविक प्रवृति माना. उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को दंडित करना और समाज को जागरूक करना बेहद जरूरी है. किशोर न्याय परिषद की सदस्या उषा कुमारी ने बताया कि नालंदा थाना इलाके के एक गांव में पिछले 8 अक्टूबर को गांव के ही एक 14 वर्षीय किशोर ने 4 वर्षीय मासूम को इमली और चॉकलेट देने के बहाने घर में बुलाकर उसके साथ यौनाचार किया था.

थाने में मामला दर्ज होने के बाद 25 नवंबर को पुलिस द्वारा अंतिम 4 सीट चार्जशीट दाखिल किया गया. 5 गवाहों की गवाही के बाद महज 2 दिनों में न्यायाधीश मानवेंद्र मिश्र ने किशोर को 3 साल की सजा सुनाई. जज ने कहा कि इसे किशोरों को अपराध की अधिकतम सजा धारा 377 में तीन वर्ष की सजा सुनाई जाती है.

जज ने कहा यह भी कि जिस देश की मूल संस्कृति में, यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमंते तत्र देवता, यानी जहां नारी की पूजा की जाती है, वहां देवता वास करते हैं, का भाव हो. जहां छोटी बच्ची को देवी का स्वरूप मान कुंवारी पूजन की परंपरा रही हो, उस देश में यह पशु प्रवृति, वह भी किशोर द्वारा, निश्चित तौर पर समाज के लिए चिंता का विषय है.

ऐसी प्रवृति को रोकने के लिए तथा किशोरों में अच्छे संस्कार और महिलाओं के प्रति सम्मान विकसित करने के लिए हमें समाज में जागरूकता लानी होगी. इसके पूर्व भी मानवेंद्र मिश्र ने कई ऐसे चर्चित फैसले सुनाए हैं. उन्होंने हाल के दिनों में मेडल दिखाने पर मारपीट के आरोपी किशोर को सजा से मुक्त कर दिया था.

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