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रात में आते थे 'हंटरवाले अंकल' और 'नेता जी', सुबह फर्श पर मिलती थी हमारी पैंटः पीड़िताओं की आपबीती

By एस पी सिन्हा | Updated: July 29, 2018 17:08 IST

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम पीड़िताओं ने बताया कि काउंसलिंग के नाम पर हमें होटल ले जाया जाता था और किसी भी बहाने से नशे की दवा दे दी जाती थी।

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पटना, 29 जुलाई: बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका अल्पवास गृह में हुए बच्चियों के साथ महीनों तक हुए यौन शोषण मामले का भंडाफोड़ होने के बाद रोजाना नए खुलासे हो रहे हैं। पीडिताओं ने बताया है कि काउंसलिंग के नाम पर हमें होटल ले जाया जाता था और किसी भी बहाने से नशे की दवा दे दी जाती थी। इसके बाद जब होश आता था तो शरीर पर कपडे नहीं होते थे। उन सब ने कहा है कि ”मेरे खाने में नशे की गोलियां मिला दीं जिससे मुझे चक्‍कर आने लगते थे। आंटियां मुझे ब्रजेश सर के कमरे में सोने को कहती थीं और बात करती थीं कोई मेहमान आने वाला है। सुबह जब मैं उठती थी तो मेरी पैंट फर्श पर बिखरी मिलती थी।” 

यहां बता दें कि मुजफ्फरपुर के बालिका अल्पवास गृह में रहने वाली अधिकतर बच्चियां अनाथ या गुमशुदा हैं, जिन्‍हें पुलिस ने शेल्‍टर होम भेजा था। पीडित बच्चियों ने बताया है कि कैसे 'हंटरवाले अंकल' और 'नेता जी' ने उनके साथ 'गंदा काम' किया था। पीडिताओं ने बताया कि काउंसलिंग के नाम पर हमें होटल ले जाया जाता था और किसी भी बहाने से नशे की दवा दे दी जाती थी। पीडितों की मानें तो इस बालिका गृह में लगातार उनका यौन शोषण किया जाता रहा। 

पीडिताओं बताया ने बताया है कि कैसे उनके और अन्य बच्चियों के साथ अश्लील हरकतें की जाती थी। पीडिताओं ने आरोप लगाया है कि ब्रजेश ठाकुर बच्चियों के साथ न केवल मारपीट करता था, बल्कि उन्हें भद्दी-भद्दी गालियां भी देता था। हालांकि इतना कुछ झेलने के बाद भी इन बच्चियों का हौसला कम नहीं हुआ है। एक पीडिता के अनुसार, नशे की गोलियां ‘कीडे की दवाई’ बताकर उन्‍हें खिलाई जाती थीं। उसने कहा है कि ”आंटियां मुझे रात में कीडे की द‍वाई देती थीं, इसके बाद हम सो जाते थे। सुबह मेरा पूरा शरीर दर्द करता था…कई बार तो हमें पेट में लात भी मारी गई।”

पीडिताओं ने बताया है कि कैसे विरोध करने पर आरोपी ब्रजेश ठाकुर लडकियों को पिटवाता था और उन्हें गालियां देता था। बालिका गृह में हुए वाक्ये का जिक्र करते हुए पीडिताओं ने बताया है कि कुछ लडकियां ब्रजेश की खास थीं जो बालिका अल्पवास गृह में आने वाली लड़कियों पर दवाब बनाती थी और उनको धमकाती थी। पीडिताओं ने बताया है कि आरोपी ब्रजेश उसे अपने ऑफिस में ले जाकर निजी अंगों से छेडखानी करता था। अदालत के सामने पीडिताओं ने कहा है कि ”वह इतनी बुरी तरह से खरोंचता था कि निशान पड जाते थे।

इतनी बडी घटना के बाद भी इन बच्चियों ने अपना हौसला नहीं खोया है। बच्चियों की मानें तो वो पढे लिखकर बॉक्सर या फिर पुलिस इंस्पेक्टर बनना चाहती हैं, ताकि अपने दुश्मनों से बदला ले सके। वहीं, मजिस्ट्रेट की निगरानी में निरीक्षण के दौरान बालिका गृह के ऊपरी तल पर एक कमरे में कई तरह की दवाएं व सूई मिली हैं। इसके बाद सीएस की ओर से गठित डॉक्टरों की दो सदस्यीय टीम में शामिल डॉ. अंजुम आरा व डॉ. संजीव कुमार पांडेय ने दवाओं को सूचीबद्ध किया है। इनमें कुछ तो सामान्य बीमारियों की दवा थी तो कुछ मिर्गी की दवा व सूई थी। डॉक्टरों के अनुसार, सामान्य मरीज को मिर्गी की सूई देने से वह अचेत हो जाता है। इस बात से आशंका जताई गई है कि यौन शोषण से पहले इसी सूई का इस्तेमाल किया जाता रहा होगा।

पुलिस सूत्रों के अनुसार, किशोरियों के इलाज के नाम पर भवन के सबसे ऊपर एक कमरा बना था। इसी कमरे में ज्यादातर लडकियों के साथ शर्मनाक हरकत की जाती थी। हालांकि, जब्त दवाओं की मात्रा का खुलासा पुलिस ने अभी नहीं किया है। मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में कमरे में रखे एक-एक अलमारी और बक्से को खोलकर जांच की गई। इस कमरे से 63 किस्म की दवाएं मिली हैं। इसमें दो तरह की सूई मिर्गी के रोगियों के देने वाली थे। जांच के दौरान बालिका गृह के फर्श पर एफएसएल को तीन कागज मिले। दो तो ‘आसरा' के लेटरहेड थे। 

वहीं, कॉपी के एक पेज पर एक लडकी़ द्वारा लिखा गया पता था। पुलिस टीम इसे अबतक अनदेखा कर रही थी। लेकिन एफएसएल ने उक्त कागज के टुकडे को उठाकर पढा और केस की आईओ को दिया। ‘आसरा' के लेटरहेड पर फिमेल-मेल सेक्स वर्कर सहित कइयों के नाम व पते लिखे हुए हैं। इससे इनके बालिका गृह में आने के सबूत मिले। उक्त आसरा अल्पावास गृह के संचालन में सेवा संकल्प एवं विकास समिति का पता लिखा हुआ है। लेटर हेड मिलने के बाद डीएसपी ने आईओ को कई बिंदुओं पर पड़ताल का निर्देश दिया। टाउन डीएसपी मुकुल कुमार रंजन ने बताया कि जब्त कागजात व कम्प्यूटर की जांच के बाद ही किसी तरह की बातें बताई जा सकती है।

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