मुजफ्फरपुर कांड को लेकर बड़ा फैसला, नीतीश सरकार ने रोका 30 सेंटरों का करोड़ों का फंड
By एस पी सिन्हा | Published: August 2, 2018 08:11 PM2018-08-02T20:11:48+5:302018-08-02T20:11:48+5:30
इस बीच पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) ने ब्रजेश कुमार ठाकुर की प्रेस मान्यता रद्द कर दी है। पीआईबी ने संबंधित मंत्रालयों और विभागों से भी अनुरोध किया है कि वे पीआईबी कार्ड के आधार पर ठाकुर को उपलब्ध कराई गई सुविधाएं वापस ले लें।
पटना,2 अगस्त:बिहार के मुजफ्फरपुर कांड को लेकर अब स्वास्थ्य विभाग हरकत में आ गया है। विभाग ने ब्रजेश ठाकुर द्वारा संचालित सभी सेंटरों का फंड रोक दिया है। इसके अलावा राज्य के सभी 30 सेंटरों के फंड को रोक दिया गया है। यहां बता दें कि बिहार स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी अगले कुछ घंटों में 6 करोड 74 लाख 32 हजार की राशि ब्रजेश ठाकुर सहित कई और सेंटरों को देने वाली थी। यह राशि केंद्र सरकार द्वारा एड्स कंट्रोल पर काम कर रहे संस्थानों को दिया जाता रहा है।
विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बताया कि एड्स कंट्रोल सोसाइटी को निर्देश दिया गया है कि सभी सेंटरों की गहन समीक्षा करने के बाद ही फंड रिलीज किया जाये और ब्रजेश ठाकुर से किसी भी तरह से जुडे सभी सेंटरों को ब्लैक लिस्टेड किया जाए। वहीं एड्स कंट्रोल सोसाइटी की परियोजना निदेशक करुणा कुमारी ने बताया कि विभाग के निर्देश के अनुसार जल्द ही ब्रजेश ठाकुर से जुडे सभी सेंटरों को रद्द किया जायेगा। उल्लेखनीय है कि मुख्य अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर को स्वास्थ्य महकमा सालाना डेढ करोड़ रुपये देती थी। विभाग की एड्स कंट्रोल सोसाइटी ब्रजेश ठाकुर द्वारा संचालित छह सेंटरों को फंडिंग करती रही है। सभी सेंटर मुजफ्फरपुर, दरभंगा, मोतिहारी और समस्तीपुर में चलाए जा रहे हैं जो सेंटर सेवा संकल्प, वामा शक्ति वाहनी और आदर्श महिला समिति के नाम से रजिस्टर्ड है।
सेवा संकल्प, वामा शक्ति वाहनी और आदर्श महिला समिति के नाम से रजिस्टर्ड संस्था है। संस्था की संचालक मधु कुमारी है जो फिलहाल पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। मधु के साथ मिलकर 2003 में ब्रजेश ने 50 महिलाओं का एक गैंग तैयार किया। कौशल विकास और लाइवली हुड का प्रशिक्षण देने के नाम पर सरकार से कई योजनाएं ली। मधु पर आरोप है कि मुजफ्फरपुर और बेतिया में सेक्स वर्करों के लिए पुनर्वास योजना के नाम पर मधु सेक्स वर्करों की सप्लाई पटना के ब्यूटी पॉर्लरों में भी करती थी।
वहीं, ब्रजेश ठाकुर को लेकर ये भी खुलासा हुआ था कि वह हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू में प्रकाशित होने वाले तीन अखबारों का मालिक है। प्रात: कमल नाम की अखबार की रोज सिर्फ 300 कॉपियां ही छपा करती थीं। लेकिन उसने अपने अखबार की प्रसार संख्या 60,862 कॉपियां दिखा रखी थीं। इसके बिना जांच पर वह बिहार सरकार से सालाना 30 लाख रुपये का विज्ञापन पाता था।
इस बीच पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) ने ब्रजेश कुमार ठाकुर की प्रेस मान्यता रद्द कर दी है। पीआईबी ने संबंधित मंत्रालयों और विभागों से भी अनुरोध किया है कि वे पीआईबी कार्ड के आधार पर ठाकुर को उपलब्ध कराई गई सुविधाएं वापस ले लें। पीआईबी ने एक बयान में कहा है कि 'प्रासंगिक प्राधिकारी की मंजूरी के साथ, प्रात: कमल हिंदी दैनिक के संवाददाता, ब्रजेश कुमार को जारी की गई पीआईबी प्रेस मान्यता कार्ड संख्या 2275 तत्काल प्रभाव से रद्द करने का निर्णय लिया गया है। यह निर्णय उनकी कथित आपराधिक गतिविधियों में संलिप्तता के मद्देनजर लिया गया है।