मध्य प्रदेश: 4 साल की बच्ची के साथ रेप मामले में कोर्ट ने टीचर को दी मौत की सजा
By भाषा | Published: September 19, 2018 08:39 PM2018-09-19T20:39:59+5:302018-09-19T20:39:59+5:30
बलात्कार की घटना के मात्र 81वें दिन में यह फैसला आया है। पिछले 79 दिनों से यह पीड़ित बच्ची दिल्ली के एम्स में भर्ती है, जहां उसकी हालत अब भी खराब है।
सतना, 19 सितंबर: मध्यप्रदेश के सतना जिले की एक अदालत ने चार वर्षीय बच्ची के साथ बलात्कार करने के मामले में 27 वर्षीय सरकारी अतिथि शिक्षक को बुधवार को मृत्युदंड की सजा सुनाई है। अदालत ने शिक्षक के इस अपराध को विरल से विरलतम की श्रेणी वाला माना।
बलात्कार की घटना के मात्र 81वें दिन में यह फैसला आया है। पिछले 79 दिनों से यह पीड़ित बच्ची दिल्ली के एम्स में भर्ती है, जहां उसकी हालत अब भी खराब है।
इसी के साथ इस साल 28 फरवरी से अब तक मध्यप्रदेश में नाबालिग बच्चों के साथ यौनशोषण करने के 13 मामलों में 14 लोगों को मृत्युदंड की सजा सुना दी गई है। हालांकि, इनमें से किसी को भी अब तक फांसी के तख्ते पर नहीं लटकाया गया है, क्योंकि उच्च न्यायालयों में उनके मामले विचाराधीन हैं।
जिन 13 मामलों में मृत्युदंड की सजा सुनाई गई है उनमें 12 मामले नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने का है जबकि एक मामला एक लड़के के साथ अप्राकृतिक कुकर्म करने का है ।
नागौद न्यायालय के प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश दिनेश कुमार शर्मा ने चार वर्षीय बच्ची का अपहरण कर बलात्कार करने के मामले में महेंद्र सिंह गोंड को दोषी करार देते हुए आज उसे मृत्युदंड की सजा सुनाई है ।
लोक अभियोजक रामपाल सिंह ने फोन पर ‘भाषा’ को बताया कि अदालत ने उसे भादंवि की धारा 376 (क ख) तथा पॉक्सो अधिनियम की धारा 5/6 के तहत मृत्युदंड की सजा सुनाई है । धारा 376 (क ख) में 12 वर्ष से कम की बच्ची के साथ मृत्युदंड का प्रावधान हाल ही में किया गया है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, अदालत ने महेंद्र को भादंवि की धारा 363 के तहत 7 साल सश्रम कारावास व 5,000 रूपये के अर्थदंड की सजा भी सुनाई है।
न्यायाधीश ने अपनी टिप्पणी में इसे पैशाचिक कृत्य करार देते हुए कहा, ‘‘आरोपी जो कि एक शिक्षक है और जिस पर समाज निर्माण का भार था, उसी ने रक्षक होते हुए भक्षक का कार्य किया और 4 वर्ष 4 माह एक दिन की अबोध बच्ची के साथ दुराचार किया ।
न्यायाधीश ने अपनी टिप्पणी में कहा, ‘‘अदालत का मानना है कि आरोपी को समाज में रहना समाज बहुत बड़ा खतरा है । अदालत के मतानुसार यह मामला विरल से विरलतम की श्रेणी में आता है । इसलिए भादंवि की धारा 376 (क ख) तथा पॉक्सो अधिनियम की धारा 5/6 के तहत मृत्युदंड की सजा दी जाती है ।’’