पारा शिक्षक हत्याकांड मामले में पूर्व मंत्री एनोस एक्का दोषी, 3 जुलाई को होगा सजा का ऐलान

By एस पी सिन्हा | Published: June 30, 2018 07:02 PM2018-06-30T19:02:54+5:302018-06-30T19:08:29+5:30

शाहपुर प्रखंड संघर्ष समिति और कोलेबिरा प्रखंड पारा शिक्षक संघ के अध्यक्ष मनोज कुमार लसिया की 26 नवंबर 2014 को हत्या कर दी गई थी। इस हत्या का आरोप जेल में बंद झापा प्रमुख सह कोलेबीरा विधायक एनोस एक्का पर था।  

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पारा शिक्षक हत्याकांड मामले में पूर्व मंत्री एनोस एक्का दोषी, 3 जुलाई को होगा सजा का ऐलान

रांची, 30 जून: झारखंड में एक पारा शिक्षक मनोज कुमार की हत्या के मामले में कोलेबिरा विधायक और पूर्व मंत्री एनोस एक्का को निचली अदालत ने शनिवार दोषी करार दिया है। सजा के बिंदु पर सुनवाई की तारीख तीन जुलाई मुकर्रर की गई है।  एनोस एक्का पिछले चार सालों से जेल में बंद हैं। दरअसल, शाहपुर प्रखंड संघर्ष समिति और कोलेबिरा प्रखंड पारा शिक्षक संघ के अध्यक्ष मनोज कुमार लसिया की 26 नवंबर 2014 को हत्या कर दी गई थी।  इस हत्या का आरोप जेल में बंद झापा प्रमुख सह कोलेबीरा विधायक एनोस एक्का पर था।  कोर्ट ने आज उन्हें दोषी करार दिया है।  इस मामले में कोर्ट ने उन्हें तीन जुलाई को सजा सुनाएगी।  

पारा शिक्षक मनोज अपने साथी पारा शिक्षक के स्कूल में बैठे थे।  तभी मोटरसाइकिल से दो हथियारबंद लोग वहां पहुंचे और जबरन मनोज को मोटरसाइकिल पर बैठाकर ले गगए थे।  बाद में उनका शव मिला था।  बताया जाता है कि मनोज कुमार ने पहले ही शिकायत की थी कि एनोस एक्का उन्हें जाने से मारने की धमकी दे रहे हैं।  मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ज्ञापन भी सौंपा था।  सुरक्षा की गुहार लगाई थी।  मगर उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।  शिक्षक की हत्या के बाद तत्कालीन एसपी राजीव रंजन सिंह ने बिना समय गवाए पुलिस ने रात दो बजे एनोस एक्का के ठाकुरटोली आवास से गिरफ्तार कर थाना लाई थी।  फिर देर शाम उन्हें जेल भेज दिया गया था।  मृत पारा शिक्षक मनोज कुमार के भाई ने कोलेबिरा थाने में एनोस एक्का व पीएलएफआई के एरिया कमांडर बारूद गोप सहित अन्य के खिलाफ मामला दर्ज कराया था।  उनके खिलाफ धारा 364 (ए), 216, 120 (बी), 17 सहित अन्य धाराएं लगाई गई थी।  

बता दें कि जज नीरज कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने मामले में सुनवाई पहले ही पूरी कर ली थी। मामले में सरकारी गवाह (एप्रूवर) बारूद गोप को ही होस्टाइल घोषित कर दिया गया था।  जबकि इस अभियुक्त को सरकारी गवाह बनाने के मुद्दे पर छिडी कानूनी जंग में करीब दो साल तक मामले की सुनवाई नहीं हो सकी थी। बारूद गोप ने 2016 में सरकारी वकील के माध्यम से इस हत्याकांड में सरकारी गवाह बनने के लिए आवेदन दिया था।  अदालत ने उसका आवेदन स्वीकार कर लिया था।  अदालत के इस फैसले को एनोस एक्का ने हाइकोर्ट में चुनौती दी थी।  

जून 2016 में इस याचिका पर हुई सुनवाई की पहली तिथि को सरकार की ओर से कोई वकील हाजिर ही नहीं हुआ।  इसके बाद हाइकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को स्टे कर दिया था।  बारूद गोप को सरकारी गवाह बनाने के निचली अदालत के फैसले पर सुनवाई पूरी होने के बाद हाइकोर्ट में जनवरी 2017 में फैसला सुरक्षित रख लिया।  अदालत ने एक साल बाद 16 जनवरी 2018 को अपना फैसला सुनाते हुए विधायक की याचिका खारिज कर दी।  पर इस आदेश की कॉपी मई के दूसरे सप्ताह में ट्रायल कोर्ट पहुंची।  इसके बाद मामले में सरकारी गवाह का बयान दर्ज किया गया।  हालांकि उसे होस्टाइल घोषित कर दिया गया। 

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