145 ढेर, 7 महीनों के भीतर 90 ने आतंकवाद की राह को थामा, 12 महीनों में 139 आतंकी तैयार

By सुरेश एस डुग्गर | Published: August 5, 2020 04:27 PM2020-08-05T16:27:56+5:302020-08-05T16:29:05+5:30

बंदूक थामने वाले भी बढ़ते चले गए। आंकड़ों के बकौल, इस साल 7 महीनों के भीतर 90 ने आतंकवाद की राह को थामा था। जबकि पिछले साल 12 महीनों में 139 स्थानीय आतंकी तैयार हो गए थे।

Jammu and Kashmir Pakistan Article 370 145 massacres 90 within 7 months paved way for terrorism 139 terrorists ready 12 months | 145 ढेर, 7 महीनों के भीतर 90 ने आतंकवाद की राह को थामा, 12 महीनों में 139 आतंकी तैयार

इस बीच 25 आतंकियों और 300 से अधिक मददगारों को गिरफ्तार भी किया गया है।

Highlightsपिछले एक साल में विभिन्न तंजीमों के सरगनाओं समेत 180 से ज्यादा आतंकी ढेर कर दिए गए हैं। इस साल के सात महीनों में ही 145 को ढेर कर दिया गया।पुलवामा जिले में एक मुठभेड़ में हिजबुल मुजाहिदीन के कुख्यात दहशतगर्द रियाज नायकू को ढेर करना सुरक्षा बलों की सबसे बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। अलगाववादी अशरफ सेहरई के बेटे जुनैद सेहरई समेत हिजबुल के अन्य कई बड़े आतंकी उमर फय्याज उर्फ हमाद खान, जहांगीर, वसीम अहमद वानी और मसूद भट भी मारे गए।

जम्मूः चाहे कश्मीर को मिली धारा 370 की आजादी को छीन लिया गया पर मौतों का आंकड़ा कम होने को नहीं आ रहा। आप्रेशन आलआउट में आतंकियों की मौतों के बाद भी बंदूक थामने का आकर्षण बरकरार है। यही कारण था कि कश्मीर को आज भी मौत की वादी कहा जा रहा है।

इतना जरूर था कि पांच अगस्त के बाद पिछले एक साल में विभिन्न तंजीमों के सरगनाओं समेत 180 से ज्यादा आतंकी ढेर कर दिए गए हैं। इस साल के सात महीनों में ही 145 को ढेर कर दिया गया। पर बंदूक थामने वाले भी बढ़ते चले गए। आंकड़ों के बकौल, इस साल 7 महीनों के भीतर 90 ने आतंकवाद की राह को थामा था। जबकि पिछले साल 12 महीनों में 139 स्थानीय आतंकी तैयार हो गए थे।

पांच अगस्त, 2019 के बाद मारे गए आतंकियों में कई बड़े सरगना भी शामिल हैं। पुलवामा जिले में एक मुठभेड़ में हिजबुल मुजाहिदीन के कुख्यात दहशतगर्द रियाज नायकू को ढेर करना सुरक्षा बलों की सबसे बड़ी कामयाबी मानी जा रही है।

इसके बाद नायकू के करीबी और अलगाववादी अशरफ सेहरई के बेटे जुनैद सेहरई समेत हिजबुल के अन्य कई बड़े आतंकी उमर फय्याज उर्फ हमाद खान, जहांगीर, वसीम अहमद वानी और मसूद भट भी मारे गए। अंसार गजवा तुल हिंद (एजीएच) के बुरहान कोका, लश्कर-ए-ताइबा के बशीर कोका, हैदर, इशफाक रशीद, जैश-ए-मोहम्मद के सज्जाद अहमद डार, सज्जाद नवाबी, कारी यासिर और पाकिस्तानी आईईडी एक्सपर्ट अबू रहमान उर्फ  फौजी भाई को भी मार गिराया गया। इस बीच 25 आतंकियों और 300 से अधिक मददगारों को गिरफ्तार भी किया गया है।

इस मौत के आंकड़ों में सुरक्षाबलों और नागरिकों के मरने का आंकड़ा भी चिंताजनक है। इस साल 15 जुलाई तक 22 नागरिक और 36 सुरक्षाकर्मी मारे जा चुके हैं। जबकि पिछले साल जनवरी से लेकर 15 जुलाई तक 76 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे और 23 नागरिक मारे गए थे। इतना जरूर था कि इस साल 15 जुलाई तक ही 145 आतंकियों को ढेर करने में सुरक्षाबलों को कामयाबी मिली थी।

इन मौतों के बाद भी दावा कश्मीर में आतंकवाद के कम होने का है। इस सच्चाई का दूसरा पहलू यह है कि स्थानीय आतंकियों के आतंकी बनने और उस पार से घुसपैठ के प्रयासों में कोई कमी नहीं आई है। सुरक्षाबल अब तलाश करो और मार डालो के अभियान में जुटे हुए हैं क्योंकि उन्हें सिर्फ आतंकवाद खत्म करना है।

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