जहांगीरपुरी हिंसाः हनुमान जयंती के जुलूस के दौरान बवाल, एसएचओ अरुण कुमार का तबादला, नए अधिकारी की नियुक्त
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 9, 2022 07:43 PM2022-05-09T19:43:49+5:302022-05-09T19:44:59+5:30
आधिकारिक आदेश के मुताबिक, निरीक्षक अरुण कुमार का आरपी भवन से तबादला किया गया है और उत्तर पश्चिम दिल्ली के जहांगीरपुरी थाने में तत्काल प्रभाव से एसएचओ तैनात किया गया है।
नई दिल्लीः उत्तर पश्चिम दिल्ली के जहांगीरपुरी थाने के प्रभारी (एसएचओ) का तबादला कर दिया गया है। इसी इलाके में पिछले महीने हनुमान जयंती के जुलूस के दौरान सांप्रदायिक संघर्ष भड़क गया था। पुलिस के एक वरिष्ठ ने इसे नियमित स्थानांतरण बताया है।
निवर्तमान थानेदार ने तीन महीने पहले एक आवेदन देकर कहा था कि वह थाना प्रभारी के पद पर नहीं रहना चाहते हैं और उन्होंने तबादला किए जाने का आग्रह किया था। आधिकारिक आदेश के मुताबिक, निरीक्षक अरुण कुमार का आरपी भवन से तबादला किया गया है और उत्तर पश्चिम दिल्ली के जहांगीरपुरी थाने में तत्काल प्रभाव से एसएचओ तैनात किया गया है।
Delhi | Inspector Arun Kumar transferred from Rashtrapati Bhavan & posted as new SHO Jahangirpuri
— ANI (@ANI) May 9, 2022
छह मई के आदेश में कहा गया, “उन्हें अपने नए कार्यभार ग्रहण करने और इस मुख्यालय को अनुपालन रिपोर्ट करने के निर्देश के साथ तुरंत कार्यमुक्त किया जाना चाहिए।” पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने तबादले के बारे में पूछने पर कहा, “यह पुलिस आयुक्त के कार्यालय से जारी नियमित आदेश है।”
जहांगीरपुरी में 16 अप्रैल को हनुमान जयंती जुलूस के दौरान हिंदू और मुसलमानों के समूहों में संघर्ष हो गया था जिसमें आठ पुलिस कर्मी और एक स्थानीय निवासी जख्मी हो गया था। दिल्ली पुलिस अबतक 33 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है और तीन किशोरों को पकड़ा गया है। इस बीच, दिल्ली की एक अदालत ने कहा है कि इलाके में बिना इजाजत निकाले जा रहे जुलूस को न रोक पाना दिल्ली पुलिस की नाकामी है जिस वजह से इलाके में सांप्रदायिक संघर्ष हुए।
जहांगीरपुरी में नियमित प्रशासनिक कवायद को अनुचित सांप्रदायिक रंग दिया गया: निगम ने अदालत से कहा
उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने (एनडीएमसी) सोमवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि जहांगीरपुरी में अतिक्रमण-रोधी अभियान मामले के याचिकाकर्ताओं ने एक नियमित प्रशासनिक कवायद को अनुचित ढंग से सांप्रदायिक रंग देकर इसे सनसनीखेज बना दिया। जहांगीरपुरी में अतिक्रमण-रोधी अभियान के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद एवं अन्य द्वारा दायर याचिका पर जवाबी हलफनामा दाखिल करते हुए एनडीएमसी ने कहा कि यह याचिका खारिज करने योग्य है क्योंकि उन्होंने झूठ का सहारा लिया है।
एनडीएमसी ने कहा, ''याचिका इसी आधार पर खारिज करने योग्य है कि याचिकाकर्ता ने झूठ का सहारा लिया और एक नियमित प्रशासनिक कवायद को अनुचित सांप्रदायिक रंग देकर इसे सनसनीखेज बना दिया।'' निगम ने कहा कि उसने केवल सार्वजनिक भूमि पर बने अवैध निर्माण और घरों की चारदीवारी से बाहर निकलकर बनाए गए अस्थायी ढांचे को ही हटाया था, जिसके लिए नोटिस दिए जाने की जरूरत नहीं होती। दिल्ली नगर निगम अधिनियम का हवाला देते हुए एनडीएमसी ने कहा कि इस तरह के निर्माण को हटाने के लिए पहले से नोटिस दिए जाने की जरूरत नहीं होती।
निगम ने कहा कि यथास्थिति बरकरार रखने के आदेश के बाद, जिन लोगों को सड़क से हटाया गया था, उन्होंने दोबारा से फुटपाथ/सड़क पर अतिकम्रण कर लिया है। इसने कहा कि जब एक सड़क या फुटपाथ से अतिक्रमण हटाया जाता है तो यह प्रक्रिया एक हिस्से से शुरू होकर अंतिम हिस्से पर जाकर समाप्त होती है और ऐसा बिना किसी धार्मिक भेदभाव के किया जाता है।
अतिक्रमण-रोधी अभियान के दौरान ‘बुलडोजर’ के उपयोग के संबंध में निगम ने कहा कि सड़क/फुटपाथ पर कुछ अस्थायी निर्माण इस तरह के थे, जिसे हटाने के लिए इस मशीन की आवश्यकता थी। निगम ने आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता ने जानबूझकर मामले को सनसनीखेज बनाया। साथ ही उन आरोपों से भी इनकार किया कि एक विशेष धर्म या समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है।