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दिल्ली में 'फर्जी डिजिटल अरेस्ट' गैंग का पर्दाफाश?, 3000 सिम कार्ड से करोड़ों रुपये ठगे, इंदौर पुलिस की बड़ी कार्रवाई

By मुकेश मिश्रा | Updated: February 28, 2025 15:29 IST

गैंग के सदस्य IMEI क्लोनिंग, सैकड़ों फर्जी सिमकार्ड, वायरलेस फोन और नेटवर्क बूस्टर का इस्तेमाल कर 2019 से अब तक सैकड़ों वारदातों को अंजाम दे चुके थे।

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ठळक मुद्देकार्रवाई में गैंग के मास्टरमाइंड सहित तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। डेटा सहित देशभर के लाखों बुजुर्गों की निजी जानकारी बरामद की गई है। फर्जी सरकारी अधिकारी बनकर डरा-धमकाकर करोड़ों रुपये की ठगी कर चुका था।

इंदौरमध्य प्रदेश के इंदौर में बड़ा खुलासा हुआ है। क्राइम ब्रांच इंदौर ने देशभर में ऑनलाइन ठगी को अंजाम देने वाले 'फर्जी डिजिटल अरेस्ट' गैंग के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए दिल्ली स्थित उनके 'डार्क रूम' ऑपरेशन का भंडाफोड़ किया है। गैंग के सदस्य IMEI क्लोनिंग, सैकड़ों फर्जी सिमकार्ड, वायरलेस फोन और नेटवर्क बूस्टर का इस्तेमाल कर 2019 से अब तक सैकड़ों वारदातों को अंजाम दे चुके थे।

इस कार्रवाई में गैंग के मास्टरमाइंड सहित तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। उनके पास से 20,000 इंदौर के सीनियर सिटीजन पेंशन धारियों के डेटा सहित देशभर के लाखों बुजुर्गों की निजी जानकारी बरामद की गई है। ये गैंग सीनियर सिटीजन को फर्जी सरकारी अधिकारी बनकर डरा-धमकाकर करोड़ों रुपये की ठगी कर चुका था।

कैसे फंसा गैंग, इंदौर पुलिस तक कैसे पहुंची जानकारी?

इंदौर की 65 वर्षीय महिला ने NCRP पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई कि उनके साथ 46 लाख रुपये की ऑनलाइन ठगी हुई है। उन्होंने बताया कि 11 सितंबर 2024 को उन्हें व्हाट्सएप कॉल आया, जिसमें कॉल करने वाले ने खुद को टेलीकॉम रेग्युलेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) का अधिकारी बताया और कहा कि उनके नाम पर अवैध गतिविधियों में इस्तेमाल की जा रही एक सिम रजिस्टर्ड है, जिसके चलते उनके खिलाफ FIR दर्ज कर दी गई है। इसके बाद महिला को CBI अधिकारी बनकर एक और कॉल आया।

जिसमें कहा गया कि उनके आधार कार्ड से जुड़ा एक पार्सल कंबोडिया भेजा गया था, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग और ड्रग्स तस्करी का पैसा शामिल था। आरोपियों ने धमकी दी कि अगर वे अपनी पूरी बैंक डिटेल्स नहीं देंगी, तो उन्हें और उनके परिवार को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। डर के मारे महिला ने 13 सितंबर को आरोपियों द्वारा बताए गए बैंक खातों में 46 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।

कैसे पुलिस ने गैंग तक पहुंच बनाई?

फरियादी की शिकायत के आधार पर क्राइम ब्रांच इंदौर ने ऑनलाइन ट्रांजैक्शन को ट्रैक किया और पता चला कि यह ठगी उत्तर प्रदेश और दिल्ली से ऑपरेट हो रही थी। पुलिस ने पहले उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले से फलाह दारेन मदरसा समिति के प्रबंधक अली अहमद खान और सह-प्रबंधक असद अहमद खान को गिरफ्तार किया।

जो ऑनलाइन ठगी के लिए अपने मदरसे के बैंक अकाउंट को 50% कमीशन पर उपलब्ध कराते थे। इसके बाद पुलिस की टीम दिल्ली पहुंची, जहां गैंग के मुख्य ठिकाने की पहचान के लिए 5 दिन तक रेकी की गई। अलग-अलग टीमों ने चाय की दुकान, रिचार्ज केंद्रों और स्थानीय संस्थानों में घुसकर जॉब इंटरव्यू के बहाने खुफिया जानकारी जुटाई। इसके बाद पटेल नगर, दिल्ली में एक संदिग्ध 'डार्क रूम' की पहचान हुई, जहां से फर्जी कॉलिंग ऑपरेशन चलाया जा रहा था। यहां छापा मारकर पुलिस ने मुख्य आरोपी ऋतिक कुमार जाटव (22) को गिरफ्तार कर लिया।

गैंग का काम करने का तरीका

गिरोह लोगों को कॉल करके शासकीय अधिकारी, टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया, कस्टम डिपार्टमेंट या PFRDA (पेंशन फंड रेगुलेटरी अथॉरिटी) का अधिकारी बनकर उनसे बात करता था।

पहले डराने के लिए झूठे सरकारी केस की धमकी दी जाती थी।

फिर फर्जी FIR और अन्य कूटरचित दस्तावेज भेजकर पीड़ित को मानसिक रूप से दबाव में रखा जाता था।

इसके बाद कहा जाता कि केस खत्म करने के लिए तुरंत पैसा ट्रांसफर करें।

पीड़ित से कहा जाता कि वह किसी से बात न करें और हर 10 मिनट में अपडेट दें।

बरामद सामग्री

पुलिस ने आरोपियों के ठिकाने से भारी मात्रा में तकनीकी उपकरण जब्त किए, जिनमें 

7 GSM वायरलेस फोन (Lanshuoxing और Beetel कंपनी के)

 लोगों से बात करने के लिए स्क्रिप्टेड स्पीच की 10 डायरी

देशभर के फर्जी VI सिमकार्ड के 3 रजिस्टर

1 मॉनिटर, 1 प्रिंटर

7 की-पैड फोन (सिम एक्टिवेशन के लिए इस्तेमाल होते थे)

1 नेटवर्क बूस्टर डिवाइस (कॉलिंग में बाधा न हो, इसके लिए इस्तेमाल किया जाता था) शामिल हैं।

गैंग की अब तक की ठगी

2019 से अब तक हजारों लोगों को ठगा।

 500 से ज्यादा VI कंपनी के सिम कार्ड से ठगी की गई।

करीब 3,000 सिम कार्ड का उपयोग कर देशभर में लोगों से करोड़ों रुपये ऐंठे।

20,000 इंदौर के सीनियर सिटीजन पेंशन धारियों का डेटा बरामद हुआ।

गैंग के बैंक खातों में करोड़ों के ट्रांजैक्शन पाए गए।

तकनीकी जांच में बड़ा खुलासा

पुलिस की जांच में पाया गया कि गैंग IMEI क्लोनिंग कर रहा था, यानी विभिन्न कंपनियों के दर्जनों मोबाइलों में एक ही IMEI नंबर इस्तेमाल हो रहा था।

इंदौर पुलिस ने आरोपी को रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरू कर दी है, और अन्य सदस्यों की तलाश जारी है। इस गैंग से जुड़े और भी बड़े खुलासे होने की संभावना है।

टॅग्स :क्राइम न्यूज हिंदीइंदौरदिल्ली पुलिसMadhya Pradesh
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