चित्रकूट: पैसे के दम पर अहमदगंज ग्राम सभा की जमीन हड़पने में लगा झोला छाप डॉक्टर नत्थू और सरकारी अध्यापक विनोद, प्रधान पुत्तन भी शामिल
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 12, 2019 01:27 PM2019-07-12T13:27:08+5:302019-07-12T13:27:08+5:30
नत्थू नामक शख्स जिले में स्थित शिवरामपुर में झोलाछाप डॉक्टर है और उसका सगा भाई विनोद प्राइमरी स्कूल में सरकारी अध्यापक है।
उत्तर प्रदेश सरकार में ग्राम पंचायत की जमीनों पर अवैध कब्जा करने की साजिश एक बार फिर तेजी से शुरू हो चुकी है। कई खबरें हैं जहां ग्राम पंचायत की जमीन ग्राम प्रधान और पैसे से मजबूत भू-माफिया और दबंगों की मिलीभगत से अपने कब्जे में ले लेते हैं। ऐसी ही एक खबर यूपी के जिला चित्रकूट स्थित ग्राम अहमदगंज से है। यहां बेड़ीपुलिया स्थिति गोस्वामी तुलसी दास डिग्री कॉलेज के सामने स्थित ग्राम सभा की जमीन को ग्राम प्रधान पुत्तन की मिलीभगत से वहीं के निवासी नत्थू और विनोद हड़पने की कोशिश में लगे हैं।
नत्थू नामक शख्स पास स्थित शिवरामपुर में झोलाछाप डॉक्टर है और उसका सगा भाई विनोद प्राइमरी स्कूल में सरकारी अध्यापक है। दोनों भाई अवैध खनन के कारोबार में लिप्त रहते हैं और खनन के लिए बदनाम बुंदेलखंड में खनिज अधिकारियों की नजर में धूल झोंककर धड़ल्ले से अवैध बालू का व्यापार करते हैं।
ग्राम सभा के लोगों ने कई बार अपने स्तर पर इनकी शिकायत लेखपाल और एसडीएम से करने का प्रयास किया लेकिन नतीज शून्य है। इन नतीजों को देखते हुए ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम सभा की जमीन हड़पने का यह पूरा खेल लेखपाल और एसडीएम की मिलीभगत से हो रहा है।
अवैध बालू के व्यापारी नत्थू और विनोद कब्जा की गई जमीन पर ईंट, गिट्टी और अवैध बालू इकट्ठा कर चुके हैं और मौका मिलते ही चारदीवारी कराकर निर्माण कार्य कराने की तैयारी में हैं। ग्रामीणों द्वारा जमीन की कीमत करोड़ों में बताई जा रही है। उनका कहना है कि हाइवे से सटे होने के कारण यह जमीन काफी कीमती है इसीलिए इनकी नजर इस जमीन पर लंबे समय से थी।
ऐसी ही खबर जिले के भतरकूप गांव से भी है जहां एसडीएम के आदेश के बावजूद वहां का दरोगा दबंगों से जमीन का कब्जा नहीं हटवा पा रहा है। जबकि भरतकूप के मामले में तो ग्राम प्रधान ने खुद दबंग की शिकायत किया। लेकिन लाचार और लापरवाह राजस्व विभाग का दबंगों पर कोई जोर नहीं चल पा रहा है। एसडीएम का कहना है कि उन्होंने फोन के जरिए भरतकूप के चौकी प्रभारी को काम रुकवाने के लिए बोला है। लेकिन चौकी प्रभारी का कहना है कि मैं फोन पर कही गई किसी बात को नहीं मानता, एसडीएम से लिखित लेकर आओ तभी काम रुकवाऊंगा।
इन सारे घटनाक्रमों से साफ जाहिर होता है कि इस तरह के कब्जे स्थानीय पुलिस, प्रशासन, राजस्व विभाग, ग्राम प्रधान की मिलीभगत से होते हैं। मतलब जो दंबग हैं और जिनके पास पैसे हैं वो ग्राम सभा की जमीन को किसी भी तरह से हथियाने में सकते हैं और पूरा प्रशानिक अमला गूंगा-बहरा और लाचार बना बैठा है।
सरकार की मंशा को पलीता लगाते जिला प्रशासन
ये सब मिलकर सरकार और राजस्व परिषद की मेहनत पर पानी फेरने में लगे हैं। 8 मई 2017 को यूपी के राजस्व परिषद के आयुक्त एवं सचिव की तरफ से जिलाधिकारियों को जारी की गई एक विज्ञप्ति में ग्राम पंचायत और सार्वजनिक भूमि से कब्जा हटाने और भूमाफियाओं के खिलाफ कार्यवाही करने का आदेश दिया गया था।
नई सरकार बनते ही सरकारी ग्राम पंचायत और निजी जमीनों पर कब्जा करने वालों पर योगी सरकार ने पहली बार राजस्व और पुलिस विभाग के साझा सहयोग से अभियान शुरू किया था। काफी हद तक वह अभियान सफल भी रहा। इस अभियान का सबसे सफल रूप श्रावस्ती में देखने को मिला था जहां दबंगों द्वारा सैकड़ों बीघे जमीन कब्जा मुक्त कराई गई थी।
सरकार की योजना मार्च तक हर तरह की जमीन को कब्जा मुक्त कराने की थी। इसके लिए उत्तर प्रदेश राज्य में विशेष भूमि विवाद निस्तारण अभियान माह चलाया गया। बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में जमीन कब्जा मुक्त कराने का वादा किया था, सरकार बनने के बाद एंटी भू-माफिया बिग्रेड बनी। इस अभियान के जरिए कई ऐसी जमीनों से भी कब्जा हटवाने में सरकार सफल रही जिसपर 50-50 सालों से दबंग जमे हुए थे।