पटनाः बिहार के गया जिले में हिन्दू समुदाय के धार्मिक ग्रंथ श्रीमद्भागवत गीता को एक अल्पसंख्यक शिक्षिका के द्वारा डस्टबिन में फेंके जाने का मामला अब राजनीतिक तूल पकड़ने लगा है. हालांकि चार दिनों के बाद केंद्रीय विद्यालय संख्या नंबर-वन से शिक्षिका को सेवामुक्त कर दिया गया है.
वहीं, गया के डेल्हा थाना का आक्रोशित उग्र लोगों ने घेराव करते हुए जोरदार प्रदर्शन किया. इस मौके पर लोगों ने आरोपी शिक्षिका के खिलाफ कार्रवाई किये जाने की मांग की. इस संबंध में शिक्षिका पर धार्मिक पुस्तक को अपमानित करने की प्राथमिकी डेल्हा थाने में दर्ज की गई है. प्राथमिकी दर्ज कराने को लेकर पीड़ित छात्र के पक्ष में कई हिंदू संगठनों के पदाधिकारी और कार्यकर्ता डेल्हा थाना पहुंचे.
पुलिस ने आवेदन लेने से इंकार कर दिया. तब हिंदू संगठन से जुडे़ कार्यकर्ताओं ने थाने का घेराव कर दिया. इसके बाद छात्र के पिता राहुल सिंह के आवेदन पर प्राथमिकी दर्ज की गई. दरअसल, में यह मामला तब तूल पकड़ा, जब गया के बैरागी स्थित केंद्रीय विद्यालय में एक अल्पसंख्यक शिक्षिका के द्वारा छात्र के बैग चेकिंग के दौरान श्रीमद्भागवत गीता और तुलसी माला रखा मिला.
इसे देखकर शिक्षिका आग बबूला हो उठी और गुस्से में हिंदुओं के धार्मिक ग्रंथ श्रीमद्भागवत गीता को डस्टबिन में फेंक दिया. धार्मिक ग्रंथ के अपमान को लेकर स्थानीय लोगों ने भी शिक्षिका की करतूत की कड़ी निंदा की. बताया जाता है कि राहुल वर्तमान में रामपुर थाना क्षेत्र के प्रोफसर कॉलोनी में रहते हैं, वे मूल रूप से आरा जिला के बडहरा थाना क्षेत्र के बखोरापुर गांव के रहने वाले हैं.
पिता-पुत्र यहां इस्कान मंदिर के सेवक हैं. डेल्हा थानाध्यक्ष ने बताया कि पीड़ित के पिता के आवेदन पर केंद्रीय विद्यालय में धार्मिक पुस्तक को अपमानित करने वाली शिक्षिका के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है. पुलिस इस मामले की जांच कर रही है.