फरीदाबाद डीसीपी (एनआईटी) विक्रम कपूर आत्महत्या मामले में हरियाणा पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुये जांच के लिए एसआईटी (SIT) का गठन किया है। 14 अगस्त को मॉर्निग वॉक से लौटकर मुंह के अंदर सर्विस रिवाल्वर रख कर अपने सरकारी आवास पर विक्रम कपूर ने खुद को गोली मारी थी। शुरुआती जांच और सूइसाइड नोट के आधार पर पुलिस ने भूपानी थाना प्रभारी अब्दुल शहीद और एक पत्रकार सतीश को हिरासत में लिया है। पुलिस ने डीसीपी का मोबाइल कब्जे में लेकर डेटा व कॉल रेकार्ड की जांच कर रही है। सुसाइड नोट से मामले में ब्लैकमेलिंग का भी एंगल सामने आया है। फिलहाल अभी तक ये पता नहीं चल पाया है कि आखिर थाना प्रभारी अब्दुल शहीद और पत्रकार सतीश डीसीपी को किस बात के लिये ब्लैकमेल कर रहे थे।
विक्रम कपूर की सेवानिवृत्ति को अभी एक साल बाकी था। घर से एक सूइसाइड नोट मिला है, जिसमें उन्होंने खुद को ब्लैकमेलिंग का प्रताड़ित बताया। ब्लैकमेल करने का आरोप एक इंस्पेक्टर व एक पत्रकार पर लगा है। दोनों को पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। पुलिस प्रवक्ता सूबे सिंह ने बताया कि एनआईटी क्षेत्र के डीसीपी विक्रम कपूर पिछले एक साल से इस पद पर तैनात थे और उन्हें 2020 में सेवानिवृत्त होना था।
विक्रम कपूर की पत्नी के मुताबिक, सुबह जगने के बाद बुधवार (14 अगस्त) को कपूर सामान्य थे। लेकिन जैसे ही डीसीपी की नजर मोबाइल पर गई तो वह परेशान हो उठे। फोन में किसी का मैसेज देखकर वो घबरा गये थे।
पुलिस ने आत्महत्या की जांच सूइसाइड नोट के आधार पर शुरू की है। अंग्रेजी में लिखे गए नोट की पहली लाइन है ..I am doing due to अब्दुल, अब्दुल इंस्पेक्टर - He was blackmailing. इस नोट का जिक्र डीसीपी के बेटे ने पुलिस को दी शिकायत में किया है। डीसीपी के बेटे अर्जुन कपूर ने शिकायत में कहा कि उनके पिता को पिछले डेढ़ महीने से अब्दुल शहीद, एसएचओ व सतीश मलिक मानसिक तौर पर तंग कर रहे थे।