कोयला खदानों में अवैध खनन के दौरान चाल गिरने से 10 मजदूरों की मौत, प्रशासन लीपापोती में जुटा
By एस पी सिन्हा | Updated: February 1, 2022 16:12 IST2022-02-01T16:11:45+5:302022-02-01T16:12:38+5:30
ईसीएल प्रबंधन द्वारा जहां ट्रेंच कटिंग किया गया था. लेकिन तभी अचानक 20 फीट के ऊपर से चालकर भरभराकर नीचे गिर गया.

अवैध उत्खनन से गरीबों को प्रतिदिन 500-1000 की रोजगार तो हो जाती है. (file photo)
धनबादः झारखंड के धनबाद जिले में कोयले के जारी अवैध धंधे के बीच आज सुबह निरसा पुलिस अनुमंडल क्षेत्र में बीसीसीएल और ईसीएल मुगमा एरिया की बंद कोयला खदानों में अवैध खनन के दौरान 8-10 मजदूरों की मौत हो गई है. जबकि दर्जन भर से ज्यादा लोगों की इसमें दबने की अशंका व्यक्त की जा रही है.
हादसे के बाद पुलिस मामले की लीपापोती में जुट गई है. जानकारों के अनुसार हजारों-हजार मजदूर कोयला काटने के लिए अवैध खदान में उतर रहे हैं. इस दौरान हर रोज कहीं न कहीं दुर्घटना हो रही है और मजदूरों की जान जा रही है. इसी कड़ी में हर दिन की तरह भारी संख्या में महिला, पुरुष कई समेत बच्चे अवैध उत्खनन करने के लिए आज सुबह करीब 5 बजे आउटसोर्सिंग गए थे.
जहां ईसीएल प्रबंधन द्वारा जहां ट्रेंच कटिंग किया गया था. लेकिन तभी अचानक 20 फीट के ऊपर से चालकर भरभराकर नीचे गिर गया, जिसमें दर्जन भर से ज्यादा लोग इसमें दब गये. आनन फानन में कुछ लोगों को बाहर निकाल लिया गया है, जबकि कुछ घायलों का इलाज वहां के निजी नर्सिंग होम में चल रहा है.
इस घटना को देख आउटसोर्सिंग में अवैध ढंग से कोयला चुनने वालों में भगदड़ मच गई और आउटसोर्सिंग परियोजना में सन्नाटा पसर गया. उधर, इसीएल, आउटसोर्सिंग प्रबंधन व स्थानीय प्रशासन ने ऐसी किसी प्रकार की घटना से इनकार किया है. कहा जा रहा है कि इसकी चपेट में आने से हुई लोगों की मौत के बाद उनके सहयोगियों ने मलवा से निकाल कर सभी शव ले भागे.
सभी मृतक दूसरे जिलों का रहने वाला बताया जाता है. घटना की जानाकारी मिलने के निरसा पुलिस घटनास्थल पर पहुंचकर मामले की जानकारी ली. जिसके बाद कोयले से दबे लोगों को बाहर निकालने के लिए जेसीबी मशीन से खुदाई करवाई गई. बताया जाता है कि आउटसोर्सिंग परियोजना में अवैध ढंग से कोयला उत्खनन कराने के लिए कोयला कारोबारियों द्वारा दूसरे स्थानों से मजदूरों को बुलाकर कोयला उत्खनन कार्य धड़ल्ले से कराया जा रहा है. इन दिनों मुगमा क्षेत्र में हजारों लोग दूसरे स्थानों से आकर कोयला उत्खनन करने का काम कर रहे हैं.
जिसका कोई पहचान कोयला उत्खनन करने वालों के पास नहीं रहता है. ऐसे में जब दुर्घटना घट जाती है तो मजदूर मंगाने वाले कोयला कारोबारी चुप्पी साध लेते हैं. जानकारों के अनुसार हाल के कुछ वर्षों में ईसीएल बीसीसीएल क्षेत्र का आउटसोर्सिंग और अवैध उत्खनन स्थल का कुटीर उद्योग बन गया है. पेट की आग बुझाने के लिए महिला पुरुष बच्चे प्रतिदिन यहां अवैध उत्खनन करते हैं.
इसके बाद उससे साइकिल स्कूटर मोटरसाइकिल एवं ट्रैक्टर के माध्यम से पूरे क्षेत्र के चिन्हित उद्योगों के अलावा नदी घाट के माध्यम से पश्चिम बंगाल के रघुनाथपुर और जामताड़ा भेजा जाता है. अवैध उत्खनन से गरीबों को प्रतिदिन 500-1000 की रोजगार तो हो जाती है.
लेकिन पांच हजार में कोयला खरीद कर उसे 9 हजार 10 हजार में कोयला माफियाओं द्वारा झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल के मंडियों में ट्रक के माध्यम से भेजी जाती है. इससे कोयला माफिया कुछ दिनों के भीतर ही मालामाल हो जाते हैं.