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योगी सरकार ने भी माना देवरिया शेल्टर में हुआ शारीरिक शोषण,  पुलिस ने भेजी थी बैन संस्था में 450 लड़कियां

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: August 8, 2018 12:09 IST

उच्च स्तरीय जांच कमिटी की रिपोर्ट आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बिना देरी किए तत्काल इस केस की जांच सीबीआई को सौंप दी। योगी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'देवरिया की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है।

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लखनऊ, 8 अगस्त:  देवरिया शेल्टर होम केस में एक बाद एक चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। इस केस के शुरुआती जांच के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ  की सरकार ने भी माना है कि देवरिया के बालिका गृह में बच्चियों का शारीरिक शोषण हुआ। महिला एवं बाल कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने भी यह बात स्वीकार की है कि शेल्टर होम में लड़कियों का शारीरिक शोषण होता था। उन्होंने कहा कि हर जिले में सीडब्ल्यूडी (चाइल्ड वेलफेयर कमिटी) गठित है। इन्हें हर महीने 20 संस्थाओं की जांच करनी होती है। एक जांच के लिए उन्हें 1500 रुपये दिए जाते हैं। पिछली सरकार ने जाते-जाते इन कमिटियों के सदस्यों की नियुक्ति कर दी थी। देवरिया में उसी महिला को सीडब्ल्यूडी का सदस्य बना दिया, जो 2009 से पहले गिरिजा त्रिपाठी की संस्था की काउंसलर थीं। 

यूपी पुलिस सवालों के घेरे में

वहीं, इधर यह भी खुलासा हुआ है कि देवरिया जिले में स्थानीय प्रशासन और पुलिस संरक्षण गृह (मां विंध्यवासिनी बालिका संरक्षण गृह) का लाइसेंस रद्द होने के बाद भी उसे एक साल तक बंद नहीं करवाया गया। ये बात तो साफ हो गई है कि यहां दबंग लोग बच्चियों और लड़कियों का शोषण करवाते थे। लेकिन यूपी पुलिस को लेकर जो खुलासा हुआ है, वह चौंकाने वाला है। 

एसपी देवरिया रोहन पी कानय ने स्वीकार किया कि इस वर्ष अप्रैल में उन्हें प्रभारी संभालने के बाद, जिला मजिस्ट्रेट से दो पत्र प्राप्त हुए थे, जिसमें पुलिस ने बचाई गई लड़कियों को आश्रय घर भेजने के लिए नहीं कहा था। कानय ने कहा, "मैंने भी सभी पुलिस स्टेशनों को इस प्रभाव के निर्देश जारी किए हैं।"

बैन बालिक गृह में भेजी गई 450 लड़कियां

हालांकि, इन आदेशों का पालन नहीं किया गया क्योंकि चौरी बाजार और बरहाज पुलिस स्टेशनों की पुलिस ने 26 जुलाई और 27 जुलाई को अपहरण के अलग-अलग मामलों में दो लड़कियों को बचाया था। सभी पुलिस स्टेशनों के लिए एसपी कानय के निर्देश से आश्रय की प्रंबधक और आरोपी गिरिजा त्रिपाठी एक सप्ताह पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया था। उन्होंने पुलिस के आदेश को 'उत्पीड़न' बुलाते हुए दावा किया था कि एनजीओ को ब्लैकलिस्ट के बाद 450 से ज्यादा लड़कियों को उनके आश्रय घर भेजा गया था। अब यहां सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि संस्था का रजिस्ट्रेशन कैंसल होने के बाद वहां लड़कियों को क्यों भेजा गया था? 

इधर उच्च स्तरीय जांच कमिटी की रिपोर्ट आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बिना देरी किए तत्काल इस केस की जांच सीबीआई को सौंप दी। योगी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'देवरिया की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है । इसकी गंभीरता को देखते हुए दोपहर में बैठक की थी ... बालिकाओं के बयान और अन्य स्थितियों को देखते हुए मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए ही इसे सीबीआई को भेजने का निर्णय किया गया है ।' 

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने अपने स्तर से एसआईटी का गठन किया है, जो इस पूरे प्रकरण की जांच करेगी और उसकी मदद एसटीएफ :स्पेशल टास्क फोर्स: करेगी । योगी ने कहा कि बाल कल्याण समिति ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया, इसलिए उसे निलंबित करने का फैसला किया जा रहा है ।

देवरिया प्रकरण में शासन को सौंपी रिपोर्ट को आधार बनाते हुए योगी ने कहा कि 2017 में सरकार ने शेल्टर होम चलाने वाली संस्था की मान्यता को समाप्त कर जिला प्रशासन को इस संस्था को बंद करने और बच्चों को अन्य संस्थाओं में ले जाने का आदेश किया था लेकिन जिला प्रशासन ने नियत समय पर कार्रवाई नहीं की । इस बात को ध्यान में रखते हुए जिलाधिकारी को हटाया गया और उन्हें आरोपपत्र जारी किया जा रहा है ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्तव्य पालन में शिथिलता बरतने वाले जनपद देवरिया के पूर्व जिला प्रोबेशन अधिकारी को तत्काल प्रभाव से निलम्बित करने तथा अन्य के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई भी की गई है। इन्हें भी आरोपपत्र जारी किया जा रहा है। 

योगी ने कहा कि पुलिस की भूमिका की जांच भी की जाएगी क्योंकि जब जुलाई में एफआईआर हुई थी तो उसके बाद कार्रवाई क्यों नहीं हुई । उन्होंने बताया कि एडीजी गोरखपुर को इस बारे में जांच का आदेश दिया जा रहा है ।

योगी ने कहा कि पिछली सरकारों ने बड़ी उदारता से इस संस्था को अनुदान दिया । पिछली सरकारों के कृपापात्र वे लोग थे जिनकी कभी ना कभी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संलिप्ततता रही होगी । लापरवाही को देखते हुए जो भी जिम्मेदार हो ... दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए ... इसलिए तय किया है कि पूरे प्रकरण को सीबीआई को सौंपेंगे । साथ ही इस दौरान साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ ना हो, इस दृष्टि से डीजीपी क्राइम के नेतृत्व में एक एसआईटी का गठन किया जा रहा है ।

उन्होंने कहा कि एसआईटी में दो महिला पुलिस अधिकारी शाामिल होंगी । तीन अधिकारियों के नेतृत्व में यह एसआईटी काम करेगी और उत्तर प्रदेश पुलिस की एसटीएफ इन्हें मदद करेगी ।मुख्यमंत्री ने कहा कि जो बालिकाएं बरामद हुई हैं, उन सभी को वाराणसी में सुरक्षित स्थानांतरित करने का आदेश किया जा चुका है । जो बालक मिले हैं, उन्हें भी बाल संरक्षण गृह में स्थानांतरित करने के आदेश दिये जा चुके हैं ।

योगी ने साफ किया कि बालिकाओं के बयान और अन्य घटनाक्रम तथा मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए ही इस मामले को सीबीआई को भेजने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी ।

इस बीच, भाजपा प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने 'भाषा' से कहा कि मामला तीन सरकारों से जुडा है, इसलिए मुख्यमंत्री ने सीबीआई जांच का फैसला कर उचित कदम उठाया है और मामले की निष्पक्ष जांच हो, इसलिए भी ये जरूरी था । उन्होंने कहा कि दोषियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई हो, इसी मकसद से जांच निष्पक्ष ढंग से होनी चाहिए और तभी मुख्यमंत्री ने सीबीआई जांच की सिफारिश करने का ऐलान किया 

(भाषा इनपुट) 

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